प्रो. मणींद्र अग्रवाल बोले- कोरोना के लिए सुपर स्प्रेडर हो सकती हैं चुनावी रैलियां

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कानपुर (www.arya-tv.com) कोरोना महामारी की तीसरी लहर अप्रैल में खत्म हो जाएगी। चुनाव के दौरान रैलियां कोरोना संक्रमण के लिए सुपर स्प्रेडर साबित हो सकती हैं, क्योंकि रैलियों में कोविड दिशा-निर्देशों का पालन करना आसान नहीं है।

पद्मश्री से सम्मानित आइआइटी के वैज्ञानिक प्रो मणीन्द्र अग्रवाल ने अपने गणितीय माडल के आधार पर यह जानकारी दी है। प्रो. अग्रवाल के मुताबिक बड़ी संख्या में लोग बिना कोविड दिशा-निर्देशों का पालन किए चुनावी रैलियों में पहुंचते हैं। इससे संक्रमण का खतरा काफी हद तक बढ़ सकता है। हालांकि पिछले चुनाव के दौरान कोरोना की दूसरी लहर के फैलने का डेटा की सही जानकारी नहीं मिली थी। अगर रैलियां होती हैं, तो इस बार संक्रमण कितनी तेजी से फैलेगा, यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता है।

प्रो. अग्रवाल ने बताया कि भारत में जून 2021 में सीरो सर्वे हुआ था। उसके डाटा का अध्ययन करने पर पता लगा कि भारत में कोरोना संक्रमण के 33 संदिग्ध मामलों में से केवल एक ही मामला प्रकाश में आ रहा है। हालिया सीरो सर्वे रिपोर्ट भी मांगी गई है। उसके डाटा का भी अध्ययन किया जा रहा है। यही नहीं, पूर्व में साउथ अफ्रीका व डेनमार्क आदि देशों में कोरोना संक्रमण फैलने की रफ्तार का जो डाटा आया था, गणितीय माडल के आधार पर उसका अध्ययन करने पर भारत में तीसरी लहर फरवरी के अंत तक चरम पर होने का अनुमान लगाया गया था।

अब भारत में संक्रमण के फैलने का जो डाटा सामने आ रहा है, उसके आधार पर यही प्रतीत हो रहा है कि कोरोना की तीसरी लहर फरवरी की शुरुआत में ही चरम पर होगी। दिल्ली और मुंबई में यह पीक और पहले जनवरी में ही हो सकता है। उन्होंने कहा कि लोगों की सतर्कता उन्हें संक्रमण से बचाएगी। लिहाजा भीड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें और मास्क लगाएं। कोविड नियमावली का सख्ती से पालन करें।

उन्होंने कहा कि तीसरी लहर के चरम पर पहुंचने पर देश में 1.80 लाख केस प्रतिदिन सामने आ सकते हैं। डेल्टा वैरिएंट के आने पर पांच में से एक संक्रमित को अस्पताल की जरूरत होती थी। ओमीक्रोन के मामलों में 10 में से एक व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ सकती है। बता दें कि विधानसभा चुनाव के चलते चुनावी रैलियां भी होने की उम्मीद है। प्रो. अग्रवाल के मुताबिक चुनाव व रैलियों का ओमीक्रोन संक्रमण बढऩे पर क्या प्रभाव पड़ेगा। अभी इसका आंकलन नहीं हुआ है। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान भी चुनाव में संक्रमण की रफ्तार बढऩे का आंकड़ा अधूरा था।