यूपी के माफियाओं की पहली पसंद मुंगेर की पिस्टल

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(www.arya-tv.com) यूपी में माफिया अब भी सबसे ज्यादा भरोसा मुंगेर में अवैध रूप से तैयार की जा रही 9 एमएम पिस्टल पर ही करते हैं। इन पिस्टल और कारतूसों की सबसे ज्यादा खेप पूर्वांचल के अपराधियों को ही सप्लाई की जा रही हैं। पिछले कुछ सालों में लखनऊ व आसपास के जिलों में भी ऐसे हथियारों की तस्करी बढ़ गई है। यह खुलासा मंगलवार को पकड़े गए हथियारों के तीन तस्करों से पूछताछ में हुआ है।

पिस्टलों की खेप लखनऊ लेकर आए दानिश, शाहिद और अयाज ने रिमाण्ड के तीसरे दिन एटीएस के सामने कई राज उगले। पहले दिन तस्करों ने बताया कि वह लोग किस रास्ते से होते हुए 9 एमएम के कारतूस और 0.32 बोर की पिस्टलें लेकर आए थे। दूसरे दिन एटीएस को यह कहकर चौंका दिया कि पूर्वाचल में 9 एमएम की पिस्टल अब भी खूब बेची जा रही है।

सस्ती मिलती है ये पिस्टल: 9 एमएम बोर के कारतूस प्रतिबन्धित होने से अन्य स्थानों पर महंगे मिलते हैं। मुंगेर में इनकी अवैध फैक्ट्रियां होने से ये कम दामों पर उपलब्ध हैं। दानिश ने एटीएस को बताया कि मुंगेर में 0.32 बोर की जो पिस्टलें बन रही हैं, उनमें 9 एमएम कारतूस भी लग जाती है। 20 हजार से 50 हजार रुपये की कीमत तक 9 एमएम पिस्टल काफी आसानी से मिल जाती है।

पूर्वांचल में गरज रही 9 एमएम पिस्टल90 के दशक में पूर्वांचल में जब मुन्ना बजरंगी, बृजेश सिंह, मुख्तार अंसारी, गिरोह का दबदबा था तब इनके गिरोहों के बीच और सुपारी लेकर की गई हत्याओं में 9 एमएम पिस्टल का ही इस्तेमाल होता था। बजरंगी, बृजेश सिंह ने समर्पण किया तो कुछ समय के लिये ऐसे हथियारों का इस्तेमाल कम हो गया। चार-पांच सालों से फिर मुंगेर के 9 एमएम और 0.32 बोर के पिस्टल पूर्वांचल के अपराधियों को भाने लगे। गोरखपुर में इसी साल 25 जनवरी को राजू व रमेश यादव की हत्या में 9 एमएम पिस्टल का इस्तेमाल हुआ। 28 अप्रैल को वाराणसी के यूपी कालेज में छात्र नेता विवेक सिंह को ऑटोमेटिक पिस्टल से भून दिया गया। पिछले वर्ष 28 जुलाई को मिर्जापुर के हमीरपुर में विष्णु सिंह नाम के दबंग का मर्डर ऐसी पिस्टल से ही हुआ। वर्ष 2017 में धनबाद के पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह की हत्या के लिये वाराणसी से ही शूटर गए थे और इन लोगों ने ऐसी पिस्टल से ही मर्डर किया था।

लखनऊ में हर बड़ी वारदात इसी पिस्टल से
तस्करों ने जब मुंगेर की पिस्टल लखनऊ में भी बेची जाने की बात कही तो सामने आया कि बीते दो-तीन सालों में राजधानी में हर बड़ी वारदात में 9 एमएम पिस्टल का ही इस्तेमाल हुआ। कुछ वारदातें तो एक दूसरे से जुड़ी ही निकली। बजरंगी के साले पुष्पजीत, फिर तारिक, वर्ष 2018 में आठ फरवरी को पीजीआई के पास टेंट व्यवसायी राजकुमार की हत्या में 9 एमएम कारतूस मौके पर मिले थे। तस्करों ने कुबूला कि लखनऊ व आस पास कई माफिया ऐसी पिस्टलों को मंगवा रहे हैं।