BBAU में अयोजित इंटरनेशनल साइंस कांग्रेस में डॉ राजेश्वर सिंह ने ग्रामीण विकास पर दिया जोर

Lucknow

(www.arya-tv.com)डॉ. राजेश्वर सिंह ने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में अयोजित इंटरनेशनल साइंस कांग्रेस ऑन रुरल टेक्नोलॉजी एंड डेवलपमेंट कार्यक्रम में ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल शिक्षा पहुंचाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में 80 करोड़ लोगों के सतत विकास के लिए कार्य किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा व डिजिटल शिक्षा पहुंचाना है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी की सुविधा ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंचाने की दिशा में हमें काम करना होगा। ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल शिक्षा पहुंचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। ताकि ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे भी भारत की विकास में अपना योगदान दें।

उन्होंने कहा कि आज के रिसर्चर कल के क्रिएटर हैं। भारत एक कृषि प्रधान देश है। जब देश आजाद हुआ था तो उत्पादन 54 मिलियन टन था जो आज 300 मिलियन टन से अधिक हो गया है। भावी शोधकर्ताओं व वैज्ञानिकों को नई तकनीक के माध्यम से खाद्य व दलहन उत्पादन में बढ़ोतरी करानी है, अच्छे बीज, गुणवत्तायुक्त उर्वरक उपलब्ध कराने है, फसल चक्र के माध्यम से उत्पादन बढ़ाना है।

भारत के सर्वांगीण विकास में ग्रामीण क्षेत्रों का विकास अति महत्वपूर्ण है। भारत सरकार ग्रामीण भारत के विकास को लेकर प्रतिबद्ध है। सरकार की ‘हर घर नल’ योजना के माध्यम से गांवों में भी शुद्ध पेयजल जल 11 करोड़ नल लगवाए गए हैं। उज्ज्वला योजना में गैस सिलेंडर दिए जा रहे है, मुफ्त राशन दिया जा रहा है, बिजली कनेक्शन पहुंच रहा है। यह सब विज्ञान और प्रौद्योगिकी के कारण ही संभव हुआ है। सरकार ग्रामीण भारत के विकास को लेकर निरंतर कार्य कर रही है।

कोविड काल में भारत के साइंटिस्ट और डॉक्टर्स ने भूमिका पर चर्चा करते हुए डॉ. राजेश्वर सिंह ने कहा कि इस महामारी में साइंटिस्ट और डॉक्टर्स फ्रंटलाइन वारियर की सशक्त भूमिका निभाई ​थी। उनकी मेहनत व लगन से ही आज भारत में प्रतिदिन 5 लाख पीपीई किट बनाने की क्षमता है। कोरोना से पहले देश में 2500 ( ढाई हजार ) आईसीयू बेड्स थे लेकिन आज ये संख्या डेढ लाख से अधिक है। आक्सीजन प्लांट जो पहले 150 भी नहीं थे आज डेढ हजार से ज्यादा हैं। 6 महीने के भीतर भारत के वैज्ञानिकों ने स्वदेश वैक्सीन बनाई जिसने इस खतरनाक महामारी प्रकोप को रोका।

उन्होंने कहा कि भारत की युवा शक्ति दुनिया के 5वें सबसे बड़े देश के बराबर है। हमारा कर्तव्य है कि हम युवाओं को प्रेरित करें ताकि वो अपने प्रगतिशील विचारों, नवीन प्रयोग व खोज से भारत को महाशक्ति के रूप में स्थापित करने में सशक्त भूमिका निभाएं।

 डॉ. राजेश्वर सिंह ने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में अयोजित इंटरनेशनल साइंस कांग्रेस ऑन रुरल टेक्नोलॉजी एंड डेवलपमेंट कार्यक्रम में ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल शिक्षा पहुंचाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में 80 करोड़ लोगों के सतत विकास के लिए कार्य किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा व डिजिटल शिक्षा पहुंचाना है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी की सुविधा ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंचाने की दिशा में हमें काम करना होगा। ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल शिक्षा पहुंचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। ताकि ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे भी भारत की विकास में अपना योगदान दें।

उन्होंने कहा कि आज के रिसर्चर कल के क्रिएटर हैं। भारत एक कृषि प्रधान देश है। जब देश आजाद हुआ था तो उत्पादन 54 मिलियन टन था जो आज 300 मिलियन टन से अधिक हो गया है। भावी शोधकर्ताओं व वैज्ञानिकों को नई तकनीक के माध्यम से खाद्य व दलहन उत्पादन में बढ़ोतरी करानी है, अच्छे बीज, गुणवत्तायुक्त उर्वरक उपलब्ध कराने है, फसल चक्र के माध्यम से उत्पादन बढ़ाना है।

भारत के सर्वांगीण विकास में ग्रामीण क्षेत्रों का विकास अति महत्वपूर्ण है। भारत सरकार ग्रामीण भारत के विकास को लेकर प्रतिबद्ध है। सरकार की ‘हर घर नल’ योजना के माध्यम से गांवों में भी शुद्ध पेयजल जल 11 करोड़ नल लगवाए गए हैं। उज्ज्वला योजना में गैस सिलेंडर दिए जा रहे है, मुफ्त राशन दिया जा रहा है, बिजली कनेक्शन पहुंच रहा है। यह सब विज्ञान और प्रौद्योगिकी के कारण ही संभव हुआ है। सरकार ग्रामीण भारत के विकास को लेकर निरंतर कार्य कर रही है।

कोविड काल में भारत के साइंटिस्ट और डॉक्टर्स ने भूमिका पर चर्चा करते हुए डॉ. राजेश्वर सिंह ने कहा कि इस महामारी में साइंटिस्ट और डॉक्टर्स फ्रंटलाइन वारियर की सशक्त भूमिका निभाई ​थी। उनकी मेहनत व लगन से ही आज भारत में प्रतिदिन 5 लाख पीपीई किट बनाने की क्षमता है। कोरोना से पहले देश में 2500 ( ढाई हजार ) आईसीयू बेड्स थे लेकिन आज ये संख्या डेढ लाख से अधिक है। आक्सीजन प्लांट जो पहले 150 भी नहीं थे आज डेढ हजार से ज्यादा हैं। 6 महीने के भीतर भारत के वैज्ञानिकों ने स्वदेश वैक्सीन बनाई जिसने इस खतरनाक महामारी प्रकोप को रोका।

उन्होंने कहा कि भारत की युवा शक्ति दुनिया के 5वें सबसे बड़े देश के बराबर है। हमारा कर्तव्य है कि हम युवाओं को प्रेरित करें ताकि वो अपने प्रगतिशील विचारों, नवीन प्रयोग व खोज से भारत को महाशक्ति के रूप में स्थापित करने में सशक्त भूमिका निभाएं।