नए साल के स्वागत में एक साथ बजाए गए सैकड़ों शंख, ॐ के सामूहिक उच्चारण के साथ पुष्पा वर्षा

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(www.arya-tv.com)  हिंदू कैलेंडर के नये साल का स्वागत संगम के शहर  प्रयागराज में आज बेहद अनूठे अंदाज़ में किया गया. प्रयागराज में नव संवत्सर के स्वागत में एक साथ सैकड़ों शंख बजाए गए तो तमाम लोगों ने सामूहिक तौर पर ओम का उच्चारण किया. इसके अलावा पुष्प वर्षा भी की गई.शंखनाद और ओम के सामूहिक पाठ के ज़रिये नये साल के शुभ होने की कामना की गई. अनूठे अंदाज़ में नये साल के स्वागत को हुए इस कार्यक्रम को देखने के लिए बड़ी तादात में लोग मौजूद थे.इस मौके पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस सौरभ श्रीवास्तव और जस्टिस मंजू रानी चौहान भी खास तौर पर मौजूद रहीं.

सूर्योदय के वक्त हुए इस आयोजन में भारतीय परंपरा के मुताबिक़ लोगों को हिन्दू नव वर्ष की बधाई दी गई और नव संवत्सर सभी के लिए शुभ होने की कामना की गई. देश मे भारतीय सभ्यता व संस्कृति से आज की पीढ़ी को अवगत कराने के लिए भारतीय नव वर्ष स्वागत समारोह का यह अनूठा आयोजन सृजन जन सेवा समिति सहित कई सामाजिक संस्थाओं की ओर से किया गया. कहा जाता है कि आज के ही दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी. तो वही राजा विक्रमादित्य ने भारतीय वार्षिक गणना के लिए विक्रम संवत की स्थापना की थी.

एक साथ बजाए गए सैकड़ों शंख
शहर के सिविल लाइंस स्थित हनुमान मंदिर कैम्पस में हुए इस अनूठे आयोजन के दौरान पूरा माहौल भक्ति भाव में डूब उठा. सैकड़ों शंख जब एक साथ बजने शुरू हुए तो उसकी गूंज दूर तक सुनाई दी. इसी तरह सामूहिक तौर पर हुए ओम के उच्चारण ने भी लोगों को भाव विभोर कर दिया. प्रयागराज में आज इस नव संवत्सर उत्सव के मौके पर अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने नव संवत्सर विक्रम संवत 2081 का कैलेंडर व पर्व पत्रिका 2081 का विमोचन भी किया.

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ग्रह और नक्षत्रों में  होता है परिवर्तन
कार्यक्रम के संयोजक और सृजन जन सेवा समिति के सचिव डॉ बीबी अग्रवाल के मुताबिक आज के दिन ही नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ग्रह और नक्षत्रों में परिवर्तन होता है. जिसका प्रभाव वातावरण और मानव जाति पर भी पड़ता है. इसके अलावा चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि के ठीक 9वें दिन आर्य समाज की स्थापना भी हुई थी. यह दिन कल्प, सृष्टि और युगादि का प्रारंभिक दिन भी माना जाता है. इसलिए इस दिन का स्वागत शंखनाद-ओम के उच्चारण और जलांजलि के अभिषेक से करना शुभ माना गया है.