गीडा में 20 एकड़ में बनेगा गीता प्रेस, 5 करोड़ की लगेगी हाईटेक मशीन; गीता प्रेस का होगा विस्तार

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(www.arya-tv.com) गोरखपुर की गीता प्रेस का विस्तार किया जाएगा। गीडा में 20 एकड़ में गीता प्रेस बनाया जाएगा। करीब 5 करोड़ की हाईटेक मशीनें लगाकर प्रेस को हाईटेक बनाया जाएगा। तैयारी है कि एक ही मशीन से पूरा प्रोडक्शन किया जाए। ये सारी कवायद गीता प्रेस में छपने वाली किताबों की मांग बढ़ने के बाद की जा रही है।

 गीता प्रेस को लेकर पीएम मोदी ने  कहा था…

गीता प्रेस विश्व का ऐसा इकलौता प्रिंटिंग प्रेस है, जो सिर्फ संस्था नहीं, बल्कि जीवंत आस्था है। मानव मूल्यों को बचाने के लिए गीता प्रेस जैसी संस्थाएं जन्म लेती हैं। गीता प्रेस का कार्यालय करोड़ों-करोड़ लोगों के लिए किसी मंदिर से कम नहीं है। इसके नाम और काम में भी गीता है। जहां गीता है वहां साक्षात कृष्ण भी हैं। वहां करुणा है, ज्ञान का बोध भी है, हां विज्ञान का शोध भी है। यहां सब वासुदेवमय है। यहां की किताबों ने घर-घर में संस्कृति और विरासत पहुंचाई “

यह शब्द हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के। 7 जुलाई को पीएम मोदी गोरखपुर गीता प्रेस के शताब्दी वर्ष समापन समारोह में पहुंचे थे। इस दौरान पीएम मोदी ने गीता प्रेस के लिए कहा,”गोरखपुर संतों की कर्मस्थली है, ये गोरखपुर की गीता प्रेस। जब संतों का आशीर्वाद फलीभूत होता है, तब ऐसे संस्थान बनते हैं।”

चर्चा के साथ विवादों में भी रहा गीता प्रेस
वहीं, इससे पहले केंद्र सरकार ने 2021 का गांधी शांति पुरस्कार गीता प्रेस (गोरखपुर) को देने की घोषणा की थी। लेकिन, सरकार की इस घोषणा के बाद ही अचानक गीता प्रेस विवादों और चर्चा में आ गया। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा था- केंद्र सरकार का यह फैसला सावरकर और नाथूराम गोडसे को सम्मान देने जैसा है। जबकि, इससे पहले भी दिनों काफी वक्त गीता प्रेस सुर्खियों में रहा है। कभी बंद होने की अफवाहों की वजह से तो कभी रामचरितमानस की चौपाई विवाद की वजह से।

गीडा में मांगी गई 20 एकड़ जमीन
लेकिन, इन सब के बीच अब गीता प्रेस का विस्तार होने जा रहा है। गोरखपुर के गीता प्रेस को अब और बड़े पैमाने पर गीडा में शिफ्ट करने की तैयारी है। इसे लेकर गीता प्रेस ट्रस्ट की ओर से शासन को प्रस्ताव भी भेजा जा चुका है। जिसमें ट्रस्ट ने शासन से गीडा में 20 एकड़ जमीन की डिमांड की है। ताकि, गीता प्रेस का विस्तार कर यहां से प्रकाशित होने वाली सनातन धर्म ग्रंथों को दुनियां भर में प्रसारित भी किया जा सके।