IPL के बायो-बबल में कहां हुई चूक?:करंट लोकेशन की बजाय पिछले शहर की डिटेल बता रहा था ट्रैकिंग डिवाइस

Game

(www.arya-tv.com)IPL 2021 सीजन को बीच में ही सस्पेंड कर दिया गया। इसका कारण अमित मिश्रा, वरुण चक्रवर्ती, ऋद्धिमान साहा, माइक हसी, लक्ष्मीपति बालाजी जैसे कई खिलाड़ी और कोच का कोरोना पॉजिटिव होना है। पिछला सीजन कोरोना के बीच UAE में बायो-बबल में पूरी तरह सफल रहा था, लेकिन इस बार टूर्नामेंट भारत में हुआ और बीच में ही रोकना पड़ा।

भास्कर ने जब इस पूरे मामले पर BCCI और टूर्नामेंट से जुड़े सूत्रों से बात की तो कई तरह की खामियां सामने आईं। खुलासा हुआ कि खिलाड़ियों को बायो-बबल में रखने के लिए जो ट्रैकिंग डिवाइस दी गई थी। वह खराब साबित हुई यानी करंट लोकेशन बताने की बजाय डिवाइस पिछले शहर की डिटेल ही बताती रही। ऑफिसर्स भी प्रोटोकॉल का पालन नहीं करा सके। आइए 4 पॉइंट में समझते हैं कि आखिर IPL के बायो-बबल में कहां चूक हुई?

1. होटल में बायो-बबल बनाने में लापरवाही

गाइडलाइन: खिलाड़ियों और कोचों के कोरोना संक्रमित होने की सबसे बड़ी वजह होटल में बायो-बबल तैयार करने में लापरवाही रही है। होटल कर्मचारियों समेत टीमों की सेवा में लगने वाले सभी कर्मचारियों को खिलाड़ियों के संपर्क में आने से पहले 14 दिन क्वारैंटाइन रहना और कोरोना जांच कराना जरूरी था। होटल में और खासकर खिलाड़ियों के रूम के पास दूसरे लोगों की एंट्री पर बैन था। खिलाड़ियों के लिए एंट्री गेट अलग होने चाहिए थे।

लापरवाही: कई टीमों ने जल्दबाजी में होटल बुक कराए। होटल में खिलाड़ियों के आने से पहले होटल कर्मचारियों और बाकी सेवा में लगे बस स्टाफ समेत अन्य लोगों के 14 दिन के क्वारैंटाइन में लापरवाही बरती गई। कई होटलों में खिलाड़ियों और आम लोगों की एंट्री के लिए एक ही गेट था। खिलाड़ियों के लिए अलग एरिया नहीं रखा गया। ऐसे में यह संभावना है कि कहीं होटल कर्मचारी कोरोना संक्रमित हों और उनके संपर्क में आने से ही खिलाड़ी संक्रमित हो गए हों।

2. IPL की ट्रैवल पॉलिसी भी खिलाड़ियों के संक्रमित होने की वजह

UAE की तुलना में भारतीय शहरों की दूरी काफी ज्यादा थी। यहां खिलाड़ियों का बस से आना-जाना संभव नहीं था। ऐसे में टीमों को हवाई यात्रा करना पड़ा। कोलकाता नाइट राइडर्स समेत कुछ टीमों को तो एक हफ्ते में 2 बार ट्रैवल करना पड़ा। KKR ने मुंबई में एक मैच 21 अप्रैल को चेन्नई सुपर किंग्स के साथ और दूसरा मैच 24 अप्रैल को राजस्थान रॉयल्स के साथ खेला। इसके बाद टीम अहमदाबाद के लिए रवाना हुई।

नियम: जिस प्लेन में खिलाड़ियों को जाना था, उसे सैनिटाइज करना था। साथ ही प्लेन के कर्मचारियों को 14 दिन क्वारैंटाइन रहना जरूरी था।
लापरवाही: प्लेन के कर्मचारी को 14 दिन क्वारैंटाइन नहीं रखा गया। ऐसे में संभावना है कि इस दौरान खिलाड़ी कोरोना संक्रमित हो गए हों। क्योंकि एयरपोर्ट पर आम लोगों की आवाजाही थी। ऐसे में संक्रमित होने की ज्यादा संभावना बनी रही।

3. ट्रैकिंग डिवाइस का खराब होना

खिलाड़ी बायो-बबल के निर्धारित एरिया में ही रहें, इसके लिए उन्हें ट्रैकिंग डिवाइस दी गई थी। ताकी प्लेयर्स पर नजर रखी जा सके। यह डिवाइस रिस्ट बैंड की तरह थी, जिसे हमेशा खिलाड़ियों को होटल के कमरे से बाहर निकलने पर पहनना जरूरी था। ये डिवाइस ब्लूटूथ के जरिए मोबाइल फोन में एक ऐप से जुड़ी रहती है। यह डिवाइस खिलाड़ियों को भी बायो-बबल एरिया बताने में मदद करती थी। बायो-बबल से बाहर आने पर डिवाइस तुरंत आवाज करके खिलाड़ियों को अलर्ट भी करती थी। डिवाइस के सेंट्रल पैनल से जुड़ी होने के कारण बोर्ड अधिकारी भी खिलाड़ियों पर नजर रख सकते थे।

सूत्रों के मुताबिक, बोर्ड ने चेन्नई की एक कंपनी से यह FOB ट्रैकिंग डिवाइस ली थी, जो ठीक तरीके से काम नहीं कर रही थी। फ्रेंचाइजी ने भी इसकी शिकायत बोर्ड से की थी। एक टीम के अधिकारी ने बताया कि वे एक शहर से दूसरे शहर चले गए, लेकिन जब डिवाइस का डेटा आया, तो उसमें पिछले शहर की जानकारी थी।

पिछली बार UK की कंपनी ने मुहैया कराई थी डिवाइस
पिछला IPL सीजन UAE में 19 सिंतबर से 10 नवंबर के बीच हुआ था। तब UK की कंपनी ने खिलाड़ियों को गले में पहनने वाली ट्रैकिंग डिवाइस दी थी। जबकि चेन्नई की कंपनी ने रिस्ट वॉच दिए थे। यह डिवाइस सही से काम नहीं कर सकी। डिवाइस के खराब होने से यह भी पता नहीं चला कि संक्रमित खिलाड़ी किस-किस से मिला या किस-किस के संपर्क में आया ताकि एहतियात बरती जा सके।

4. कोरोना ऑफिसर प्रोटोकॉल का पालन नहीं करा पाए

पिछली बार UAE में पहली बार बायो-बबल में हुए IPL के दौरान हर टीम के साथ 1 कोरोना ऑफिसर नियुक्त किया गया था, लेकिन इस बार कोरोना प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन कराने के लिए सभी टीमों के साथ 4-4 कोरोना ऑफिसर नियुक्त किए गए थे। ताकि टीमें बायो-बबल के नियमों का पालन करने में कोताही न बरतें। वह होटल से लेकर टीम के बाहर जाने पर नजर रख सकें और कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करा सकें। कोरोना प्रोटोकॉल ऑफिसर का काम था कि अगर टीमें या खिलाड़ी कोरोना प्रोटोकॉल तोड़ते हैं तो इसकी जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को दें, लेकिन वे ऐसा नहीं कर सके।

लापरवाही: सूत्रों के मुताबिक कोरोना ऑफिसर्स टीमों से कोरोना प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन नहीं करा पाए। न ही उन्होंने टीमों के कोरोना नियमों का पालन नहीं करने की जानकारी अधिकारियों को दी।