क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग पर ‘ड्रैगन’ ने लगाया बैन, जो कि भारत के लिए बना वरदान

Business

(www.arya-tv.com) दुनियाभर में आज डिजिटल कॉइंस की कीमतों में तेज गिरावट आई। यह शुक्रवार को चीन के सेंट्रल बैंक (RBI जैसे) के उठाए एक कदम के चलते हुआ। पीपल्स बैंक ऑफ चाइना ने क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी सभी तरह की गतिविधियों को अवैध करार दिया है। उसने इसे ‘राष्ट्रहित और जनता की संपत्ति’ को सुरक्षित रखने के मकसद से उठाया गया कदम बताया है।

चीन का बैन भारत के लिए वरदान
चीन में क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग और ट्रेडिंग पर बैन लगना भारत के लिए वरदान साबित हो सकता है। इंडस्ट्री के दिग्गजों के मुताबिक क्रिप्टो टेक्नोलॉजी इंडिया को इस क्षेत्र में ग्लोबल लीडर बना सकती है। वजीरएक्स के सीईओ निश्छल शेट्टी के मुताबिक, ‘क्रिप्टो 5 लाख करोड़ डॉलर की इकोनॉमी बनने के विजन को हासिल करने में अहम रोल अदा कर सकती है।’

बिटकॉइन मार्केट में 9% की गिरावट
कॉइन मार्केट कैप के डेटा के मुताबिक, चीन में क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगने के तीन घंटे के भीतर बिटकॉइन में लगभग 9% की तेज गिरावट आई थी। इसकी कीमत 45,000 डॉलर से गिरकर 40,900 डॉलर रह गई थी। भारतीय समय के मुताबिक, दोपहर 1.50 बजे बिटकॉइन चौबीस घंटे पहले के रेट से लगभग 6.3% नीचे 42,170 डॉलर था। चीन में लोगों ने बिटकॉइन और टेथर जैसे डिजिटल कॉइंस में मोटी रकम लगाई हुई है। उनमें विदेश में कारोबार करने वाली बिजनेस कम्युनिटी से लेकर आम जनता तक शामिल है।

हवाला गतिविधियों में हो रहा इस्तेमाल
डिजिटल कॉइंस पीपल्स बैक ऑफ चाइना के रेग्युलेटरी कंट्रोल में नहीं हैं, इसलिए उसका मानना है कि इनका इस्तेमाल हवाला गतिविधियों में हो रहा है। उसने कहा है कि डिजिटल करेंसी से जुड़ी एक्टिविटी पर बैन नहीं मानने वालों के खिलाफ आपराधिक जांच शुरू की जाएगी। लेकिन जिन लोगों के पास क्रिप्टो करेंसी हैं, उन्हें उसे सरकारी खजाने में जमा कराने के लिए नहीं कहा गया है।

डिजिटल युआन के लिए कॉम्पिटिशन का सफाया
जानकारों के मुताबिक चीन सरकार क्रिप्टो करेंसी पर बैन लगाकर डिजिटल युआन (नेशनल करेंसी) के लिए कॉम्पिटिशन को खत्म करना चाहती है। लेकिन वह यह नहीं चाहती कि क्रिप्टोकरेंसी के बाजार में उथल-पुथल मचे। ऐसा होने पर क्रिप्टोकरेंसी में निवेश की गई ‘देश की संपत्ति’ में तेज गिरावट आएगी।

विदेश में लिस्टेड कंपनियों के शेयर धारकों पर कंट्रोल
क्रिप्टोकरेंसी को बैन करने का कदम तब उठाया गया है, जब सरकार टेक कंपनियों और अमेरिका में लिस्टेड कंपनियों पर शिकंजा कसने में जुटी है। सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी को लगता है कि अमेरिका में लिस्टेड 248 कंपनियों के रईस शेयर धारकों पर उसका कंट्रोल कम हो रहा है और उन्हें काबू में रखने की जरूरत है। क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाने की यही वजह बताई गई है।

वर्चुअल करेंसी में सट्टेबाजी पर सख्ती से रोक
पीपल्स बैंक ऑफ चाइना ने कहा कि वह वर्चुअल करेंसी में होने वाली सट्टेबाजी और उससे जुड़े लेन-देन और उसके दुरुपयोग पर सख्ती से रोक लगाएगा। वह लोगों की संपत्ति के साथ ही देश की आर्थिक, वित्तीय और सामाजिक व्यवस्था को सुरक्षित रखने के मकसद से कदम उठाएगा।

क्रिप्टोकरेंसी की तीन चौथाई सप्लाई चीन से
चीन की सरकार काफी समय से देश में क्रिप्टोकरेंसी का प्रोडक्शन रोकने की कोशिश में जुटी हुई है। बिटकॉइन ट्रांजैक्शन और माइनिंग पर रोक लगाने से पहले वह इनिशियल कॉइन ऑफरिंग (ICO) पर बैन लगा चुकी है। दुनियाभर में क्रिप्टोकरेंसी की लगभग तीन चौथाई सप्लाई चीन से होती है। दरअसल, इसके प्रोडक्शन के लिए काफी बिजली की जरूरत होती है।