मुश्किल में ईरान सरकार:महिला आंदोलनकारी जुल्म के खिलाफ झुकने को तैयार नहीं

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(www.arya-tv.com)  ईरान में 22 साल की एक लड़की की मौत के खिलाफ सरकार के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। 13 सितंबर को हिजाब न पहनने की वजह से माहसा अमिनी को मॉरल पुलिस ने हिरासत में लिया था। तीन दिन बाद उसका शव परिवार को मिला। अब 15 से ज्यादा शहरों में सरकार विरोधी हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं। 33 लोग मारे जा चुके हैं। सरकार सिर्फ 17 के मारे जाने का दावा कर रही है। ईरान में इस तरह के प्रदर्शन और हिंसा लंबे वक्त तक चलते हैं।

महिलाओं की वजह से मुश्किल में सरकार
हर शहर में महिलाएं मॉरल पुलिसिंग और हिजाब कानून के खिलाफ सड़कों पर उतर रही हैं। दो साल तक शांत रहीं महिलाएं अब सरकार के लिए मुश्किल का बहुत बड़ा सबब बन गई हैं। न तो वो हिजाब पहनने तैयार हैं, न बाल ढंकने तैयार हैं और न ढीले ड्रेस पहनने का फरमान मानने तैयार हैं।

यह दरअसल, आम ईरानी नागरिक का पाबंदियों और उनकी आजादी छीनने के खिलाफ आंदोलन है। एटमी प्रोग्राम के चलते ईरान पर पहले ही अमेरिकी प्रतिबंध लगे हुए हैं, इकोनॉमी तबाह हो चुकी है। ऐसे में हिंसक आंदोलन सरकार के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकते हैं। करप्शन और इकोनॉमिक मिस मैनेजमेंट ने आग में घी का काम किया है।

​​​​​​3 साल बाद इतने बड़े प्रदर्शन
इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान में 2019 में भी इसी तरह के प्रदर्शन हुए थे। तब भी आम नागरिकों पर फायरिंग हुई थी, जबरदस्त जुल्म हुए थे, इंटरनेट बंद कर दिया गया था। अब फिर वही तस्वीर सामने है। सवाल ये है कि ये सब इतने बड़े लेवल पर कैसे हो रहा है।

महसा अमिनी को लोग जिना के नाम से भी जानते हैं; पिछले हफ्ते वो कुर्दिस्तान के अपने घर से काम की तलाश में तेहरान आई थीं। उनका कसूर सिर्फ इतना था कि उन्होंने हिजाब नहीं पहना था, इसकी सजा उन्हें मौत के तौर पर मिली। वैसे तो हिजाब कानून 1981 की इस्लामिक क्रांति के बाद बना था और इसका तब से ही विरोध होता रहा। कई बार विरोध में हिंसक आंदोलन भी हुए।

सरकार की बेशर्मी
अमिनी की मौत पर जब लोग और खासकर महिलाएं सड़कों पर उतरीं तो सरकार भी जुल्म पर उतर आई। लोग तब और भड़क उठे जब सरकार ने सफेद झूठ बोला। सरकार ने दावा किया कि अमिनी को हिरासत में लिया गया था, लेकिन अगले दिन उसे हार्टअटैक आया और उसकी मौत हो गई।

दूसरी तरफ, उनके परिवार का कहना है कि महसा बिल्कुल फिट और हेल्दी थीं। उनकी कोई मेडिकल हिस्ट्री नहीं थी। परिवार को सिर्फ अमिनी का चेहरा देखने दिया गया। सरकार के इस झूठ से लोगों के सब्र का बांध टूटना था और टूट भी गया। अब इसका नतीजा राजधानी तेहरान समेत ईरान के 15 से ज्यादा शहरों में देखा जा रहा है।