राजनीति वादों पर चलती है…जनता को वादे भा जाएं तो सरकार भी बदल सकती है

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(www.arya-tv.com) राजनीति वादों पर चलती है…जनता को वादे भा जाएं तो सरकार भी बदल सकती है। तभी वादों और उन्हें बेहतर ढंग से पेश करने की अहमियत राजनीतिक दलों से बेहतर और कोई नहीं जानता। उत्तर प्रदेश के मौजूदा चुनावी परिदृश्य में किसान एक बड़ा वोटबैंक साबित हो सकते हैं। तभी समाजवादी पार्टी का नया वादा किसानों से जुड़ा है। और इसे पेश करने के लिए वो 2013 में छत्तीसगढ़ में हिट हो चुके कांग्रेस के फॉर्मूले को अपना रही है। किसानों को लुभाने के लिए उस समय कांग्रेस नेताओं ने मंच से लोन-माफी पर गंगाजल की सौंगध खाई थी। अब किसानों को समाजवादी पार्टी से जोड़ने के लिए अखिलेश यादव ने अन्य नेताओं के साथ अन्न हाथ में लेकर संकल्प लिया है कि किसानों पर अत्याचार करने वाली पार्टी को सत्ता से हटाएंगे।
2013 में किसानों की ऋण को बनाया मुख्य मुद्दा 

2013 के छत्तीसगढ़ चुनाव में कांग्रेस ने मुख्य मुद्दा किसानों की ऋण को बनाया था। उस समय पार्टी ने वादा किया था कि सरकार बनते ही किसानों का लोन माफ कर दिया जाएगा। मुद्दा तो उठा था मगर इसने रफ्तार तब पकड़ी जब कांग्रेस नेता आरपीएन सिंह ने मंच से गंगाजल हाथ में लेकर सौगंध ली।

सौगंध छत्तीसगढ़ में गेमचेंजर

आरपीएन सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान गंगाजल की बोतल हाथ में ली। फिर मंच पर मौजूद 7 दूसरे कांग्रेसी नेताओं को निर्देश दिया कि आप भी गंगाजल हाथ में लो। फिर उन्होंने गंगाजल की सौगंध ली कि सरकार बनी तो 10 दिन के अंदर किसानों का कर्ज माफ कर दिया जाएगा। रणनीतिकार मानते हैं कि यह सौगंध छत्तीसगढ़ में गेमचेंजर साबित हुई।
2022 में अखिलेश भी कांग्रेस फॉर्मूले पर
इस बार यूपी चुनाव में किसान आंदोलन बड़ा मुद्दा है। लखीमपुर हिंसा के बाद किसानों की जो एकजुटता दिखी है, उसमें राजनीतिक दलों को एक बड़ा वोटबैंक भी नजर आया है। लखीमपुर कांड में केंद्रीय गृहराज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा पर आरोप तय होने के बाद भाजपा वैसे ही बैकफुट पर है।

अब अखिलेश इस मुद्दे को अपने पक्ष में इस्तेमाल करने के लिए उस हिंसा में घायल हुए किसान नेता तेजिंदर विर्क को अपने मंच पर लेकर आए हैं। तेजिंदर विर्क के साथ अखिलेश ने मंच पर एक हाथ में गेहूं और एक में चावल लिया। बाकी नेताओं से भी ऐसा करने को कहा। फिर अन्न हाथ में लेकर संकल्प लिया कि किसानों पर अत्याचार करने वाली पार्टी को सत्ता से हटाएंगे। अखिलेश का इरादा इस बहाने किसानों को भाजपा के खिलाफ एकजुट करने का है।
किसानों के वोट एकजुट करना किसी भी पार्टी के लिए मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकता है। राज्य की 47% आबादी सीधे खेती पर निर्भर है। 2 करोड़ से ज्यादा किसान हैं। इन वोटों का ध्रुवीकरण किसी एक पार्टी के पक्ष में हुआ तो सरकार बनना तय है।