दुनिया में चलेगा अपना सिक्का, US-जापान-कनाडा अब हो गए बूढ़े, भारत सबसे जवान!

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(www.arya-tv.com) भारत दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था (Indian Economy) के तौर पर उभरा है। विश्व बैंक (World Bank) से लेकर आईएमएफ (IMF) तक ने इंडियन इकोनॉमी की रफ्तार आगे भी ऐसी ही रहने की उम्मीद जताई है।आने वाला समय जहां अमेरिका, जापान, कनाडा और अन्य यूरोपीय देशों के लिए परेशानी वाला साबित हो सकता है, लेकिन भारत के लिए ये शानदार रहने वाला है।

जबकि दुनिया के कई देशों में लोग फाइनेंशियल स्ट्रगल से जूझ रहे होंगे, तो ऐसे में भारत समेत कुछ देश और अमीर होते नजर आने वाले हैं। आइए जानते हैं आखिर क्यों आने वाला समय भारत के लिए और भी सुनहरा रहने वाला है?बूढ़ी आबादी यूरोपीय देशों की समस्या वर्तमान समय में जो हालात दुनिया में हैं, उनके बीच दो ऐसे फैक्टर हैं, जो आने वाले समय में अमेरिका, कनाडा, जापान और और अन्य यूरोपीय देशों के लिए बड़ी मुसीबत का सबब बनने वाले हैं, तो वहीं भारत, वियतनाम और चीन जैसे देशों के लिए फायदेमंद रहेंगे।

दरअसल, एक्सपर्ट्स का कहना है कि वेस्ट यानी पश्चिम लगातार बूढ़ा होता जा रहा है। कनाडा, अमेरिका और यूरोप में कामकाजी या पेशवर (Employees) की उम्र लगातार बढ़ती जा रही है। साफ में कहें तो इन देशों में कामकाजी आबादी लगातार बूढ़ी हो रही है

इस मामले में भारत को मिलेगा फायदा

यूरोपीय देशों की तुलना में एशियाई देश इस मामले में राहत महसूस कर रहे हैं। भारत और वियतनाम जैसे देशों में कामकाजी आबादी का ज्यादातर हिस्सा यंग है। अमेरिका समेत अन्य यूरोपीय देशों में कर्मचारियों की उम्र के आंकड़े तस्वीर साफ कर देते हैं। साल 2020 के आंकड़ों केमुताबिक, अमेरिका (US) के एक तिहाई (37.3 फीसदी) से भी अधिक वर्कफोर्स 50 वर्ष और उससे अधिक आयु का है, ऐसे में कर्मचारियों का ये आंकड़ा लगभग 16.1 मिलियन होता है। व

हीं लगभग 15 फीसदी वर्कफोर्स या 6.4 मिलियन कर्मचारी 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के हैं।जापान में गहराई भविष्य की चिंता अगर जापान की बात करें तो वहां भी बूढ़ी होती आबादी बड़ी समस्या बनकर उभरी है और सरकार के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है।जापान एक गंभीर समस्या का सामना कर रहा है।इसके जन्मदर में हो रही गिरावट और बच्चों की कमी के कारण, जापानी समाज को भविष्य में संकट का सामना करना पड़ सकता है।साल 2022 में पहली बार जापान में बच्चों वाले परिवारों की संख्या 1 करोड़ से कम हो गई है।

इसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर देखने को मिलपड़ सकता है। साल 2022 में पहली बार जापान में बच्चों वाले परिवारों की संख्या 1 करोड़ से कम हो गई है. इसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर देखने को को मिल सकता है। क्योंकि जन्मदर में कमी के कारण, वर्कफोर्स में भी कमी होगी और बूढ़े लोगों की संख्या बढ़ेगी।ऐसे में जनसंख्या कमी के परिणामस्वरूप,, कामकाजी आबादी में कमी होती है, जिससे कारोबार और उद्योगों को कार्यकर्ताओं की कमी का सामना करना पड़ सकता है या फिर बुजुर्ग कर्माचारियों की संख्या से उत्पादकता पर बुरा असर पड़ सकता है।

सस्ती मैनपावर का भी मिलेगा लाभ

ग्लोबलाइजेशन के दौर में वर्ल्ड इकोनॉमी भी ग्लोबल हो चुकी है। आज के समय मे बड़ी-बड़ी कंपनियां अपने कारोबार के विस्तार के लिए ऐसे देशों पर नजर रख रही हैं, जहां पर प्रोडक्शन फैक्ट्री सेट करना आसान और किफायती है और मैनपावर भी सस्ती हो। इस मामले में भारत, चीन और वियतनाम जैसे देशों को पीछे छोड़ सकता है।

बड़ी-बड़ी कंपनियां अपने कारोबार के लिए भारत को सुरक्षित ठिकाना मान रही है। ऐपल से लेकर टेस्ला तक के उठाए गए हालिया कदम इसके ताजा उदाहरण हैं। आने वाले समय में भी भारत में कई बड़ी कंपनियां अपना निवेश करके कारोबार जमा सकती है और इसका सीधा फायदा देश की फाइनेंशियल हेल्थ पर पड़ेगा और इकोनॉमी को और रफ्तार मिलेगी।

टेक फ्रेंडली देशों पर कंपनियों की नजर

भारत समेत वियतनाम और चीन के लिए एक लिए एक और फायदा ये हो सकता है कि जो कंपनियां सस्ती मैनपावर और किफायती प्रोडक्शन सेटअप के लिए दूसरे देशों का रुख कर रही हैं। वो टेक फ्रैंडली देशों को ज्यादा तरजीह दे रही हैं। टेक्नोलॉजी की अहमियत किसी से छिपी नहीं हैं हैं और इसका दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है।

पनियों को लगता है कि टेक फ्रेंडली देशों में अपना कारोबार जमाकर वे अच्छी ग्रोथ हासिल कर सकती है।ऐसे में चीन, वितनाम और भारत उनके लिए सबसे बेहतर जगह साबित होने वाली है। भारत टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में लगातार अपने कदम आगे बढ़ा रहा है और सरकार भी इस ओर विशेष फोकस कर रही है।