4 घंटों में केरल समेत 3 राज्यों में भारी बारिश की आशंका, कुल्लू में भारी बारिश के चलते लैंड स्लाइड

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(www.arya-tv.com) भारत के मौसम विभाग यानी IMD के मुताबिक, 24 घंटों में केरल समेत 3 राज्यों में भारी बारिश की आशंका है। 13 राज्यों में हल्की से मध्यम बारिश होने का अलर्ट जारी किया गया है। जम्मू कश्मीर और हिमालय के कुछ इलाकों में बर्फबारी होने की संभावना है। वहीं, अन्य राज्यों में मौसम साफ रहने का अनुमान है।

मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, अल नीनो और वेस्टर्न डिस्टर्बेंस के कारण मई के महीने में मौसम में यह बदलाव हुआ है। IMD के मुताबिक, 3 राज्य- केरल, तमिलनाडु और अरुणाचल प्रदेश में भारी बारिश की संभावना है। वहीं, 13 राज्य- सिक्किम, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, बिहार, झारखंड, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान और गुजरात में हल्की से मध्यम बारिश होने का अनुमान है।

15 दिन से जारी बेमौसम बारिश से देश के 18 राज्यों में फल और सब्जी की फसलें प्रभावित हुई हैं। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में प्याज की फसलों को बड़ा नुकसान हुआ है। उत्तर प्रदेश में आलू और पंजाब, दिल्ली समेत अधिकांश राज्यों में हरी सब्जियों की फसलों को ज्यादा नुकसान पहुंचा है।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAI) के अनुसार, हरी सब्जियों की फसलें बड़े पैमाने पर खराब हुई हैं। इससे इनके दामों में बढ़ोतरी की आशंका बनी हुई है। अंगूर की अंतिम फसल खराब होने का असर बाजारों में किशमिश के दामों पर दिखेगा। आलू-प्याज का नुकसान सब्जियों जितना नहीं है। पिछले 15 दिनों से हो रही बारिश आम की पैदावार 15% तक घटाएगी। मौसम विभाग ने आगे भी बारिश की आशंका जताई है। गुरुवार को दिल्ली में 122 साल के इतिहास में मई के महीने में तीसरी सबसे ठंडी सुबह देखी गई। यह आंकड़ा इसलिए क्योंकि 1901 से भारत मौसम विज्ञान विभाग ने मौसम का रिकॉर्ड रखना शुरू किया था।

26 अप्रैल के आसपास एक तेज पश्चिमी विक्षोभ यानी वेस्टर्न डिसटबेंस ने हिमालय क्षेत्र को प्रभावित किया है। इसकी वजह से न केवल देश के पहाड़ी इलाकों में बल्कि मैदानी इलाकों में भी लगभग हफ्ते भर बारिश हुई, जिससे तापमान में गिरावट देखी गई। कुछ साइंटिस्ट के मुताबिक, अल नीनो की वजह से भी मौसम में ऐसे बदलाव देखे जाते है। अल नीनो आमतौर पर अप्रैल और मई के दौरान प्री-मानसून बारिश में एक बड़ा नेचुरल बदलाव लाता है।

संयुक्त राष्ट्र के विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के मुताबिक, अल नीनो जुलाई के अंत तक 60 फीसदी और सितंबर के अंत तक 80 फीसदी की आशंका के साथ उभर सकता है। इसका असर पूरी दुनिया के जलवायु और मौसम के पैटर्न पर होगा।

भारत मौसम विज्ञान विभाग यानी IMD के सीनियर साइंटिस्ट राजेंद्र कुमार के मुताबिक, यह पूरी तरह से असामान्य नहीं है, लेकिन बहुत आम भी नहीं है। मौसम में ऐसा बदलाव कई सालों में एक बार होता है। यह एक एक्टिव पश्चिमी मिड एल्टिट्यूड वेदर सिस्टम था, जो बहुत तीव्र था। इसका प्रभाव मैदानी इलाकों में देखा गया था। लगातार हुई बारिश ने तापमान को काफी नीचे ला दिया है।

प्रशांत महासागर में पेरू के निकट समुद्री तट के गर्म होने की घटना को अल-नीनो कहा जाता है। आसान भाषा में समझे तो समुद्र का तापमान और वायुमंडलीय परिस्थितियों में जो बदलाव आते हैं उस समुद्री घटना को अल नीनो का नाम दिया गया है। इस बदलाव की वजह से समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से 4-5 डिग्री ज्यादा हो जाता है। इसका असर दक्षिण-पश्चिम मानसून पर पड़ता है, जिससे कुछ हिस्सों में भारी वर्षा होती है तो कुछ हिस्सों में सूखे की गंभीर स्थिति भी सामने आती है।