(www.arya-tv.com)पेट्रोल की कीमतें 100 रुपए प्रति लीटर के पार निकल गई हैं। ऐसे में केंद्र सरकार पर एक्साइज ड्यूटी घटाने का दबाव बन रहा है। अभी 5 राज्यों में चुनाव को देखते हुए सरकार एक्साइज ड्यूटी में कमी तो कर सकती है, पर चुनाव बीतने के बाद फिर से कीमतें बढ़ सकती हैं। क्योंकि कच्चे तेल की कीमतें अब 90 डॉलर तक जाने का अनुमान है। ऐसे में सरकार कीमतों को घटाने के बारे में सोच समझ कर फैसला लेगी। जब कच्चा तेल 35 डॉलर पर था, तब भी सरकार 80 रुपए लीटर पेट्रोल बेच रही थी। अब जब यह 90 डॉलर तक जाएगा तो सरकार तेल की कीमतों को बढ़ाना जारी रख सकती है।
केंद्र सरकार वसूलती है 33 रुपए एक्साइज ड्यूटी
पेट्रोल-डीजल का बेस प्राइज पर जो अभी 33 रुपए के करीब है, इस पर केंद्र सरकार 33 रुपए एक्साइज ड्यूटी वसूल रही है। इसके बाद राज्य सरकारें इस पर अपने हिसाब से वैट और सेस वसूलती हैं, जिसके बाद इनका दाम बेस प्राइज से 3 गुना तक बढ़ जाता है।
कच्चा तेल 70 डॉलर प्रति बैरल के पार
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल (ब्रेंट क्रूड) की कीमतों में बढ़ोतरी जारी है। सोमवार को ब्रेंट क्रूड 70 डॉलर प्रति बैरल के पार चला गया। ये 2 बीते साल में सबसे महंगा है। अप्रैल 2019 में ये 69 डॉलर प्रति बैरल पर था। ओपेक प्लस देशों की बीते गुरुवार को हुई बैठक में क्रूड ऑयल प्रोडक्शन बढ़ाने के प्रस्ताव पर मुहर नहीं लगी थी। इसके बाद चार दिन में ही कच्चे तेल की कीमतों में 6 डॉलर की बढ़ोतरी हो गई है। हालांकि पेट्रोल-डीजल की कीमतों में आज लगातार 9वें दिन बढ़ोतरी नहीं हुई है।
2014 में ब्रेंट क्रूड 106 डॉलर प्रति बैरल था लेकिन पेट्रोल 71 रु. था
मई 2014 में जब मोदी पहली बार प्रधानमंत्री बने, तब कच्चे तेल की कीमत 106.85 डॉलर प्रति बैरल थी। तब पेट्रोल 71.41 रु. और डीजल 56.71 रु./लीटर बिक रहा था। वहीं अभी कच्चे तेल की कीमत 70 डॉलर प्रति बैरल पर है। लेकिन इसके बावजूद भी पेट्रोल के दाम घटने के बजाए बढ़कर 100 रुपए प्रति लीटर के पार पहुंच गए हैं। यानी, मनमोहन सरकार जाने के बाद से कच्चे तेल की कीमतें कम हुई हैं। लेकिन पेट्रोल-डीजल महंगे हुए हैं।