साउथ की फिल्में हिंदी की तुलना में बेदाग होती हैं’:नसीरुद्दीन शाह

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(www.arya-tv.com) नसीरुद्दीन शाह इन दिनों अपनी अपकमिंग वेब सीरीज ताज डिवाइडेड बाय ब्लड के प्रमोशन में बिजी हैं। इस दौरान उन्होंने हिंदी और साउथ फिल्मों के बीच तुलना पर बात की। उनका कहना है कि हिंदी की तुलना में साउथ वाले फिल्म बनाते समय काफी मेहनत करते हैं।

नसीरुद्दीन के मुताबिक, साउथ की फिल्में भले देखने में कैसी भी हों, लेकिन उनका काम हमेशा बेहतर और बेदाग होता है। उन्होंने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि हिंदी फिल्मों ने हमेशा सभी धर्मों का मजाक बनाया है।

हिंदी फिल्मों में सभी धर्मों का मजाक बनाते हैं..
नसीरुद्दीन शाह का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें उनका कहना है कि हिंदी फिल्में अभी भी उसी दकियानूसी स्वभाव पर टिकी हैं। उन्होंने कहा, ‘हिंदी फिल्मों में हमेशा सिख, ईसाई और पारसी धर्म के लोगों का मजाक बनाया जाता है। दूसरों के दुख पर हंसना एक राष्ट्रीय रिवाज बन गया है।

हमारा कोई मजाक बनाता है तो हमें दुख होता है, लेकिन हम दूसरों का मजाक बनाते समय बिल्कुल नहीं सोचते। हम 100 सालों से फिल्में बना रहे हैं, और इन 100 सालों में वहीं फिल्में बनाते हैं जिसमें दूसरों के धर्म का मजाक बनाया जा रहा हो।’

साउथ की फिल्में हिंदी की तुलना में ज्यादा रिलेटेबल..
नसीरुद्दीन शाह के मुताबिक, तमिल कन्नड़, मलयालम और तेलुगु इंडस्ट्री की फिल्में हिंदी फिल्मों की तुलना में अधिक रिलेटेबल होती है। गौरतलब है कि हाल के सालों में आमिर खान और अक्षय कुमार जैसे बड़े बॉलीवुड स्टार्स की फिल्में कांतारा जैसी साउथ की छोटी बजट की फिल्मों से पीछे रह गईं हैं। आरआरआर और केजीएफ 2 ने बॉलीवुड फिल्मों को आईना दिखा गया है।