महानगरपालिका द्वारा जनसेवा या उत्पीड़न कार्य ?

National
  • (विपुल लखनवी ब्यूरो प्रमुख पश्चिमी भारत)

(www.arya-tv.com)नवी मुंबई मानसून की तैयारी के लिए देश के हर महापालिका में सफाई अभियान तो चल ही रहा है। दूसरी बात स्वच्छ नगर योजना में भाग लेने के लिए भी सफाई की दौड़ चलती रहती है। लेकिन महापालिका लगभग हर जगह एक ही तरीके के रोग से ग्रस्त होती है और वह होती है बाबूगीरी। इसी तरह की एक घटना नवी मुंबई के कोपरखैरने में आजकल देखी जा सकती है पिछले कई दिनों से सीवर लाइन की सफाई का काम चल रहा है जिस कारण जगह-जगह बदबूदार सीवर लाइन के कचरे के ढेर देखे जा सकते हैं अब यह कब उठेंगे पता नहीं। शायद डेंगू मलेरिया या अन्य किसी रोग का इंतजार हो रहा है।

सेक्टर 7 स्थित पनाडे कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी जिसको अग्रवाल बिहार के नाम से भी जाना जाता है। जहां पर गर्वित द्वारा भोजन का वितरण होता था वहीं पर गेट पर ही कचरे का ढेर लगा दिया। जिसको 5 दिन हो गए वह वहीं पर पड़ा है। जबकि उसको केवल आधा मीटर की दूरी पर लगाते तो कार के जाने आने में तकलीफ नहीं होती। लेकिन ठेकेदार ने काम कर दिया अब बाबू गिरी उसको क्यों देखें जब कचरे को उठाने का नंबर आएगा तो देखा जाएगा।

क्या महानगर पालिकाओं के अधिकारी इस दिशा में कोई पहल करेंगे यह नगरपालिका का काम लोगों की सेवा के लिए है या उत्पीड़न के लिए है। मजे की बात तो यह है कि जिस सोसाइटी के सामने कचरे का ढेर लगा है उस सोसाइटी में वैज्ञानिक कवि लेखक पत्रकार विपुल लखनवी के अतिरिक्त महापालिका की कोपरखैरने के स्वच्छता अधिकारी श्री बालू किसन वाडकर का भी निवास है। उनकी पत्नी श्रीमती कीर्तिका किसन वाडकर भी नगर पालिका में कार्यरत है। इससे सिद्ध होता है की महापालिका में अधिकारी की भी उतनी अहमियत नहीं है जितनी कीमत होनी चाहिए।

अब क्या सफाई का झुनझुना बजाने वाले और लाखों रुपए सफाई के विज्ञापन पर खर्च करने वाले महापालिका के वरिष्ठ अधिकारी इस पर ध्यान देंगे?