श्रृंगार गौरी केस में मसाजिद कमेटी ने हाईकोर्ट में जिला जज के आदेश को दी है चुनौती

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(www.arya-tv.com)ज्ञानवापी परिसर में श्रृंगार गौरी व अन्य मंदिरों में नियमित पूजा के अधिकार को लेकर वाराणसी की जिला अदालत के फैसले की चुनौती याचिका पर बुधवार को भी बहस होगी। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की पुनरीक्षण याचिका पर जस्टिस जेजे मुनीर सुनवाई कर रहे हैं। लंच के बाद यह केस पुटअप होने की उम्मीद है

काल्पनिक मंदिर में पूजा की अनुमति नहीं दी जा सकती
मंगलवार को हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई की याची की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी ने बहस की। नकवी का कहना है कि वाद कारण तीन 1990,1993, व 21 अप्रैल 21 बताया गया है, जो स्वयं में स्पष्ट नहीं है। सिविल वाद पूजा के अधिकार को लेकर दाखिल किया गया है। किसी लिखित आदेश नहीं मौखिक आदेश से सरकार द्वारा पूजा के अधिकार से वंचित करने को लेकर वाद दायर किया गया है।

नकवी का कहना है कि काल्पनिक मंदिर में पूजा की इजाजत मांगी गई है। ऐसी मूर्ति की पूजा की मांग की गई है जो अदृश्य है। यदि यह मांग मान ली गयी तो धार्मिक स्थल का स्वरूप बदल जायेगा।परोक्ष रूप से 1991 के प्लेसेस आप वर्शिप एक्ट के खिलाफ होगा। हालांकि कि कोर्ट कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में मस्जिद ढांचे की दीवाल पर श्रृंगार गौरी की पूजा का जिक्र किया गया है। नकवी ने कहा 1990 मे पूजा को लेकर कोई नहीं बोला। 18 केस दाखिल हुए हैं। सिविल वाद की मांग बिना दूसरे को हटाये पूरी नहीं की जा सकती। सवाल उठा कि पुराना मंदिर व मस्जिद का विवाद है जो बिना साक्ष्य के तय नहीं किया जा सकता।