ड्रग्स में मदहोश टीनएजर्स को ऐसे निकालें नशे के चंगुल से

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(www.arya-tv.com) पेरेंट्स अपने टीनएजर गुमराह बच्चों को नशे की लत से छुटकारा दिला सकते हैं। इन मदहोश मासूमों को समय पर होश में नहीं लाया गया, तो इसके परिणाम खतरनाक हो सकते हैं।

नशे सी चढ़ गई
पश्चिम बंगाल के दो स्कूलों के स्टूडेंट्स पर हुई स्टडी में करीब 15 प्रतिशत शहरी और लगभग 27 प्रतिशत ग्रामीण स्टूडेंट्स ने माना कि दोस्तों की वजह से ड्रग्स की आदत लगी। ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के साइकाएट्रिस्ट डॉ. राजेश सागर इसे सही ठहराते हैं। उनका कहना है कि इस उम्र में नई चीजों को जानने को लेकर उत्सुकता होती है। किशोरों का दोस्तों की तरफ झुकाव भी ज्यादा होता है। इस उम्र में वे घर की महिलाओं और फैमिली से दूर होने लगते हैं। इन वजहों से गुमराह होने के चांसेज बढ़ जाते हैं। कई बार इसके खतरनाक परिणाम सुसाइड के रूप में भी सामने आते हैं। आठवीं, नवमी और दसवीं क्लास के 416 स्टूडेंट्स पर हुए अध्ययन में किशोरों ने स्वीकारा कि तनाव से दूर रहने के लिए उन्होंने ड्रग्स का सहारा लिया। साथ ही पाया गया कि नशीले पदार्थों की आसान उपलब्धता की वजह से भी किशोर बहक जाते हैं। एक अच्छी बात यह रही कि करीब 73 प्रतिशत बच्चों ने माना कि वे इस लत से छुटकारा चाहते हैं।

क्या दिख रहा है असर
ऐसा माना जाता था कि ड्रग्स जैसा नशा सेलिब्रेटी क्लास का ट्रेंड हैं पर अब मनोचिकित्सक ऐसा नहीं मानते हैं। उनका कहना है कि समाज के सभी वर्ग के किशोरों और युवाओं में यह कॉमन होता जा रहा है। दिल्ली स्थित ऑनक्वेस्ट लैबोरेटरीज लिमिटेड के लैब ऑपरेशन्स के मेडिकल डाइरेक्टर डॉ राजन वर्मा बताते हैं कि ड्रग्स के इस्तेमाल से दिमागी कंफ्यूजन, दौरे, स्ट्रोक्स और ब्रेन हैमरेज होने की आशंका होती है। यह फेफड़ों को भी नुकसान पहुंचाता है। ऐसे लोगों में निर्णय लेने की क्षमता की कमी हो जाती है।

युवतियों के कदम भी बहक रहे
एम्स के ‘नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर’ के न्यूजलेटर के अनुसार किशोरियों और युवतियों में नशे की वजह पुरुषों से अलग होती है। फिजिकल या सेक्सुअल अब्यूज की शिकार लड़कियों में आम लड़कियों की तुलना में स्मोक करने, शराब पीने और ड्ग्स लेने की दोगुनी आशंका रहती है। पारिवारिक कलह, जॉब से जुड़ी परेशानियां, फैमिली हिस्ट्री में नशे की लत, तनाव, डिप्रेशन जैसी वजहों के कारण भी वे नशे का शिकार होती हैं।मुंबई, दिल्ली और आइजोल(मणिपुर) की युवतियों पर हुई स्टडी के मुताबिक 90 प्रतिशत युवतियां हेरोइन का नशा करती थीं। 100 में से 53 महिलाओं ने स्वीकारा कि उनकी फैमिली में पेरेंट्स या पति को नशे की लत थी। यह भी पाया गया कि आधी महिलाएं ड्रग्स खरीदने के लिए सेक्सवर्क करती हैं जबकि एक-तिहाई नशा करने के लिए ड्रग्स भी बेचती हैं।क्लाउडनाइन हॉस्पिटल की सीनियर कंसल्टेंट डॉ. रितु सेठी बताती हैं कि प्रेग्नेंसी में ड्रग्स लेने से प्री-मैच्योर डिलीवरी हो सकती है। मिसकेरेज की आशंका बढ़ जाती है। इन बच्चों में बर्थ डिफेक्ट्स हो सकते हैं। बेबी बर्थ के बाद भी मां ड्रग लेना नहीं छोड़ती है, तो उनके बच्चों काे फिट्स आ सकते हैं। बच्चे ज्यादातर समय सोते रहते हैं।

किन जगहों पर ड्र्ग्स छिपाए जाते हैं अमरीकन एडिक्शन सेंटर के अनुसार टीनएजर्स आमतौर पर कुछ खास जगहों पर ड्रग्स छिपा कर रखते हैं। पेरेंट्स को बच्चों पर थोड़ा भी शक हो, तो इन चीजों की तलाशी जरूर लें

  • मार्कर या हाईलाइटर के पीछे के हिस्से को चेक करें।
  • लड़कों के शेविंग किट में भी छिपा हो सकता है।
  • फूड रैपर और सोडा कैन, जो बहुत दिनों से टेबल पर ज्यों का त्यों पड़ा हो।
  • लड़कियों के लिपस्टिक ट्यूब, लिप बाम और डियोड्रेंट की भी तलाशी लें।
  • मिरर-कॉम्पैक्ट में भी छिपा कर रखते हैं। मिरर पर कोकीन की लाइन बना कर खाली पेन से सूंघते हैं।
  • कार की सीट के नीचे, डैशबोर्ड और दूसरी जगहों पर।
  • टी बैग्स जैसी चीजों में भी इसे छिपा कर रखा जाता है।
  • बाथरूम का वेंटीलेटर और टॉयलेट टैंक नशीले पदार्थों को छिपाने की बेहद कॉमन जगहें हैं।
  • चॉकलेट, टॉफी, चुइंगम के डिब्बों में।
  • बेल्ट का बकल चेक करना नहीं भूले
  • स्विच बोर्ड में भी रखते हैं।
  • जूतों और टेबल वॉच के अंदर भी देखें।
  • तकिए और गद्दों में भी ये मिल सकते हैं।

गुमराहों को राह दिखाएं : कभी परिवार की लापरवाही से तो, कभी अपनी नासमझी से किशोर और युवा ड्रग्स के गहरी धुंध में खो जाते हैं। डॉ राजेश सागर के अनुसार लक्षणों को जल्दी पहचान कर इन्हें सही राह पर लाया जा सकता है।

लक्षण : नशे की आदत लगने पर किशोर खोया-खोया सा नजर आता है।

  • माता-पिता या परिवार के दूसरे सदस्यों से बात करने से कतराते हैं।
  • हमेशा सुस्त सा रहने लगे, घर की चीजों में अरुचि दिखाएं।
  • कुछ किशोरों या युवाओं में चिड़चिड़ाहट भी बढ़ जाती है।
  • दोस्तों की संगति में परिवर्तन आना।
  • इनके कपड़ों से धुएं सी महक आती हो

सुधार : यूनाइटेड नेशन्स ऑफिस ऑन ड्रग एंड क्राइम की रिपोर्ट के अनुसार पूरे विश्व में 35 मिलियन लोग ड्रग यूज डिसऑर्डर के शिकार हैं। 7 में से केवल 1 को ही ट्रीटमेंट मिल पाता है।

  • पेरेंट्स बच्चों को दोस्ताना तरीके से समझाएं।
  • उसकी गलतियों को स्वीकारें, ताना नहीं दें।
  • सही राह पर लाने के लिए डांट-डपट नहीं करें।
  • परिवार के सभी सदस्य मिल कर इन बच्चों की मदद करें।
  • पिअर प्रेशर से निकलने में मदद लें।

posted by: RAJESH SINGH