PIB का नियम-फर्जी हुई खबर तो हटानी होगी:एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया को आपत्ति

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(www.arya-tv.com)  दो दिन पहले इलेक्ट्रॉनिक्स और इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मिनिस्ट्री ने (MEITY) ने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के मसौदे में संशोधन जारी किया था। जिसमें ये कहा गया है कि ऐसी खबरें जिन्हें प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो फर्जी मानेगा, मीडिया कंपनियों को वे खबरें इंटरनेट और अन्य प्लेटफॉर्म से हटानी पड़ेंगी।

मंत्रालय के इस संशोधन पर संपादकों की संस्था एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने आपत्ति दर्ज की है। एक बयान में संस्था ने इस मसौदे को खत्म किए जाने की मांग की है।

पहले जानिए क्या कहता है मसौदा संशोधन
मसौदे के मुताबिक प्रेस इंफारमेशन ब्यूरो, सरकार की फैक्ट चेक एजेंसी और किसी भी सरकारी विभाग को कोई खबर फर्जी या गलत लगती है तो वह उसे बैन कर सकता है। यानी इसके बाद इंटरनेट,सोशल मीडिया प्लेटफार्म और सभी तरह के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से वह खबर हटा दी जाएंगी।

खबरें हटाने की जिम्मेदारी के तहत ऐसे लॉजिकल एफर्ट्स लागने होने जिनसे यूजर्स ऐसी फेक तय की गई खबरों को होस्ट, डिस्प्ले, अपलोड, मॉडिफाई, पब्लिश, ट्रांसमिट, स्टोर, अपडेट या शेयर नहीं कर पाएं।

सीधी भाषा में जिन खबरों को प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो फर्जी मानेगा, मीडिया कंपनियों को वे खबरें इंटरनेट और अन्य प्लेटफॉर्म से डिलीट करनी पड़ेंगी।

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया क्यों कर रहा है विरोध
EGI ने ट्विटर पर एक प्रेस स्टेटमेंट शेयर किया है। जिसमें PIB से मांग की गई है कि वह अपना मसौदा संशोधन खत्म कर दे। संस्था का कहना है कि कोई खबर फर्जी है ये बताने का जिम्मा अकेले सरकार के हाथ में नहीं हो सकता। यदि ऐसा हुआ तो इससे सेंसरशिप जैसे हालात बन जाएंगे। ये बात भी ध्यान देने वाली है कि फैक्चुअली गलत कंटेंट से निपटने के लिए पहले से ही कई कानून बने हैं।

EGI ने यह भी कहा कि- ये संशोधन प्रेस की स्वतंत्रता को खत्म करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो या फैक्ट चेक एजेंसियां मीडिया कंपनियों या ऑनलाइन मीडिएटर कंपनियों को वे खबरें हटाने के लिए मजबूर कर सकती हैं, जिनसे सरकार को परेशानी हो सकती है।

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया का मानना है कि सरकार का यह कदम सरकार की वैध आलोचना का गला घोंट देगा। साथ ही सरकारों को जिम्मेदार ठहराने की प्रेस की काबिलियत पर उल्टा असर डालेगा।

EGI ने पहले भी दर्ज की थी आपत्ति
गिल्ड ने पहले भी इस संशोधन पर अपनी चिंता जाहिर की थी। जब मार्च 2021 में इन्हें पहली बार पेश किया गया था। तब गिल्ड ये कहा था कि ये नियम केंद्र सरकार को बिना किसी न्यायिक निरीक्षण के देश में कहीं भी पब्लिश खबरों को ब्लॉक करने, हटाने या बदलने का अधिकार देते हैं।

गिल्ड ने कहा था कि इन नियमों के विभिन्न प्रावधानों में डिजिटल न्यूज मीडिया समेत बड़े पैमाने पर मीडिया पर अनुचित प्रतिबंध लगाने की क्षमता है।