केलकर: पुलिसिंग व प्राथमिक शिक्षा की हालत संतोषजनक नहीं

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वाराणसी।(www.arya-tv.com) अर्थव्यवस्था में सुधार रातों रात नहीं हो सकता। इसके लिए नीतियों में जरूरी बदलाव करने होंगे। केंद्र या राज्य स्तर पर ही नहीं, बल्कि स्थानीय स्तर पर भी खामियां हैं, जिन्हें दूर करना बेहद जरूरी है। यह बातें ख्यात अर्थशास्त्री पद्मविभूषण विजय केलकर ने मीडिया से बातचीत में कही। केलकर सोमवार को बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के स्वतंत्रता भवन में आयोजित 101वें दीक्षा समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए।

केलकर ने कहा देश मे न्याय प्रणाली, कर प्रणाली, पुलिसिंग व प्राथमिक शिक्षा की हालत संतोषजनक नहीं है। इन बिंदुओं पर यदि बेहतर तरीके से काम किया जाए तो भारत अपने पुराने गौरव को अवश्य प्राप्त करेगा। सरकारी कंपनियों के निजीकरण को वर्तमान परिदृश्य में जरूरी बताते हुए कहा यह काम काफी पहले हो जाना चाहिए था। दीक्षा समारोह में केलकर ने छात्रों से कहा कि उच्च आर्थिक विकास हमारे देश के लिए जरूरी है।

इस मौके पर कुलपति प्रो. राकेश भटनागर ने अतिथियों का स्वागत करते हुए विवि की उपलब्धियों की रिपोर्ट प्रस्तुत की। दीक्षा समारोह में 29 होनहारों को मंच पर मेडल प्रदान किया। कुल 508 मेडल प्रदान किए गए। साथ ही विभिन्न संकाय के 11799 विद्यार्थियों को उपाधि वितरित की गई। समारोह की अध्यक्षता कुलाधिपति न्यायमूर्ति गिरिधर मालवीय ने की।

विजय केलकर ने कहा, सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। निर्यात में यह सेक्टर बड़ी भूमिका निभाता है। जीएसटी की पेचीदगी का हाल ये है कि पढ़े-लिखों को नहीं समझ आ रहा। ऐसे में कम पढ़े लिखे तबके को समझाना और भी मुश्किल है। देश में एकल कर प्रणाली अच्छी पहल है, लेकिन इसका सरलीकरण बेहद जरूरी है।

शुरूआती दौर में टैक्स की दर को कम रखा जाए, जिसे बाद में धीरे-धीरे इसे बढ़ाया जा सकता है। इससे जहां घरेलू उत्पादन में वृद्धि होगी और लघु एवं मध्यम उद्योग को फायदा पहुंचेगा, वहीं निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। बिजली को भी इसमें समाहित करने से छोटे कारोबारियों को सस्ती दर पर बिजली मिल सकेगी। इससे एमएसएमई सेक्टर की लागत में कमी आएगी, जो इस सेक्टर के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित होगी।