मां के आंचल से पहले मौत ने लिया बिटिया को आगोश में

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गोरखपुर (www.arya-tv.com) वह मां के आंचल के लिए तरसती ही रह गई। कोख से निकली तो न तो मां ने उसका चेहरा देखा और न ही वह मां की ममतामयी आंचल की छांव पा सकी। जिस समय दूसरे ब’चे मां की छाती से लिपटाकर दुलार की थपकी पाते हैं उस समय वह मशीनों के पाइपों में उलझकर जिंदगी के लिए जंग लड़ रही थी। मां की मजबूरी का आभास था तभी तो एक-एक कर 42 दिन इंतजार करती रही।

डाक्टर अंकल और सिस्टर के हाथों की थपकी सुकून तो देती थी लेकिन मां तो मां ही होती है। उसकी ममता कहां दूसरे से मिलती। मां मिली भी तो शरीर बेदम हो चुका था। मां की बेबी अब दुनिया से दूर जा चुकी है लेकिन उसके होने का अहसास कम से कम मां को पूरी जिंदगी रहेगा।

बात हो रही देवरिया के मदनपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत पिपरा पुरुषोत्तम की रहने वाली सुमन पत्नी अच्‍छेलाल की बेटी की। बुधवार को पुलिस की सूचना पर सुमन को लेकर जब अच्‍छेलाल मेडिकल कालेज पहुंचे तो पता चला कि उनकी मासूम बिटिया ने दोपहर एक बजे ही दम तोड़ दिया था। सुमन रोकर बेहोश हो गई, अच्‍छेलाल भी रो पड़ा।

लावारिस में दाखिल किया गया

मौत के बाद ब’ची को लावारिस में पोस्टमार्टम हाउस में रखा गया। देर शाम जब माता-पिता पहुंचे तो पुलिस ने सुपुर्दगीनामा बनाकर बच्‍ची का शव उन्हें सौंप दिया।

बहुत मजबूर था

अच्‍छेलाल ने बताया कि उसके दो बेटे और दो बेटियां हैं। तीसरी बेटी पैदा हुई थी। वह हरियाणा में प्राइवेट कंपनी में श्रमिक है। 27 जनवरी को पत्नी की देखभाल के लिए घर वापस आया था। मेडिकल कालेज में पत्नी के किडनी की बीमारी की जानकारी हुई तो इलाज में जुट गया। 17 फरवरी तक मेडिकल कालेज में ही पत्नी का इलाज कराया।

फिर देवरिया के निजी अस्पताल में भर्ती कराया। इलाज में 50 हजार रुपये से ज्यादा खर्च हो गए। उसके पास इतने रुपये नहीं थे कि वह आकर बच्‍ची को देख सके। सुमन बार-बार जिद करती थी लेकिन रुपये न होने का हवाला देकर उसे शांत करता था। ग्राम प्रधान ने 15 सौ रुपये दिए तब वह मेडिकल कालेज आया। यहां आने पर पता चला कि बच्‍ची अब दुनिया में नहीं रही।

पिपरा पुरुषोत्तम निवासी सुमन को प्रसव पीड़ा होने पर चार फरवरी को देवरिया जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहां डाक्टरों ने कम खून होने की बात कहते हुए बाबा राघवदास मेडिकल कालेज ले जाने की सलाह दी। उसी दिन मेडिकल कालेज के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में भर्ती कराई गई सुमन ने सामान्य प्रसव से बिटिया को जन्म दिया था। जांच में पता चला कि सुमन किडनी भी ठीक से काम नहीं कर रही है।

डाक्टरों ने बच्‍ची की कमजोरी को देखते हुए बाल रोग विभाग के नवजात शिशु गहन कक्ष में भर्ती कराया और सुमन का इलाज शुरू कर दिया। नौ फरवरी के बाद बच्‍ची को देखते कोई भी नवजात शिश गहन कक्ष नहीं पहुंचा। 15 मार्च को मेडिकल कालेज प्रशासन ने इसकी सूचना पुलिस चौकी पर दी। 16 मार्च को देवरिया पुलिस ने अच्‍छेलाल से संपर्क किया।