प्रतिबंधों के बावजूद भारत के जरिए रूसी तेल खरीद रहे यूरोपीय देश, भारतीय तेल रिफाइनरियों ने बड़े मार्केट पर किया कब्जा

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(www.arya-tv.com) यूक्रेन पर हमले काे लेकर अमेरिका और यूरोपीय देशों ने रूस पर कई प्रतिबंध लगाए हुए हैं। साथ ही उससे ईंधन खरीदने पर रोक लगाई हुई है। जबकि भारत ने अमेरिका और यूरोप की धमकियों काे दरकिनार कर रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदने का फैसला किया। अब उसी रूसी तेल काे यूरोपीय देश भारत से रिफाइंड ईंधन के रूप में ज्यादा कीमत देकर खरीद रहे हैं।

हालात ये हैं कि भारतीय तेल रिफाइनरियों ने यूरोप के बड़े मार्केट पर कब्जा कर लिया है। डेटा से साफ है कि यूरोप भारत के जरिए रिकॉर्ड मात्रा में रिफाइन रूसी ईंधन खरीद रहा है और इसके बदले भारी मात्रा में भुगतान कर रहा है। इस वजह से यूरोपीय लाेगाें काे ईंधन पर टैक्स के रूप में अपनी जेब ढीली करनी पड़ रही है। प्रमुख क्रूड एनालिस्ट विक्टर कैटोना ने कहा, “तमाम प्रतिबंधों के बावजूद रूसी तेल यूरोप में वापस आ रहा है।

भारत का ईंधन निर्यात में तेजी इसका अच्छा उदाहरण है। इसलिए भारत रूस से बड़ी मात्रा में कच्चे तेल खरीद रहा है। पिछले साल अगस्त में सामने आया था कि यूरोपीय देश चीन से जिस LNG काे खरीद रहे हैं, वह रूस का है, जिसे चीन सस्ते में खरीदकर ज्यादा दाम में बेच रहा है। अब पेट्रोल, डीजल में ऐसा ही भारत कर रहा है। ब्लूमबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि रूसी तेल अभी भी भारत की मदद से यूरोप की ऊर्जा से जुड़ी जरूरतें पूरी कर रहा है।

भारत से यूरोप का रिफाइंड ईंधन आयात रोजाना 3.60 लाख बैरल हाेने के करीब है। भारत में रूसी कच्चे तेल की आवक अप्रैल में एक दिन में 200 करोड़ बैरल से अधिक हो सकती है, जो कुल तेल आयात का 44% है। पहले भारत से यूरोपीय देशों के बीच 1.54 लाख बैरल रोजाना जेट ईंधन और डीजल का निर्यात होता था, जो अब 2 लाख बैरल हाे गया है।

पिछले साल दिसंबर में यूरोपीय संघ ने रूस से कच्चे तेल के आयात पर रोक लगाई। ये प्रतिबंध भारत जैसे देशों को सस्ते रूसी कच्चे तेल को खरीदने, इसे डीजल जैसे ईंधन में बदलकर यूरोपीय देशों काे वापस बेचने से नहीं रोकते हैं। रेप्सोल एसए के CEO जोसु जॉन इमाज का कहना है कि रूसी डीजल अवैध रूप से यूरोप में जा रहा है, जबकि इसे रोके जाने की जरूरत है।