उपचुनाव के परिणामों को दर्शा रहा कांग्रेस नेता का ट्वीट

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भोपाल। (www.arya-tv.com) मध्यप्रदेश की 28 विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव होने थे। जिसके लिए 3 नवम्बर को प्रजातंत्र के एक दिन के राजाओं(मतदाताओं ने अपने मतों का प्रयोग करते हुए मतदान किया। जिसके परिणाम दस नवम्बर को आएगें ।लेकिन तीन नवम्बर की सुबह जैसे ही मतदान प्रांरभ हुआ वैसे ही एक ऐसा ट्वीट आया जिसने कहीं न कहीं कांग्रेस के पूरे मैनेजमेंट पर ही पानी सा डाल दिया ? यह ट्वीट पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह के द्वारा किया गया था।

जिन्होंने सुबह अपने ट्विट्र पर ट्वीट ( धीरे से चहचहाने का स्वर) पर ईवीएम को लेकर प्रश्नचिन्ह खड़ा किया ?इस प्रश्नचिन्ह ने कहीं न कहीं उपचुनावों में कांग्रेस के पूरे मैनेजमेंट की कलई खोलकर रख दी ? प्रदेश कांग्रेस के सबसे बड़े मैनेजनेंट गुरू के द्वारा जब मतदान के प्रारंभ में ही ईवीएम को लेकर प्रश्नचिन्ह लगाया जा रहा हो तो फिर कहीं न कहीं कांग्रेस ने अपनी हार को स्वीकार कर लिया ?

क्योंकि अगर सब कुछ सही चल रहा होता तो फिर ईवीएम पर प्रश्नचिन्ह थोडी ही लगता? ये वहीं ईवीएम है जिन्होंने 2018 में कांग्रेस को सत्ता तक पहुॅचाया था ? तब क्यों नहीं मैनेजमेंट गुरू ने ईवीएम को लेकर प्रश्नचिन्ह क्यों खडे किए ?लेकिन अब कही न कहीं प्रदेश कांग्रेस के नेतृत्व को भी पता है कि उनके द्वारा 15 माह के कमलनाथ के शासनकाल में गलतियां हुई है ? जिसके कारण कांग्रेस की कमलनाथ की सरकार पर जनता का भरोसा  कायम नहीं हो पाया है?

उपचुनाव के लिए हुए मतदान के दौरान एक पत्र तथा एक ट्वीट बहुत ही ज्यादा सुर्खियों में रहा? पत्र को लेकर जहां फौरन सफाई दी गई कि यह पत्र फर्जी है लेकिन ईवीएम पर उठाए गए सवालों को लेकर और ज्यादा हवा दी गई?अब दस नवम्बर को जब परिणाम आएंगे तो जो प्रत्याशी हारेगा वह सीधे ईवीएम को दोष देगा? वैसे भी आजकल तो हारने वाले सभी दलों के द्वारा ईवीएम को दोष देना एक फैशन सा होगया है?2018 के विधानसभा चुनावों में भी जो प्रत्याशी हारे थे वह आजतक ईवीएम का ही रोना रो रहे है ? लेकिन सच्चाई ईवीएम नहीं जमीनी हकीकत है ?

जिससे कही न कही नेताओं की जनता से दूरी बढ़ती जा रही है। 2018 में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान किसी भी मंच से ये नहीं कहा गया था कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाएगा ?तब सिंधिया भी पूरे जोश के साथ अपने आप को भावी मुख्यमंत्री के रूप में देखकर पूरी ताकत के साथ प्रचार करने में लगे हुए थे ? चुनाव के बाद फिर जो घटनाक्रम बदले उन्होंने चंबल तथा बुन्देलखंड में कांग्रेस को कमजोर किया ? जिसके परिणाम लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने भोगा हो ? लोकसभा चुनाव के परिणाम से पार्टी ने सबक लेने की जगह एकदूसरे की जड़े कमजोर करने का काम किया ? जिसके परिणाम स्वरूप पार्टी के नेता एक दूसरे पर खुलेआम आरोप-प्रत्यारोप लगाने लगे थे?

लोकसभा के चुनावों के परिणामों ने कांग्रेस के नेताओं को इतना डरा दिया कि जो कांग्रेस जिस पंचायतीराज की मजबूती की बातें करती नहीं थकती है वही इसी पंचायती राज्य के चुनाव नहीं करा पाई जिसके लिए विपक्ष में रहकर भाजपा सरकार पर आरोप लगया करते थे उन्हीं पंचायत चुनावों को लगातार टालते रहे। यही स्थिति  नगरपालिका-नगरनिगम जैसे चुनावों को भी आगे बढ़ा दिए।

इन उपचुनावों में भी कांग्रेस अपने गृहयुद्ध से बाहर नहीं निकल पाई ? फिर चाहे मामला वचनपत्र में फोटो को लेकर हो या फिर टिकटों को लेकर ? पार्टी ने जो 30 स्टॉर प्रचारकों की सूची जारी की थी उनमें से भी अधिकांश नेता प्रचार करने के लिए नहीं आए। पार्टी की सोच थी कि श्रीमती प्रियंका गांधी के द्वारा दतिया में स्थित मॉ पीताम्बरा पीठ से लेकर मुरैना तक एक रोड शो का आयोजन किया जाए।

जिसमें कई रैलियों का आयोजन हो। लेकिन ऐसा भी नहीं हो पाया। श्रीमती प्रियंका गांधी को प्रदेश नेतृत्व की ओर से कई बार रिक्वेस्ट भेजी गई लेकिन उन्होंने इस रिक्वेस्ट को एक्सेप्ट नहीं किया ? कुछ कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि श्रीमती प्रियंका गांधी पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के द्वारा इमारती देवी पर की गई ट्प्पिणी के बाद से नाराज है ? इन नेताओं का कहना है कि कमलनाथ के द्वारा की गई टिप्पणी के बाद राहुल गांधी ने जो प्रतिक्रिया की थी उस प्रतिक्रिया को कमलनाथ ने बहुत हल्के में लेकर नजरअंदाज किया ?

 जिससे वह नाराज हो गई ? खैर जो भी हो लेकिन यह तो सच है कि चुनावों के दौरान प्रदेश कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा था। जिसका परिणाम उपचुनावों के परिणामों में देखने को मिलने की संभावना है? उपचुनावों के लिए हुए मतदान के बाद से राजनैतिक पंडितों का मानना है कि इन चुनावों में कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो सकता है ? 28 सीटों में से उसे केवल आठ से दस सीटें ही मुश्किल से मिलने की संभावना है?

अगर राजनैतिक पंडितों के अनुसार ही परिणाम आए तो एक बार फिर से कांग्रेस के अंदर पुत्र मोह चल रही राजनीति को लेकर गृहयुद्ध होने की पूरी संभावनाएं नजर आरही है अवधेश पुरोहित