क्या खत्म हो गया है कोविड-19? आईसीएमआर का खुलासा

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अभिषेक राय

(www.arya-tv.com) साल 2019 के आखिरी के हफ्तों में चीन से कोरोनावायरस (सार्स-सीओवी-2) का संक्रमण शुरू हुआ था। देखते ही देखते ये पूरी दुनिया में फैल गया। साल 2021 में कोरोना का सबसे खतरनाक वैरिएंट ‘डेल्टा’ सामने आया जिसने न सिर्फ खूब तबाही मचाई, बल्कि बड़ी संख्या में लोगों की मौत का भी कारण बना। इसके बाद कोरोना के कई नए वैरिएंट्स देखे गए और समय के साथ इसका संक्रमण दर कम होता चला गया।
कोरोना के वैश्विक मामले अब काफी कम हो गए हैं, पिछले कुछ महीनों से इसकी ज्यादा चर्चा भी नहीं हो रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कोरोना का खतरा अब पूरी तरह से खत्म हो गया है?
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कई रिपोर्ट्स में लोगों को सावधान करते रहे हैं कि कोरोना जैसे आरएनए वायरस लगातार म्यूटेट होते रहते हैं जिससे एक नए वैरिएंट का खतरा बना रहता है, इसे ध्यान में रखते हुए सभी लोगों को सावधानी बरतते रहना चाहिए।
कोरोना को लेकर हाल ही में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और एम्स भोपाल ने अपनी रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा किया है।

आईसीएमआर और एम्स भोपाल का अध्ययन
रिपोर्ट्स में लोगों को सावधान करते हुए कहा गया है कि कोरोना के मामले भले ही सामने नहीं आ रहे हैं पर इसे पूरी तरह से खत्म नहीं माना जा सकता है। ये वायरस अब भी हमारे आस-पास है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा, संक्रमित के शरीर से निकलने के बाद भी वायरस सीवेज में जिंदा रह सकता है। यहां से वायरस के एक नए वैरिएंट के सामने आने और इसके फिर से संक्रमण बढ़ने का खतरा हो सकता है, जिसको लेकर सभी लोगों को अलर्ट रहना चाहिए।

सीवेज और मल में मिले वायरस के अंश
क्या कोरोनावायरस अब भी हमारे बीच मौजूद है इसे समझने के लिए शोधकर्ताओं ने अलग-अलग स्थानों पर सीवेज और मल के सैंपल एकत्रित करके इसकी जांच की। इसमें शोधकर्ताओं की टीम के वायरस के अंश देखने को मिले। ये लंबे समय तक न सिर्फ एक्टिव रह सकते हैं, बल्कि संक्रमण का कारण भी बन सकते हैं। विशेषज्ञों ने बताया कि इस स्थिति में गंदे पानी के संपर्क में आने के कारण फिर से वायरस का संचार हो सकता है।
हालिया मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आईसीएमआर एक ऐसा सिस्टम तैयार कर रहा है, जो संक्रमण के संकेत पहले ही दे सके। कुछ देशों में में ऐसा सिस्टम पहले से लागू है, जहां से संक्रामक बीमारियों की निगरानी की जाती है।

जिंदा रहने के लिए म्यूटेट होता रहता है वायरस
कोरोना के नए वैरिएंट्स को लेकर पहले के भी कुछ अध्ययनों में इस बात की चिंता जताई जाती रही है कि वायरस अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए लगातार म्यूटेट होता रहता है, इससे फिर से संक्रमण बढ़ने का खतरा हो सकता है।
कोविड वैक्सीन और व्यापक रूप से फैले संक्रमण के चलते हर्ड इम्युनिटी बन गई है, जिसके चलते अब भले ही इसका ज्यादा असर न देखा जा रहा हो पर सभी लोगों को अलर्ट रहना जरूरी है।

अगस्त-सितंबर में हुई थी कोरोना की चर्चा
आखिरी बार पिछले साल अगस्त-सितंबर में कोविड-19 चर्चा में रहा था। यूरोपीय देशों में कोरोना का एक नया वैरिएंट एक्सईसी सामने आया था।
एक्सईसी (XEC Covid) के बारे में विशेषज्ञों ने बताया था कि ये शरीर में बनी प्रतिरोधक क्षमता को आसानी से चकमा देकर संक्रमण फैला सकता है। कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले या फिर पहले से कोमोरबिडिटी के शिकार लोगों के लिए ये खतरनाक भी हो सकता है। हालांकि धीरे-धीरे इसके मामले भी कम होने शुरू हो गए थे।

कोरोना से मिलता-जुलता वायरस
पिछले दिनों चीन में सार्स-सीओवी2 से ही मिलते-जुलते एक नए कोरोनावायरस की भी खबरें सामने आई थीं। चीन में वैज्ञानिकों ने एचकेयू5-सीओवी-2 नामक नए कोरोनावायरस का पता लगाया था जिसके मनुष्यों में तेजी से फैलने और गंभीर रोगों का खतरा बताया जा रहा है।
प्रारंभिक रिपोर्ट्स में चीनी वैज्ञानिकों की टीम ने बताया कि एचकेयू5-सीओवी-2 कई मामलों में कोविड-19 रोग का कारण बनने वाले वायरस (सार्स-सीओवी-2) से मिलता-जुलता माना जा रहा है। यह भी कोविड-19 की ही तरह ह्यूमन ACE2 रिसेप्टर्स से बाइंड होकर श्वसन तंत्र में उसी तरह से प्रवेश कर सकता है और श्वसन रोगों का कारण बन सकता है।