बरेली बदायूं फोरलेन मामला: प्रमुख सचिव की डेडलाइन के बाद भी पूरी नहीं हुई जांच

Lucknow
Suyash Mishra

लखनऊ। प्रमुख सचिव की डेड लाइन के बाद भी राज्य संख्या 33 बरेली—बदायूं फोरलेन के चौड़ीकरण के कार्यों में हुए करोड़ों के घोटाले की जांच अब तक पूरी नहीं हो सकी है। टीएसी इसकी जांच कर रही है। पिछले चार सालों से लटकी जांच राष्ट्रपति भवन के दखल के बाद शासन में उच सचिव राजेश कुमार अग्रवाल ने मुख्य प्राविधिक परीक्षक, सम्परीक्षा प्रकोष्ठ को फिर से जांच के आदेश दिए थे।

जांच के लिए टीएसी को 30 जून तक का समय दिया गया था, लेकिन अभी तक इसकी जांच पूरी नहीं हो सकी है। जांच अधिकारी संदीप कुमार ने बताया कि 30 जून तक प्रमुख सचिव द्वारा डेडलाइन दी गई थी। 24 जून को बैठक बुलाई गई थी जिसमें गौरव गुप्ता जी से सभी साक्ष्य मांग लिए गए थे। अब उसका परीक्षण के बाद नरेटिव दायर करने के लिए थोड़ा समय लग रहा है। लेकिन इसी हफ्ते हम जांच रिपोर्ट शासन को भेज देंगे।

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संदीप कुमार ने कहा कि ये सप्लीमेंट्री जांच है। इस मामले की जांच पहले की जा चुकी है। बावजूद इसके कुछ बिन्दु रह गए थे जिसके बाद प्रमुख सचिव ने बैठक बुलाई थी जिसमें शिकायतकर्ता गौरव गुप्ता को भी बुलाया गया था। उसी के क्रम में शिकायतकर्ता ने कुछ ए​डिशनल प्वाइंट दिए थे जिसका परीक्षण चल रहा है। इसका नरेटिव बनाया जा रहा है जल्द भेज दिया जाएगा।

जांच की रिपोर्ट सिर्फ जनप्रतिनिधि को, शिकायतकर्ता को नहीं: संदीप कुमार
जाच अधिकारी संदीप कुमार ने कहा कि हम लोग जो भी भेजते हैं उसका परीक्षण शासन करता है। हम लोग फैक्ट और फीगर की रिपोर्ट तैयार करते हैं जो शासन को जाता है। शासन उसके एक एक बिन्दु का परीक्षण करता है। फिर उसके बाद कार्रवाई होती है। सामान्य शिकायतकर्ता को जांच रिपोर्ट नहीं मिल सकती है यह सिर्फ जनप्रतिनिधि को दी जाती है। मुझसे कोई सीधे रिपोर्ट नहीं मांग सकता। हम सभी रिपोर्ट सीधे शासन को भेजते हैं।

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क्या है पूरा मामला
समाजवादी पार्टी के शासनकाल में साल 2016—17 में बरेली से बदायूं तक 281 करोड़ की लागत से फोरलेन हाईवे का निर्माण कराया गया था। इस​ निर्माणकार्य में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया। मामले की शिकयत पीडब्ल्यूडी के अफसरों से लेकर शासन तक को भेजी गई। आरोप था कि सड़क निर्माण में पुराने मलबे का इस्तेमाल किया गया जबकि नए कंकरीट का भी बिल लगा दिया गया। बिजली के पोल तक पुराने लगाए गए और नए का बिल बनाकर धन निकासी कर ली गई। शासन से जब कार्रवाई नहीं हुई तो मामला हाईकोर्ट और राष्ट्रपति तक पहुंचा जिसके बाद आनन फानन में टीएसी जांच बैठाई गई। जिसकी डेडलाइन प्रमुख सचिव ने टीएसी को 30 जून 2020 तक दी थी लेकिन अभी भी इसकी जांच पूरी नहीं हो सकी है।

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पहले भी दफन हो चुकी है जांच
आपको बता दें कि इस मामले की जांच पहले भी फाइलों में दफन हो चुकी है। पिछले साल हाईकोर्ट ने पीडब्ल्यूडी से इसकी टीएसी जांच कराकर रिपोर्ट देने का आदेश दिया था। मगर समित ​ने यह कहकर जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया था कि उक्त मामले में शिकायतकर्ता गौरव गुप्ता से कई बार कान्टैक्ट करने की कोशिश की गई लेकिन वह अपने पते पर नहीं मिले जिस कारण इस मामले की फाइल बंद कर दी गई।

जांच हुई पर कार्रवाई नहीं
इस मामले की जांच पहले भी हुई थी लेकिन अब तक उसकी न तो कोई रिपोर्ट सामने आई और न ही इस मामले में किसी पर कोई कार्रवाई की गई। इस दौरान इस मामले से जुड़े तमाम अधिकारी भी इधर उधर जा चुके हैं।