लखीमपुर मामले में सुनवाई: यूपी सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार

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(www.arya-tv.com)चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि हमने बीती रात 1 बजे तक आपके जवाब का इंतजार कियाअगर आप आखिरी मिनट में रिपोर्ट देंगे तो हम कैसे पढ़ पाएंगे? कम से कम एक दिन पहले देनी चाहिए। अदालत ने ये भी पूछा कि इस मामले में यूपी सरकार ने बाकी गवाहों के बयान क्यों नहीं लिए। कोर्ट ने कहा कि आपने 164 में से अभी तक 44 गवाहों से ही पूछताछ की है, ऐसा क्यों?सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के वकील हरीश साल्वे से यह बात कही चीफ जस्टिस रमन्ना आज लखीमपुर कांड पर सुनवाई कर रहे थे यूपी के लखीमपुर हिंसा मामले में आज फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इस मामले में देर से रिपोर्ट दाखिल करने पर कोर्ट ने यूपी सरकार को फटकार लगाई है।

आज सुनवाई के दौरान साल्वे ने कहा कि हम कल बंद लिफाफे में रिपोर्ट सौंप चुके हैं। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर आप आखिरी मिनट में रिपोर्ट देंगे तो हम कैसे पढ़ पाएंगे? कम से कम एक दिन पहले देनी चाहिए। अदालत ने ये भी पूछा कि इस मामले में यूपी सरकार ने बाकी गवाहों के बयान क्यों नहीं लिए। कोर्ट ने कहा कि आपने 164 में से अभी तक 44 गवाहों से ही पूछताछ की है, ऐसा क्यों?

कोर्ट ने पूछा है कि इस मामले में कितने आरोपी पुलिस हिरासत में और कितने न्यायिक हिरासत में हैं? क्योंकि जब तक पुलिस उनसे पूछताछ नहीं कर लेती, तब तक हमें इस मुद्दे पर ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाएगी। साथ ही कोर्ट ने नसीहत दी है कि ये एक अंतहीन कहानी नहीं होनी चाहिए। उनसे कहिए कि गवाहों के बयान दर्ज करवाए जाएं, इसके साथ ही गवाहों की सुरक्षा का मुद्दा भी अहम है।

जांच पर नाखुशी जताते हुए कड़ी फटकार लगाई

लखीमपुर मामले की पिछली सुनवाई के दौरान भी सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की जांच पर नाखुशी जताते हुए कड़ी फटकार लगाई थी। कोर्ट ने UP सरकार के वकील हरीश साल्वे से पूछा कि हत्या का मामला दर्ज होने के बाद भी आरोपी की गिरफ्तारी क्यों नहीं की गई? ऐसा करके आप क्या संदेश देना चाहते हैं?

उधर SIT को लखीमपुर हिंसा के दौरान फायरिंग होने के सबूत मिल गए हैं। अब बस ये साफ होना बाकी है कि गोली किस-किसकी बंदूक से चली? इसके लिए पुलिस बैलिस्टिक रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के आरोपी बेटे आशीष को छोड़ बाकी आरोपियों ने ये कबूल किया है कि वे उस वक्त मौके पर थे। उन्होंने ये भी कहा है कि वे डिप्टी सीएम केशव मौर्य की अगवानी के लिए जा रहे थे। इस दौरान उन्हें भीड़ ने घेर लिया और भीड़ से बचने के लिए उन्होंने फायर किए।

अब सवाल यही है कि डिप्टी सीएम की अगवानी के लिए जाते वक्त हथियार ले जाने की क्या जरूरत थी? यही वो सवाल है जो इस पूरे मामले में मंत्री के बेटे और उसके साथियों की नीयत पर सवाल खड़े करता है।

बता दें 3 अक्टूबर को लखीमपुर में हुई हिंसा में 4 किसानों समेत 8 लोगों की मौत हुई थी। इस मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र का बेटा आशीष मिश्र मुख्य आरोपी है।