सेंटीनियल स्कूल पर अवैध कब्ज़ा करने की साजिश की पूरी कहानी ​जानिए !

Lucknow
  • सेंटीनियल स्कूल पर अवैध कब्ज़ा करने की साजिश नाकाम, योगी सरकार ने कड़ा रुख दिखाते हुए विभाग के शीर्ष अधिकारियों को निलंबित किया
  • कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से इस घटना को अंजाम देने के लिए पूरी रूपरेखा तैयार कर ली गई थी और आनन-फानन में मान्यता भी दे दी गई थी।

हमारे विशेष संवाददाता विशाल सक्सेना की स्पेशल रिपोर्ट, आइए विस्तार से समझते हैं कि पूरा प्रकरण क्या है:

Vishal Saxena

(www.arya-tv.com)इस पूरे प्रकरण को समझने के लिए इसकी मास्टरमाइंड आर्णिमा रिसाल के बारे में जानना होगा, वह लालबाग गर्ल्स इंटर कॉलेज की रिटायर्ड प्रिंसिपल है जिनका रिटायरमेंट हाल ही में 31 मार्च 2022 को हुआ था। जरूरत से ज्यादा की चाह रखने वाली आर्णिमा रिसाल ने अपने रिटायरमेंट से 1 साल पहले फर्जी तरीके से क्रिश्चियन कॉलेज लखनऊ की प्रबंध समिति की सूची में अपने आप को प्रबंधक के पद पर रजिस्टर्ड करा लिया था, इस समिति द्वारा सेंटीनियल स्कूल समेत 6 संस्थान संचालित होते हैं।

आर्णिमा रिसाल के पुत्र अक्षय रिसाल सिंह ने एक नया निजी स्कूल मेथोडिस्ट चर्च स्कूल की मान्यता के लिए आवेदन किया जो 139 साल पुराने सेंटीनियल स्कूल के मूल भवन में स्थापित किया गया था। इस मान्यता के सारे खेल की शुरुआत डिप्टी रजिस्ट्रार फर्म सोसायटी एवं चिट्स लखनऊ मंडल की मिलीभगत से हुई।

स्कूल की मान्यता प्राप्त करने में आमतौर पर कई महीनों तक विभाग के चक्कर लगाने पड़ते हैं परंतु सेंटीनियल स्कूल की जमीन पर मेथोडिस्ट चर्च स्कूल को महज 23 दिन में मान्यता दे दी गई। फर्जीवाड़ा और भ्रष्टाचार से लिप्त इस खेल को इतनी तेज़ी से अंजाम दिया गया कि महज 5 दिनों में ही स्थलीय निरीक्षण कर उसकी रिपोर्ट ऑनलाइन प्रेषित कर दी गई और 15 दिन के अंदर मान्यता समिति ने स्थाई मान्यता दे दी।

आपको जानकारी के लिए बता दें अक्षय रिसाल सिंह ने 8 अक्टूबर 2021 को कक्षा 1 से 5 और कक्षा 6 से 8 दोनों वर्ग के लिए आवेदन किया था। इसे तत्कालीन बीईओ शिवनंदन सिंह को स्थलीय निरीक्षण के लिए 11 अक्टूबर ऑनलाइन प्रेषित किया गया। उन्होंने स्थलीय निरीक्षण कर जांच रिपोर्ट 16 अक्टूबर को ऑनलाइन अपलोड कर दी। तत्कालीन खंड शिक्षा अधिकारी की संस्तुति के आधार पर वर्ष नवंबर 2021 में 1 साल के लिए अस्थाई मान्यता प्रदान कर दी गई।

आइए आपको बताते हैं इस पूरे मामले का खुलासा कैसे हुआ

मेथोडिस्ट स्कूल की स्थापना का कार्य पुराना सत्र खत्म होने के बाद की गर्मियों की छुट्टियों में किया गया और जैसे ही छुट्टियों के बाद जब नया सेशन शुरू हुआ तब सेंटीनियल स्कूल के मूल भवन में मेथाडिस्ट चर्च स्कूल चलता मिला। और हद तो तब पार हो गई जब सेंटीनियल स्कूल को इस भवन के सामने स्थित खेल मैदान में शिफ्ट कर दिया। सेंटीनियल स्कूल के शिक्षकों और छात्रों को मूल भवन प्रवेश करने के लिए मना कर दिया गया। इस बात से नाराज होकर सेंटेनियल स्कूल के शिक्षकों और छात्रों ने मूल भवन के सामने सड़क पर ही क्लास लगा दी और इस मामले ने तूल पकड़ लिया।

जैसे ही यह मामला प्रशासनिक अधिकारियों के संज्ञान में आया उसके तुरंत बाद 9 जुलाई को डीएम, सीडीओ, नगर मजिस्ट्रेट समेत शिक्षा एवं पुलिस अधिकारियों ने कई घंटों की कार्यवाही के बाद सेंटीनियल स्कूल से मेथाडिस्ट चर्च स्कूल का कब्जा हटा दिया गया। छात्रों का नुकसान ना हो इसलिए मेथोडिस्ट चर्च स्कूल के 121 छात्रों को दूसरे स्कूल में समायोजित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई।

इस मामले ने इतना तूल पकड़ लिया कि मुख्यमंत्री ने इस पर विभागीय जांच के आदेश दिए।

तत्कालीन मंडलायुक्त रंजन कुमार में 3 सदस्य कमेटी गठित कर जांच कराई गई जिसमें इस सब बातों की पुष्टि हुई। और डीएम ने भी 12 लोगों पर एफआईआर के साथ विभागीय जांच के आदेश दिए और डीएम के निर्देश पर आर्णिमा रिसाल सिंह के खिलाफ प्रबंधक पद पर पंजीकरण तिथि से लेकर प्रधानाचार्य पद से रिटायर होने की अवधि तक प्राप्त वेतन की वसूली की कार्यवाही भी की जा रही है।

प्रमुख सचिव दीपक कुमार की ओर से जारी पत्र के अनुसार जांच में पाया गया कि सरकारी सहायता प्राप्त सेंटेनियल स्कूल की जमीन पर मेथाडिस्ट चर्च स्कूल को मान्यता देने के प्रकरण में बीएसए एवं तत्कालीन एडी बेसिक ने गहनता से जांच नहीं करी। सहायता प्राप्त स्कूल की जमीन विभाग की बंधक होती है जिस पर निजी स्कूल को मान्यता नहीं दी जा सकती।

इन्ही लापरवाही और भ्रष्टाचार के चलते तीन शीर्ष अधिकारियों एवं एक बाबू को निलंबित कर दिया गया है। जिसमें बीएसए विजय प्रताप सिंह तत्कालीन एडी बेसिक पी एन सिंह, डिप्टी रजिस्ट्रार फर्म सोसायटी एवं चिट्स विनय कुमार श्रीवास्तव एवं एडी बेसिक कार्यालय में तैनात प्रधान सहायक दाता प्रसाद को तुरंत प्रभाव निलंबित किया गया है।

बीएसए व तत्कालीन एडी बेसिक पर कार्यवाही प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा ने डीएम की रिपोर्ट पर महानिदेशक स्कूल की ओर से की गई संस्तुति के बाद की है। दोनों अधिकारियों के विरुद्ध अनुशासित जांच संयुक्त शिक्षा निदेशक लखनऊ मंडल को सौंपी गई है। साथ ही दोनों को बेसिक शिक्षा निदेशक शिविर कार्यालय लखनऊ से संबंध कर दिया गया है। उधर, डिप्टी रजिस्ट्रार को अपर मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन वित्त प्रशांत त्रिवेदी ने निलंबित किया है। उन पर फर्जी तरीके से सोसाइटी में सहयोग देने का आरोप है।