वाराणसी में ज्ञानवापी-शृंगार गौरी समेत 10 मुकदमों की सुनवाई आज

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(www.arya-tv.com) वाराणसी जिला एवं सत्र न्यायालय में बुधवार को ज्ञानवापी-शृंगार गौरी वाद के साथ जुड़े सात मामलों समेत कुल दस वाद सुने जाएंगे। जिला जज समेत अन्य अदालतों में लंबित इन दस केस की सुनवाई दोपहर बाद होगी। जिला जज ज्ञानवापी से संबंधित सात मुकदमों की एक साथ सुनवाई का शेड्यूल भी तय करेंगे। कोर्ट ने केस से जुड़े वादकारियों को तलब किया है। वहीं अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की रिवीजन याचिका पर मुस्लिम पक्ष जवाब दाखिल करेगा।

वाराणसी जिला जज की अदालत में एक महीने बाद आज सुनवाई और शेड्यूल तय होगा। हिंदू पक्ष की ओर से 7 केस एक साथ सुनने की दाखिल याचिका पर जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश हर केस में सुनवाई की नई व्यवस्था देंगे। ज्ञानवापी से जुड़े श्रृंगार गौरी वाद की महिला वादिनी लक्ष्मी देवी, रेखा पाठक, सीता साहू व मंजू व्यास ने जिला जज की अदालत में प्रार्थना पत्र देकर सात मामलों की सुनवाई एक साथ, एक ही अदालत में करने की मांग की थी। सभी मामलों की सुनवाई एक कोर्ट में होने की याचिका पर जिला जज ने 22 मई को सभी केस को साथ सुनने का आदेश दिया था। कहा कि सभी वाद का शेड्यूल तय करते हुए सभी की सुनवाई एक साथ चलेगी। आज दोनों पक्षों की मौजूदगी में जिला जज ने ज्ञानवापी शृंगार गौरी वाद के साथ 7 मामलों की एक साथ सुनवाई करेंगे और शेड्यूल तय होगा।

दिसंबर 2022 की याचिका पर मई में फैसला

ज्ञानवापी से जुड़े शृंगार गौरी वाद की महिला वादियों (रेखा, सीता, मंजू, लक्ष्मी) ने पिछले साल दिसंबर में जिला जज की कोर्ट में एप्लिकेशन देकर 7 मामलों की सुनवाई एक साथ, एक ही कोर्ट में करने की मांग की थी। इसमें 6 सिविल जज सीनियर और किरन सिंह विसेन का एक केस 712/2022 भगवान आदि विश्वेश्वर केस फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रहा था। इस केस पर जिला जज की अदालत ने 17 अप्रैल को आदेश पारित किया था कि उनकी कोर्ट में सभी 7 मामलों की फाइलों को रखा जाए। 17 अप्रैल को कोर्ट के आदेश के बाद पहली बार 6 सिविल कोर्ट और एक फास्ट ट्रैक कोर्ट से सभी 7 याचिकाओं को निकाल एक साथ जिला जज के सामने रखा गया। कोर्ट ने सुनवाई के लिए 12 मई की नई तारीख दी। 12 को सुनवाई न हो पाने के बाद 16 मई, 19 मई और फिर 22 मई की तारीख दी थी। जिला जज ने 22 मई को सभी केस को साथ सुनने का आदेश दिया था। जिन 7 मामलों को क्लब किया गया उसमें शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की भी याचिका शामिल है। इसमें उन्होंने वजूखाने में मिले कथित शिवलिंग को आदि विश्वेश्वर का सबसे पुराना शिवलिंग बताया था। जिनके राग-भोग, पूजा-दर्शन की मांग की गई है।