पंचायत की बढ़ेगी आमदनी तो पुरस्कार में मिलेंगे बीस लाख, जानिए कितने लाख राशि करने का वादा

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वाराणसी (www.arya-tv.com) शासन ने सभी पंचायतों को अपने स्रोत से आय बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। कहा है कि पंचायतें लगातार दो साल तक अपनी आमदनी बढ़ाएगी तो परफारमेंस ग्रांट के तौर पर बीस लाख रुपये दिए जाएंगे। यह न्यूनतम राशि है। आबादी व आमदनी अधिक होने पर यह राशि पचास लाख से भी अधिक प्राप्त की जा सकती है। हालांकि यह पुरस्कार की राशि आडिट व आला अधिकारियों की रिपोर्ट पर ही मिलेगी।

शासन ने आमदनी बढ़ाने के तौर-तरीके भी पंचायतों को बताए हैं। कहा है कि सभी पंचायतें नवनिर्मित सामुदायिक शौचालयों व पंचायत भवनाें के पास दुकान खोलवाने पर जोर दें। साथ ही शौचालय के भवन की दीवारों पर विज्ञापन के लिए प्रस्तावित करें। छत पर सोलर पैनल व कंपनियों से संपर्क करके टावर आदि लगवाने की कोशिश करें। इन सभी से आमदनी बढ़ सकती है। पंचायत भवन के पास अगर पंचायत की जमीन है तो बाजार आदि की स्थापना का प्रयास करें। बहरहाल, पंचायतें इस दिशा में कितना कदम उठा पाएंगी यह तो आगे दिखेगा।

आमदनी चवन्नी, खर्चा रुपइया : आमदनी चवन्नी, खर्चा रुपइया…। इस समय सभी पंचायतों की स्थिति कुछ यही है। प्रत्येक ग्राम सभा में नवनिर्मित सामुदायिक शौचालय ने पंचायतों के खर्च बढ़ा दिए हैं। केयर टेकर को छह हजार व शौचालय की साफ सफाई के लिए प्रतिमाह तीन हजार रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। शासन से इस बाबत अलग से धनराशि की कोई व्यवस्था नहीं की गई है।

पंचायत सहायक के मानदेय का भार भी पंचायतों के जिम्मे : जिले के 694 ग्राम पंचायतों में पंचायत भवन को मिनी सचिवालय के तौर पर डेवलप किया जा रहा है। सचिवालय के संचालन के लिए सभी पंचायतों में पंचायत सहायक की तैनाती का आदेश है। इसकी प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है। ट्रेनिंग होनी शेष है। हालांकि मामला कोर्ट में है। लेकिन यह तय माना जा रहा है कि पंचायत सहायकों की नियुक्ति के बाद प्रतिमाह मानदेय के रूप में इन्हें छह हजार रुपये दिए जाएंगे। यह धनराशि भी पंचायतों को ही वहन करना है।

बजट नहीं बढ़ा तो मुश्किल में होगी गांव की सरकार : पंचायतों के गठन के बाद ग्राम प्रधानों का कहना है कि बड़ी पंचायतों को बजट ठीक-ठाक मिलता है लेकिन छोटी पंचायतों को बहुत कम धनराशि जारी होती है। केयर टेकर को प्रतिमाह नौ हजार रुपये मानदेय व शौचालयों की साफ सफाई पर तीन हजार रुपये प्रतिमाह, पंचायत सहायक की तैनाती के बाद छह हजार रुपये प्रतिमाह देने के बाद पंचायतों के पास कुछ भी नहीं बचेगा। छोटी पंचायतों को तो एक साल में दो से ढाई लाख रुपये ही बजट मिलता है। गांव में नाली खड़ंजा समेत अन्य दर्जनों कार्य की अपेक्षा पब्लिक की रहती है।