- जिनेवा में मंगलवार रात भारत ने पाकिस्तान के साथ ही उसके मित्र देश तुर्की को भी सख्त लहजे में जवाब दिया
- भारत ने कहा- पाकिस्तान में हिंदू, सिख और क्रिश्चियन्स के साथ नाइंसाफी होती है, उन्हें टॉर्चर किया जाता है
(www.arya-tv.com) ह्यूमन राइट्स काउंसिल (एचआरसी) की मंगलवार को जिनेवा में मीटिंग हुई। पाकिस्तान और उसके मित्र देश तुर्की ने भारत को घेरने की कोशिश की। भारत ने इसका तल्ख तेवरों के साथ जवाब दिया। भारत ने कहा- दुनिया जानती है कि पाकिस्तान आतंकवाद का गढ़ है। हिंदू, सिख और क्रिश्चियन्स का वहां रहना मुहाल है। उनको रोज कत्ल किया जाता है।
भारतीय प्रतिनिधि ने तुर्की को भी कड़े शब्दों में नसीहत दी। कहा- तुर्की अपने यहां लोकतंत्र के हाल देखे और उसे बचाए। भारत के अंदरूनी मामलों में दखलंदाजी की कोशिश न करे।
मानवाधिकार पर भाषण न दे पाकिस्तान
पाकिस्तान सोमवार को पक्ष रख चुका था। एचआरसी ने भारत को मंगलवार को पक्ष रखने को मौका दिया। भारत के प्रतिनिधि ने कहा- दुनिया जानती है, पाकिस्तान आतंकवाद का गढ़ है। उसे मानवाधिकारों पर भाषण देने का अधिकार नहीं है। वहां हिंदू, सिख और क्रिश्चियन्स का खात्मा किया जा रहा है। भारत की छवि धूमिल करने का प्रयास कामयाब नहीं होगा। दुनिया जानती है कि जिन आतंकियों को यूएन ने बैन किया, उन्हें पाकिस्तान पेंशन देता है। वहां के प्रधानमंत्री खुद मानते हैं कि उनके देश ने हजारों आतंकियों को ट्रेनिंग और फंड दिया।
नाकाम हो चुका है पाकिस्तान
भारत ने कहा- पाकिस्तान आतंकियों की फंडिंग नहीं रोक पाया। उन्हें पनाह दे रहा है। कश्मीर में आतंकियों की घुसपैठ कराता है। ये जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में हमले करते हैं। अल्पसंख्यकों के खिलाफ ईशनिंदा, जबरिया धर्म परिवर्तन, कत्ल और भेदभाव जैसी अमानवीय हरकतें होती हैं। हिंदू, सिख और ईसाई समुदाय की महिलाओं और लड़कियों को अगवा करने के बाद उनका धर्म परिवर्तन पाकिस्तान में सामान्य बात हो चुकी है। बलूचिस्तान, खैबर और सिंध का कोई हिस्सा ऐसा नहीं, जहां रोज किसी व्यक्ति को अगवा न किया जाता हो। पत्रकार हों या मानवाधिकार कार्यकर्ता, उन्हें टॉर्चर और किडनैप किया जाता है।
तुर्की को भी खरी-खरी
भारत ने एचआरसी में तुर्की को भी माकूल जवाब दिया। कहा- तुर्की ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (ओआईसी) का सहारा लेने की कोशिश न करे। इस संगठन का पाकिस्तान गलत इस्तेमाल कर रहा है। तुर्की को भारत के अंदरूनी मामलों में दखल देने का कोई हक नहीं। अच्छा होगा कि वो देश में लोकतंत्र की समझ बेहतर करे।