प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने कहा, कोरोना को काबू करने में कौन सी रणनीति रही कारगर, तीसरी लहर की आशंका बहुत कम

Health /Sanitation Kanpur Zone

(www.arya-tv.com) देश के राज्यों में कोरोना संक्रमण को लेकर अब सटीक आकलन देने वाले आइआइटी कानपुर के कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग के प्रो. मणींद्र अग्रवाल और उनकी टीम ने कोरोना का काबू करने की रणनीति को लेकर निष्कर्ष दिया है। उन्होंने ट्वीट करके उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और केरल की रणनीति का जिक्र किया है। इसमें कहा है कि उत्तर प्रदेश में कोरोना की पहली और दूसरी लहर में कई जानें गईं। पाजीटिव केस काफी बढ़े, लेकिन कुछ दिनों बाद संक्रमण की रफ्तार कम हो गई। केस का ग्राफ नीचे चला गया। यह सब संक्रमण का पीछा करने की रणनीति के कारण संभव हुआ।

दरअसल, पाजीटिव केस निकलने पर मुहल्लों, गांव और अपार्टमेंट की जांच कराई गई। आइआइटी प्रो. मणींद्र अग्रवाल और उनकी टीम का मनना है कि उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और केरल में टेस्टिंग की रणनीति का जिक्र किया है। वह गणितीय माडल सूत्र के माध्यम से कोरोना के केस बढऩे और कम होने पर शुरूआत से काम कर रहे हैं। उनका आकलन अब तक सही साबित हुआ है, जिसकी वजह से उत्तर प्रदेश और दिल्ली की सरकार ने उनको मानिटरिंग की जिम्मेदारी सौंपी है।

महाराष्ट्र और केरल में टारगेटेड टेस्टिंग हुई
उत्तर प्रदेश में महाराष्ट्र और केरल से ज्यादा टेस्टिंग हुई है। यहां पर संक्रमण रोकने के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों की जांच हुई, जबकि महाराष्ट्र और केरल में टारगेटेड टेस्टिंग की नीति अपनाई गई। इसमें कोरोना जैसे लक्षण वाले रोगियों को शामिल किया गया।

पिछले साल अपनाई पीछा करने की रणनीति
केरल ने पिछले साल अगस्त तक संक्रमण का पीछा करने की रणनीति का पालन किया। यह काफी सफल रहा। अक्टूबर के बाद से रणनीति में बदलाव हो गया। इस साल मार्च तक पूरी तरह से लक्षित परीक्षण को लागू कर दिया।

100 में केवल एक संक्रमित मिला
प्रो. अग्रवाल के मुताबिक संक्रमण का पीछा करने से आमतौर पर मामलों के बड़े हिस्से का पता लगाता है। इससे कई केस सामने आते हैं। उत्तर प्रदेश में 100 में से एक संक्रमित सामने आया है। इसके आकलन के लिए और शोध की आवश्यकता है।

तीसरी लहर की आशंका बहुत कम
आइआइटी के कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग के प्रो. मणींद्र अग्रवाल और उनकी टीम ने कोरोना संक्रमण की पहली लहर में गणितीय माडल विकसित किया था और उसे सूत्र नाम दिया था। प्रोफेसर अग्रवाल की टीम कोरोना संक्रमण की शुरुआत और पीक तक पहुंचने से लेकर केस घटना तक का पूर्वानुमान का आकलन कर रही है। इसमें औसत सात दिनों के केस पर अनुमान लगाते हुए माडल बनाया जाता है।

अब तक किए सभी आकलन बिल्कुल सही साबित हुए हैं और प्रो. अग्रवाल ने ट्वीट में अबतक के अनुमान को ग्राफ में प्रदर्शित किया है। उन्होंने तीसरी लहर आने की आशंका बिल्कुल न के बराबर बताई थी और 14 सितंबर तक देश में कोराेना केस घटकर 20 हजार तक होने की संभावना भी जताई थी।