सीजेआई जस्टिस एनवी रमना बोले:जजों की राय सोशल मीडिया के ‘शोर’ से प्रभावित नहीं होनी चाहिए

Health /Sanitation

(www.arya-tv.com)सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस एनवी रमना ने कहा है कि जजों को सोशल मीडिया के “शोर’ से अपनी राय को प्रभावित नहीं होने देना चाहिए। उन्होंने कहा, कई बार सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लोगों की भावनाओं को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है, लेकिन यह अधिकारों का प्रतिबिंब नहीं है। जस्टिस रमना पीडी देसाई मेमोरियल लेक्चर को वर्चुअल तरीके से संबोधित कर रहे थे।

सीजेआई ने “कानून का राज’ विषय पर बोलते हुए कहा, सरकार की शक्तियों और कार्यों की निगरानी के लिए स्वतंत्र न्यायपालिका चाहिए। न्यायपालिका को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से विधायिका या कार्यपालिका द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता। ऐसा हुआ तो “कानून का शासन’ आभासी रह जाएगा। किसी मामले को तय करते समय जजों को ध्यान रखना चाहिए कि मीडिया ट्रायल मार्गदर्शक नहीं हो सकता।

जजों को ध्यान रखना होगा कि सोशल मीडिया का शोर इस बात का प्रतीक नहीं कि क्या सही है और बहुमत क्या मानता है। उन्होंने कहा, कार्यपालिका (सरकार) के दबाव की बहुत चर्चा होती है। ऐसे में यह चर्चा करना भी जरूरी है कि कैसे सोशल मीडिया के रुझान संस्थानों को प्रभावित कर सकते हैं? इसका मतलब यह नहीं समझा जाना चाहिए कि जो कुछ हो रहा हो, उससे जजों और न्यायपालिका को अलग हो जाना चाहिए।

ताजा हालात में वैक्सीन लेने से इंकार करने के अधिकार को इस्तेमाल करने पर संदेह : कोर्ट

मद्रास हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा है कि टीकाकरण न सिर्फ खुद की सुरक्षा के लिए बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य के भी व्यापक हित में है। यह संदिग्ध है कि ताजा हालात में कोई वैक्सीन न लेने के अधिकार का इस्तेमाल कर सकता है। चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी और सेंथिल कुमार राममूर्ति की पीठ ने कहा है कि जब बात सार्वजनिक हित की आती है यह जरूरी है। संभव है कि जिस व्यक्ति ने टीका न लगवाया उसमें किसी तरह के लक्षण न दिखाई दें, लेकिन वह वायरस का कॅरियर जरूर हो सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *