भारत में प्रदूषित हवा के कारण लोगों की मौत

Health /Sanitation

AryaTv :Lucknow (Roshni)

वायु प्रदूषण भारत के लिए एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। नेशनल हेल्थ प्रोफाइल 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक देश में 23 प्रतिशत से ज्यादा मौतों का कारण वायु प्रदूषण है यानी देश में होने वाली सबसे ज्यादा मौतें वायु प्रदूषण के कारण होती हैं।

इस रिपोर्ट के मुताबिक संक्रामक बीमारियों में सांस से जुड़ी बीमारियां सबसे ज्यादा, 69 %, लोगों को प्रभावित कर रही हैं। भारत के शहरी क्षेत्रों में प्रदूषण के कारण सबसे ज्यादा सांस के मरीज बढ़ रहे हैं।

सांस की बीमारियों के बाद भारत में सबसे ज्यादा मौतों का कारण डायरिया है। भारत में होने वाली कुल मौतों में 10% लोग डायरिया से मरते हैं।

देश में संक्रामक रोगों से होने वाली मौतों में सांस की बीमरियों के बाद सबसे ज्यादा लोग स्वाइन फ्लू से मरते हैं।संक्रामक बीमारियों से होने वाली कुल मौतों में 16% मौतों का जिम्मेदार स्वाइन फ्लू है।

वायु प्रदूषण है बड़ी समस्या

एक शोध की मानें तो वायु प्रदूषण से फेफड़ों को नुकसान पहुंचने के साथ ही हृदय पर भी इसका प्रभाव पड़ता है। शोध के मुताबिक हवा में मौजूद सूक्ष्म कण हृदय की कार्यप्रणाली पर बुरा असर डालते हैं।

जिसके कारण उसकी इलेक्ट्रानिक सिग्नल देने की क्षमता प्रभावित हो जाती है। पूर्व में किए गए शोध भी सड़क पर बढ़ते ट्रैफिक और वायु प्रदूषण से हार्ट अटैक के खतरे की बात कह चुके हैं।

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने भी माना वायु प्रदूषण को खतरा

इस रिपोर्ट के पहले साल 2012 में ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसके अनुसार  साल 2012 में वायु प्रदूषण के कारण करीब 70 लाख लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।

संगठन ने इसके साथ ही वायु प्रदूषण का ह्रदय रोग, सांस संबंधी बीमारियों और कैंसर के साथ गहरा नाता होने की बात भी कही थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने माना था कि दुनिया भर में हर आठवीं मौत का कारण वायु प्रदूषण है।

हालांकि इस रिपोर्ट के बाद भी सरकारों ने इस मामले में ज्यादा गंभीरता नहीं दिखाई और सांस की बीमारियों से मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

सुरक्षित सीमा से 6 गुना ज्यादा है प्रदूषण

सर्दियां आते ही दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है। मौसम विभाग की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली की हवा सुरक्षित सीमा से 6 गुना ज्यादा प्रदूषित है।

ऐसे में लोगों में सांस की बीमारियां, किडनी और दिल की बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ रहा है।