पीएम मोदी के यूनिफॉर्म सिविल कोड के बयान पर भड़का विपक्ष, DMK बोले- पहले हिंदुओं पर लागू करें

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(www.arya-tv.com) विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता को लेकर आम लोगों और धार्मिक राजनीतिक संगठनों से विचार मांगे हैं। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर दिए गए बयान के बाद देशभर में राजनीति गर्मा गई है। विपक्ष पीएम मोदी और उनकी सरकार पर लगातार हमला बोल रहा है। इस कड़ी में कांग्रेस की यूपीए सहयोगी पार्टी डीएमके ने सवाल उठाते हुए कहा कि पहले हिंदुओं पर लागू हो समान नागरिक संहिता।

डीएमके ने कहा कि सभी जातियों के लोगों को मंदिरों में प्रार्थना करने की अनुमति होनी चाहिए। साथ ही कहा कि अनुसूचित जाति और जनजाति सहित देश के प्रत्येक व्यक्ति को देश के किसी भी मंदिर में पूजा करने की अनुमति होनी चाहिए। डीएमके के टीकेएस एलंगोवन ने कहा कि हम यूसीसी (समान नागरिक संहिता) इसलिए नहीं चाहते क्योंकि संविधान ने हर धर्म को सुरक्षा दी है।

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने एक बयान में कहा कि पीएम मोदी को पहले देश में गरीबी, महंगाई और बेरोजगारी के बारे में जवाब देना चाहिए। वह मणिपुर मुद्दे पर कभी नहीं बोलते। पूरा राज्य जल रहा है। वह सिर्फ इन सभी मुद्दों से लोगों का ध्यान भटका रहे हैं।
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पीएम मोदी के बयान पर निशाना साधते हुए कहा कि भारत के प्रधानमंत्री भारत की विविधता और इसके बहुलवाद को एक समस्या मानते हैं। इसलिए, वह ऐसी बातें कहते हैं… क्या आप यूसीसी के नाम पर देश के बहुलवाद और विविधता को छीन लेंगे?… जब वह यूसीसी की बात करते हैं, तो वह हिंदू नागरिक संहिता की बात कर रहे हैं…मैं उन्हें चुनौती देता हूं कि क्या वे हिंदू अविभाजित परिवार को खत्म कर सकते हैं?…जाइए और पंजाब में सिखों को यूसीसी के बारे में बताइए, देखिए वहां क्या प्रतिक्रिया होती है…”

पीएम मोदी ने मंगलवार को भोपाल में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि यूसीसी पर विपक्षी दल लोगों को भड़का रहा है। एक ही घर में दो कानून कैसे हो सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट भी बार-बार कह चुका है कि यूसीसी लाओ, लेकिन विपक्षी दल वोट बैंक के लिए इसका विरोध कर रहे हैं। यूसीसी का जिक्र संविधान में भी किया गया है।

समान नागरिक संहिता का मतलब सबके लिए एक कानून से है। इसके तहत सभी धार्मिक समुदायों पर विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेने और रखरखाव जैसे मसलों पर एक जैसा कानून लागू होगा। देश में सभी नागरिकों के लिए एक समान आपराधिक संहिता तो है, लेकिन समान नागरिक कानून नहीं है।