सोशल मीडिया, ऑनलाइन गेमिंग की लत लगी; 40% पेरेंट्स परेशान

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(www.arya-tv.com) बच्चों में लगातार इंटरनेट के इस्तेमाल का क्रेज बढ़ता जा रहा है। हाल ही में हुए एक सर्वे में देश के 40% से ज्यादा पेरेंट्स ने माना कि उनके बच्चों को सोशल मीडिया चलाने, वीडियोज देखने और ऑनलाइन गेम खेलने की लत लगी है। इन बच्चों की उम्र 9 से 17 साल के बीच है। यह सर्वे कम्युनिटी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लोकल सर्कल्स ने किया है।

रोजाना 3 घंटे इंटरनेट पर बिताते हैं बच्चे
सर्वे में शामिल 49% माता-पिता मानते हैं कि उनके 9 से 13 साल के बच्चे रोजाना 3 घंटे से ज्यादा इंटरनेट पर बिताते हैं। वहीं, 47% पेरेंट्स ने बताया कि उनके बच्चों को सोशल मीडिया, वीडियोज और ऑनलाइन गेमिंग की बुरी तरह लत लगी है।

उधर, 62% पेरेंट्स ने माना कि 13 से 17 साल के बच्चे हर दिन 3 घंटे से ज्यादा स्मार्टफोन चलाते हैं। 44% का कहना है कि उनके बच्चे इंटरनेट पर मनोरंजन के आदी हो चुके हैं।

कोरोना में ऑनलाइन क्लास ने बढ़ाई लत
सर्वे में लगभग 55% पेरेंट्स ने बताया कि उनके 9 से 13 साल के बच्चों के पास सारा दिन स्मार्टफोन का एक्सेस होता है। यानी उन पर कोई रोक-टोक नहीं है और वे कभी भी उसका इस्तेमाल कर सकते हैं। वहीं, 71% लोगों का कहना था कि उनके 13 से 17 साल के बच्चे पूरा दिन फोन चलाते रहते हैं। सभी पेरेंट्स ने माना कि कोरोना काल में ऑनलाइन क्लास ने बच्चों में स्मार्ट गैजेट्स की लत को बढ़ाया है।

फोन चलाने से बढ़ रही एंग्जाइटी, डिप्रेशन
सोशल मीडिया के ज्यादा इस्तेमाल से आजकल बच्चे मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर्स के शिकार हो रहे हैं। उनमें स्ट्रेस, एंग्जाइटी और डिप्रेशन बढ़ रहा है। साथ ही आत्मविश्वास, फोकस और अच्छी नींद की कमी होती जा रही है। टीनएजर्स के व्यवहार में भी तेजी से बदलाव हो रहे हैं। वे ज्यादा चिड़चिड़े और गुस्सैल होते जा रहे हैं। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स की मानें तो बेहतर नींद के लिए इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का यूज रोजाना 2 घंटे से कम करना चाहिए।

सोशल मीडिया चलाने की उम्र में हो बदलाव
सर्वे में 68% मां-बाप ने माना कि सोशल मीडिया अकाउंट बनाने की न्यूनतम उम्र 13 साल से बढ़ाकर 15 साल करनी चाहिए। साथ ही सरकार ये सुनिश्चित करे कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की गाइडलाइंस का सख्ती से पालन हो। बच्चे 15 साल से कम होने पर अपना अकाउंट न बना सकें।

यह सर्वे भारत के 287 जिलों के 65 हजार पेरेंट्स पर किया गया। इसमें 67% पुरुष और 33% महिलाएं थीं। 51% लोग मेट्रो सिटी या टियर-1 शहर से थे। वहीं 37% टियर-2 और 12% टियर-3 और टियर-4 जिलों से थे। स्टडी को 9 से 13 साल के बच्चों और 13 से 17 साल के बच्चों में बांटा गया था।