(www.arya-tv.com) आगरा पुलिस का एक बार फिर अमानवीय चेहरा सामने आया है। पहले युवक के शव को परिजनों से छीनकर पोस्टमार्टम कराया गया। अब शव का जबरन अंतिम संस्कार करा दिया। शव जब घर पहुंचा तो परिजन उसे ठीक से देख भी नहीं पाये कि पुलिस ने हड़बड़ी दिखाते हुए उसका अंतिम संस्कार करा दिया। मृतक के पांच बच्चे हैं, वे कह रहे हैं कि उनके पिता की मौत पुलिस कस्टडी में हुई है। घटना को दबाने के लिए पुलिस इस तरह का व्यवहार कर रही है। मृतक के परिजन एवं आसपास के लोग बुधवार सुबह सड़क पर उतर आए और जाम लगाकर दोषी पुलिस कर्मियाें के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने लगे। मौके पर पुलिस फोर्स पहुंच गया और उन्हें शांत करने की कोशिश में जुट गया।
मौत पुलिस कस्टडी में हुई
बता दें कि बुढ़ान सईद थाना हरीपर्वत निवासी भगवानदास की कल मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि उसकी मौत पुलिस कस्टडी में हुई है। उसके साथ पुलिस ने मारपीट की और उन्हें मार डाला। मृत हालत में उसे हॉस्पिटल भिजवा दिया। जब पुलिस के खिलाफ उन्होंने विरोध जताया तो मंगलवार को पुलिस शव छीन ले गई और उसका पोस्टमार्टम करा दिए। पोस्टमार्टम के बाद शव घर आया तो परिजन उसे ठीक से देख भी नहीं पाए पुलिस ने जबरन तरीके से उसका दाहसंस्कार करा दिया। भगवान दास की मौत की जिम्मेदार पुलिस है और मामले को दबाने के लिए वह ऐसा व्यवहार कर रही है।
पुलिस ने उनके मरने की कोई सूचना नहीं दी
मृतक भगवान दास राठौर ऑटो चालक है। उस पर चार बेटियां और एक बेटा है। पिता का साया उठने के बाद पत्नी और बच्चे चीख-चीखकर कह रहे हैं कि उनके पिता को पुलिस ने मार डाला। सफाई में पुलिस जो कह रही है, उसे आटो चालक की पत्नी और बेटी फर्जी बता रही है। पुलिस ने अपनी बेगुनाही के लिए परिजनों को भगवान दास का भागते समय का वीडियो भी दिखाया। परिजनों का आरोप है कि भगवानदास पुलिस के डंडे से मरा है।
उजागर हुई पुलिस की करतूत
पुलिस ने उनके मरने की कोई सूचना नहीं दी। जबकि मृतक भगवान दास के पास मोबाइल और ड्राइविंग लाइसेंस भी था। पुलिस कह रही है कि सायरन सुनकर भगवान दास भागा था और भागते समय गिरने से उनकी मौत हो गई। इस पर सवाल उठता है कि उसे खुद पुलिस एसएन इमरजेंसी क्यों नहीं ले गई। भगवान दास के शव पर चोट के निशान कहां से आए। भगवान दास की जेब में रखे पैसे कहां गए। इन सभी सवालों का जवाब परिजन पुलिस से पूछ रहे हैं।