ईरानी साइंटिस्ट मोहसिन फकीरजादे की हत्या: हत्या में इजरायल का हाथ

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(www.arya-tv.com)दुअमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति बाइडेन और ईरान के बीच संभावित परमाणु करार में बाधा डालने के लिए ईरानी साइंटिस्ट की हत्या की गई है। खुफिया अधिकारियों का कहना है, ईरानी परमाणु हथियार कार्यक्रम के शिल्पकार मोहसिन फकीरजादे की हत्या में इजरायली जासूस एजेंसी मोसाद का हाथ है। यों भी इजरायल ने अब तक इस संदेह को दूर करने के लिए अपनी तरफ से कुछ नहीं कहा है। प्रधानमंत्री नेतनयाहू लंबे समय से ईरान को देश के अस्तित्व के लिए खतरा मानते हैं। उन्होंने फकीरजादे को देश का सबसे बड़ा दुश्मन बताया था। नेतनयाहू ने कहा था, फकीरजादे देश को खतरा पैदा करने वाला हथियार बनाने में सक्षम हैं।

इजरायली प्रधानमंत्री ने अपना इरादा नहीं छिपाया है। जब स्पष्ट हो गया कि बाइडेन राष्ट्रपति बन रहे हैं तब नेतनयाहू ने कहा, पुराना परमाणु समझौता बहाल नहीं होना चाहिए। बाइडेन ने चुनाव अभियान के दौरान कहा था कि वे ईरान से परमाणु समझौते को स्वीकार करेंगे। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ईरान के साथ हुए परमाणु करार को मानने से इनकार कर चुके हैं। उन्होंने ईरान पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। अमेरिका के दबाव में कई देशों ने प्रतिबंध लागू किए हैं। बाइडेन इन बंदिशों को हटाने का संकेत दे चुके हैं। विदेश विभाग के पूर्व अधिकारी मार्क फिट्जपेट्रिक ने सोशल मीडिया पर लिखा है, ईरान की सामरिक क्षमता को नुकसान पहुंचाने के लिए फकीरजादे का हत्या की गई है। अमेरिका-ईरान के बीच कूटनीतिक पहल को रोकने का भी उद्देश्य काम कर रहा है।

अमेरिका की पहल ईरान की प्रतिक्रिया पर निर्भर करेगी। इस वर्ष की शुरुआत ईरान पर तीन घातक हमले हो चुके हैं। ईरानी सेना प्रमुख मेजर जनरल मोहम्मद बघेरी ने कहा है, फकीरजादे की हत्या का बदला लिया जाएगा। अगर ईरान बदला लेता है तो ट्रम्प को जनवरी में पद छोड़ने से पहले जवाबी हमले का बहाना मिल जाएगा। इस तरह बाइडेन के सामने पेचीदा समस्याएं खड़ी हो जाएगी। 2015 के ईरान परमाणु समझौते के एक वार्ताकार रॉबर्ट मैली कहते हैं, ट्रम्प सरकार का लक्ष्य साफ है। वे बचे समय में अपने उत्तराधिकारी के लिए ईरान से बातचीत और परमाणु करार के लिए मुश्किल स्थितियां पैदा करना चाहते हैं।

उधर,ईरान में कड़ा रुख रखने वाला वर्ग गुस्से में है। विशेषज्ञों को आशंका है कि ईरानी जनरल और उसके बाद प्रमुख परमाणु वैज्ञानिक की मौत से नेतृत्व पर प्रतिशोध का दबाव है। देश के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनी के आदेश पर नपी-तुली कार्रवाई हो सकती है। यह भी संभव है कि ईरानी सेना के उग्र तत्व या ईरान समर्थक कोई फौजी गिरोह कार्रवाई करें। नेतनयाहू और ट्रम्प के सलाहकार ऐसा ही चाहते हैं। इस बीच, अमेरिकी सैनिक अधिकारियों का कहना है, वे ईरान की सैनिक गतिविधियों पर कड़ी नजर रख रहे हैं। लेकिन अब तक कोई अस्वाभाविक गतिविधि नजर नहीं आई है।

ईरान पर पिछले दस साल से लगातार हमले हो रहे

– परमाणु वैज्ञानिक फकीरजादे की हत्या ईरान में कार बम हमलों, जहर देने की रहस्यमय घटनाओं, गोलीबारी, दस्तावेजों की चोरी, परमाणु ठिकानों में तोड़फोड़ जैसी घटनाओं के दस साल से चल रहे सिलसिले का नया घटनाक्रम है।

 अप्रैल, 2018 में इजरायली कमांडो की एक टीम ने ईरान में भारी सुरक्षा बंदोबस्त से घिरे एक वेयरहाउस से देश के परमाणु कार्यक्रम के पांच हजार अति गोपनीय दस्तावेज चुरा लिए थे। घटना के कुछ सप्ताह बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतनयाहू ने दस्तावेजों के बारे में जानकारी देते हुए फकीरजादे को ईरान के परमाणु हथियार कार्यक्रम का मुखिया बताया था। 2010 और 2012 के बीच कई ईरानी वैज्ञानिकों पर हमले किए गए। 2007 में एक वैज्ञानिक की जहर देने से मौत हो गई थी।

2020 में कई घातक हमले हुए

 ईरान पर 2020 जैसे हमले पहले कभी नहीं हुए थे। जनवरी में अमेरिकी ड्रोन हमले में जनरल कासिम सुलेमानी बगदाद विमानतल पर मारे गए थे। जून में नातांज स्थित परमाणु संयंत्र पर हमला हुआ था। अगस्त में इजरायली हमलावरों ने तेहरान की सड़कों पर अलकायदा के एक वरिष्ठ नेता को मार डाला था।

– ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन के रिसर्चर ब्रूस रीडेल कहते हैं, शायद ही किसी देश ने अपने कट्‌टर दुश्मन की सीमा में इतने घातक हमले किए होंगे। पिछले चार साल से अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के अभियान के तहत पिछले चार साल से ईरान भारी आर्थिक प्रतिबंध झेल रहा है।