स्मारक घोटाला:पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी से 5 घंटे में पूछे गए 150 सवाल

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(www.arya-tv.com)बसपा (बहुजन समाजवादी पार्टी) सरकार में लखनऊ और नोएडा में हुए करीब 4200 करोड़ रुपए के स्मारक घोटाले में दो पूर्व मंत्रियों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। घोटाले की जांच कर रही विजिलेंस ने सीधे तौर पर जिम्मेदार तत्कालीन लोक निर्माण मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी से 5 घंटे तक कड़ी पूछताछ की। मिले जवाबों के आधार पर सवाल तैयार करके 23 जुलाई को तत्कालीन खनन मंत्री बाबूसिंह कुशवाहा को बयान दर्ज करवाने के लिए बुलाया गया है।

2022 के विधानसभा चुनाव से पहले तेज हुई स्मारक घोटाले की जांच कैबिनेट मंत्री रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी और तत्कालीन खनन मंत्री बाबूसिंह कुशवाहा के लिए गले की हड्डी बनती जा रही है। मामले की जांच कर रही विजिलेंस ने 19 जुलाई को नसीमुद्दीन सिद्दीकी को ऑफिस बुलाकर कड़ी पूछताछ की। इस दौरान इनसे करीब 150 सवाल किए गए थे।

विजिलेंस अफसरों का कहना है कि नसीमुद्दीन ने जांच में मदद का आश्वासन देकर बड़ी शालीनता से हर सवाल का जवाब दिया। मगर घोटाले में उनकी कोई भूमिका नहीं थी, ऐसा कोई सटीक जवाब उनके पास नहीं था। विजिलेंस ने दूसरे फेज में बाबूसिंह कुशवाहा को बुलाया है। सूत्रों का कहना है कि नसीमुद्दीन के जवाबों के आधार पर बाबूसिंह कुशवाहा के लिए सवाल तैयार किए गए हैं।

CM की नाराजगी देख तेज हुई जांच, अफसरों के इशारे पर बचाने का भी प्रयास
स्मारक घोटाले का केस 2014 में दर्ज करने के बाद खामोश बैठी विजिलेंस की टीम CM योगी आदित्यनाथ की नाराजगी के बाद 2 महीने पहले एक्टिव हुई। आनन-फानन में सीएम को प्रगति रिपोर्ट दिखाने के लिए घोटाले के मास्टरमाइंड तत्कालीन वित्तीय परामर्शदाता विमलकांत मुद्गल, महाप्रबंधक तकनीकी एसके त्यागी, महाप्रबंधक सोडिक कृष्ण कुमार और इकाई प्रभारी कामेश्वर शर्मा को गिरफ्तार किया था। मगर अफसरों के इशारे पर इन्हें बचाने की जुगत भी निकाली गई। इतने बड़े घोटाले के कर्ताधर्ता इन पूर्व अफसरों के खिलाफ अभियोजन ने कोई ठोस साक्ष्य ही पेश नहीं किया। जिसकी वजह से पिछले सप्ताह वीके मुद्गल, एसके त्यागी और कामेश्वर शर्मा को कोर्ट ने जमानत दे दी। कृष्ण कुमार की जेल में रहते हुए ही बीमारी से मौत हो गई थी। हालांकि, जांच अफसरों का कहना है कि सभी आरोपियों को मेडिकल ग्राउंड पर जमानत मिली है।

पत्थर सप्लायरों और छोटे कर्मचारियों तक ही न सिमट जाए विजिलेंस की कार्रवाई
मामले की सुनवाई कर रही MP-MLA कोर्ट ने जिन 3 पूर्व अफसरों को जमानत दी है। उन्हें विजिलेंस ने घोटाले का मुख्य आरोपी बताकर गिरफ्तार किया था। इन्हें इतनी आसानी से जमानत मिलने के बाद कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं। आरोप लग रहे हैं कि घोटाले के बाकी आरोपियों को भी बचाने की जमीन तैयार की गई है। सरकार के दबाव में विजिलेंस को अगर अन्य आरोपियों को गिरफ्तार भी करना पड़ा तो इन तीन आरोपियों की जमानत को आधार बनाकर बाकी आरोपी भी कुछ ही दिनों में सलाखों से बाहर आ जाएंगे। ऐसे में संभव है कि पूरे घोटाले का ठीकरा मिर्जापुर के पत्थर सप्लायरों और छोटे कर्मचारियों के सिर फोड़ दिया जाए। यही वजह है कि तीनों अफसरों के जमानत की जानकारी शासन तक नही पहुंच पाई है। इतना ही नहीं खुद डायरेक्टर विजिलेंस PV रामा शास्त्री का कहना है कि उन्हें भी आरोपियों के जमानत की खबर नहीं है।

नसीमुद्दीन के आवास पर ही होती थी बैठक
विजिलेंस सूत्रों के मुताबिक, स्मारक निर्माण के लिए निर्माण निमग द्वारा कराए जा रहे कामों की समीक्षा तत्कालीन PWD मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी करते थे। उच्चाधिकारियों की बैठक भी नसीमुद्दीन के आवास पर ही होती थी। निर्माण कार्यों की मॉनिटरिंग भी यही करते थे। इसी तरह बाबूसिंह कुशवाहा के आवास पर भी उच्चाधिकारियों की बैठक होती थी।

राजनीतिक संरक्षण पाने वाले अफसरों के जल्द होंगे बयान
विजिलेंस की जांच में सामने आया कि स्मारक घोटाले में शामिल अफसरों को राजनीतिक संरक्षण मिला था। इसमें सबसे अहम तत्कालीन संयुक्त निदेश खनन एसए फारुकी थे, जिनके खिलाफ विजिलेंस ने करीब 6 महीने पहले ही चार्जशीट दाखिल की थी। फारुकी 31 दिसंबर 2008 को रिटायर हो गए थे। इसके बाद उन्हें निदेशालय में सलाहकार बना दिया गया था। 26 अप्रैल 2011 तक वह सलाहकार के पद पर रहे। मामले में विजिलेंस ने 28 जून को मिर्जापुर के पत्थर खदानों के पट्टाधारक किशोरीलाल और रमेश कुमार को भी गिरफ्तार कर जेल भेजा था। बाकी अधिकारियों से जल्द पूछताछ हो सकती है।