पहली फिल्म ‘गरम हवा’ में मुफ़्त में काम करने को राजी हो गए थे फारुख शेख

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(www.arya-tv.com)मशहूर फिल्म अभिनेता फारुख शेख का 25 मार्च को 73वां जन्मदिन है। बेशक फारुख इस दुनिया को अलविदा कह चुके हैं, लेकिन उनके जन्मदिन पर उनके फैंस ने उन्हें दिल से याद करते हैं।

फारुख ने न सिर्फ बड़े पर्दे पर, बल्कि छोटे पर्दे पर भी अपनी एक खास पहचान बनाई थी। पर्दे पर उनकी छवि एक सीधे और सरल इंसान की थी। वैसे, असल जिंदगी में भी फारुख शेख ऐसे ही थे। वह अपने पांच भाई-बहनों में सबसे बड़े थे।

उनके पिता मुस्तफा शेख मुंबई के एक प्रतिष्ठित वकील थे और मां फरीदा शेख गृहिणी थी। मुंबई के सेंट मैरी स्कूल में फारुख ने पढ़ाई की। यहां वह पढ़ाई के साथ तमाम नाटकों और खेल-कूद की गतिविधियों में भी हिस्सा लेते थे। फारुख ने हमेशा कहा कि उनके अंदर जो संस्कार और सादगी आई, वह उनके पिता के व्यक्तित्व की देन थे।

‘गरम हवा’ से रखा फिल्मों में कदम

25 मार्च 1948 को जन्‍मे फारुख शेख ने साल 1973 में ‘गरम हवा’ से अपने अभिनय की शुरुआत की थी। यह फिल्‍म काफी हिट हुई थी। इस फिल्म के बाद उन्‍होंने साल 1977 में आई ‘शतरंज के खिलाड़ी’, 1979 में ‘नूरी’, 1981 में ‘चश्‍मे बद्दूर’, 1983 में ‘किसी से न कहना’ में शानदार अभिनय किया था।

पहली फिल्म को फ्री में करने के लिए हो गए थे राजी

फारुख शेख ने अपनी पहली फिल्म ‘गरम हवा’ में मुफ्त में काम करने को हामी भरी थी। रमेश सथ्यू यह फिल्म बना रहे थे और उन्हें ऐसे कलाकार की जरूरत थी, जो बिना फीस लिए तारीखें दे दें। वैसे, इस फिल्म के लिए फारुख शेख को 750 रुपये मिले, लेकिन तुरंत नहीं, बल्कि पांच साल बाद।

फारुख शेख और दीप्ति नवल

दीप्ति नवल और फारुख शेख की जोड़ी 80 के दशक की सबसे हिट जोड़ी रही। दर्शक इन्हें फिल्मों में एक साथ देखना चाहते थे। इन दोनों ने एक साथ मिलकर कई फिल्में की इसमें चश्मे बद्दूर (1981), साथ-साथ (1982), किसी से न कहना (1983), कथा (1983), रंग-बिरंगी (1983) जैसी फिल्मों में काम किया। इस जोड़ी की आखिरी फिल्म ‘लिसेन अमाया’ 2013 में रिलीज हुई।