भू उपयोग परिवर्तन शुल्क लगाए बिना कैसे मिलेगी अनुमति

Lucknow Meerut Zone UP
  • भू उपयोग परिवर्तन शुल्क लगाए बिना महायोजना में इंगित भू उपयोग में परिवर्तन करके पूर्ववर्ती राज्य सरकारों ने गाजियाबाद विकास प्राधिकरण की लागत पर विकासकर्ताओं को 572.48 करोड़ रु0 का अनुचित लाभ अनुमन्य किया
  • महालेखाकार की आडिट में विकासकर्ताओं को पहुंचाए गए अनुचित लाभ से गाजियाबाद विकास प्राधिकरण को हुई 572.48 करोड़ रु0 की हानि का प्रकरण अक्टूबर, 2010 से अक्टूबर, 2013 के दौरान पूर्ववर्ती सरकारों के कार्यकाल का
  • मुख्यमंत्री के नेतृत्व में वर्तमान राज्य सरकार द्वारा विकास प्राधिकरणों की महालेखाकार से सम्परीक्षा कराने के निर्णय से यह अनियमितता उजागर हुई।
  • प्रदेश सरकार द्वारा महालेखाकार की रिपोर्ट के संदर्भ में विधि व्यवस्था के अनुसार अग्रिम कार्यवाही की जाएगी।

लखनऊ।(www.arya-tv.com) भू उपयोग परिवर्तन शुल्क लगाए बिना महायोजना में इंगित भू उपयोग में परिवर्तन करके पूर्ववर्ती राज्य सरकारों ने गाजियाबाद विकास प्राधिकरण की लागत पर विकासकर्ताओं को 572.48 करोड़ रुपए का अनुचित लाभ अनुमन्य किया।

महालेखाकार की आडिट में विकासकर्ताओं को पहुंचाए गए अनुचित लाभ से गाजियाबाद विकास प्राधिकरण को हुई 572.48 करोड़ रुपए की हानि का प्रकरण अक्टूबर, 2010 से अक्टूबर, 2013 के पूर्ववर्ती सरकारों के कार्यकाल का है।

गाजियाबाद विकास प्राधिकरण सहित आवास एवं शहरी नियोजन विकास के अधीन गठित प्राधिकरणों, विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण तथा उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद की महालेखाकार (आर्थिक एवं राजस्व सेक्टर आडिट) से सम्परीक्षा कराने के सम्बन्ध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में वर्तमान राज्य सरकार द्वारा अप्रैल, 2017 में लिए गए निर्णय के क्रम में यह अनियमितता उजागर हुई है।

लेखा परीक्षा में यह तथ्य उजागर हुआ कि गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने 4722.19 एकड़ भूमि के लिए विकासकर्ताओं की लेआउट योजनाओं को अनुमोदित किया था। इसमें उप्पल चड्ढा हाइटेक डेवलपर्स प्रा0लि0 (अक्टूबर, 2010 से अक्टूबर, 2013) के लिए 4004.25 एकड़ तथा सन सिटी हाई-टेक इन्फ्रा प्रा0लि0 (जुलाई, 2011) के लिए 717.94 एकड़ की जमीन शामिल थी।

इसमें से 3702.97 एकड़ भूमि (उप्पल चड्ढा हाइटेक डेवलपर्स प्रा0लि0 की 2985.03 एकड़ तथा सन सिटी हाई-टेक इन्फ्रा प्रा0लि0 की 717.94 एकड़) महायोजना 2021 में हाई-टेक टाउनशिप के रूप में सांकेतिक रूप से चिन्हित थी, जिस पर विकासकर्ताओं द्वारा 572.48 करोड़ रुपए का भूउपयोग परिवर्तन शुल्क देय था।

तत्कालीन राज्य सरकार के 23 अप्रैल, 2010 के आदेश के कारण यह शुल्क नहीं लगाया गया। इस प्रकार कृषि भूमि का भू उपयोग बिना भू उपयोग परिवर्तन शुल्क लगाए आवासीय भूमि में परिवर्तित कर दिया गया।

इससे स्पष्ट होता है कि विकासकर्ताओं को अनुचित लाभ दिया गया और प्राधिकरण को 572.48 करोड़ रुपए की हानि हुई। प्रदेश सरकार द्वारा महालेखाकार की रिपोर्ट के संदर्भ में विधि व्यवस्था के अनुसार अग्रिम कार्यवाही की जाएगी।