गोरखपुर (www.arya-tv.com) दीनदयाल गोरखपुर विश्वविद्यालय के वार्षिक परीक्षा में बुधवार को बड़ी अनियमितता सामने आई। सुबह की पाली में विवि के कला संकाय में सुबह साढ़े सात बजे से बीए अंग्रेजी द्वितीय वर्ष अंग्रेजी ब्रिट्रिश प्रोज एंड नावेल आफ नाइनटींथ एंड ट्वनटींथ सेंचुरी प्रश्नपत्र की परीक्षा थी। जैसे ही अंग्रेजी का प्रश्नपत्र परीक्षार्थियों को मिला वे हतप्रभ रहे गए।
क्योंकि पेपर का शीर्षक ताे सही था, लेकिन पेपर के अंदर के सभी प्रश्न बीए प्रथम वर्ष अंग्रेजी ड्रामा से संबंधित थे। इसको देखते ही विद्यार्थी उग्र हो गए। बाद में किसी तरह विवि प्रशासन ने विद्यार्थियों को समझाया, जिसके बाद वह शांत हुए। विवि केंद्र पर इस विषय के एक हजार परीक्षार्थी पंजीकृत थे।
गुआक्टा ने इस गड़बड़ी के लिए विवि प्रशासन को ठहराया जिम्मेदार
इधर सूचना मिलते ही केंद्राध्यक्ष डा.अमित कुमार उपाध्याय तत्काल कला संकाय भवन पहुंचे और वहीं से अंग्रेजी के विभागाध्यक्ष प्रो.अजय शुक्ला व परीक्षा नियंत्रक डा.अमरेंद्र कुमार सिंह को इस गड़बड़ी की जानकारी दी। जिसके बाद विवि प्रशासन ने छात्रहित में तत्काल निर्णय लेते हुए इस प्रश्नपत्र की परीक्षा स्थगित कर दी।
इसके बाद केंद्राध्यक्ष अपनी टीम के साथ सभी कक्षों में जाकर विद्यार्थियों से उनके हित में निर्णय लेने की बात बताई। जिसके बाद विद्यार्थी शांत हुए और परीक्षा कक्ष से निकले। इस पूरी प्रक्रिया में आधे घंटे से अधिक का समय लग गया। इस मामले पर रोष जताते हुए गुआक्टा ने इस गड़बड़ी के लिए सीधे तौर विवि प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है।
महाविद्यालयाें में भी उग्र हुए विद्यार्थी
परीक्षा के दौरान प्रश्नपत्र गलत बंट जाने के मामले में सिर्फ विवि परीक्षा केंद्र ही नहीं बल्कि संत विनोबा पीजी कालेज देवरिया, बीआरडीपीजी कालेज बरहज तथा दिग्विजयनाथ पीजी कालेज गोरखपुर में भी विद्यार्थी उग्र हुए। हालांकि महाविद्यालय प्रशासन के प्रयास से बाद में वे शांत हुए और अपने-अपने घरों को लौटे।
कला संकाय में जैसे ही परीक्षा शुरू हुई ओर विद्यार्थियों काे अंग्रेजी का प्रश्नपत्र गलत मिलने की सूचना मिली। मैं तत्काल मौके पर गया और छात्रों से वार्ता कर विवि प्रशासन को इसकी सूचना दी। जिसके बाद विवि प्रशासन ने छात्रहित में निर्णय लेते हुए परीक्षा स्थगित कर दी। परीक्षा की अगली तिथि जल्द ही घोषित की जाएगी
विवि प्रशासन परीक्षा कराने को लेकर गंभीर नहीं है। माडरेशन को लेकर गंभीरता नहीं बरतने के कारण इस तरह की अनियमितता हुई है। इसकी जिम्मेदारी कुलपति को लेनी चाहिए।