सुप्रीमकोर्ट के आदेश को बिना समझे फार्मा प्रवेश की काउंसलिंग पूरी की : AKTU ( डॉ.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम प्रा.वि.वि उ.प्र.) का मामला

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  • जबकि उ.प्र.सरकार का दूसरा विभाग बी.टी.ई प्राविधिक शिक्षा परिषद उ.प्र., लखनऊ सुप्रीमकोर्ट के आदेश को समझ गया और प्रवेश जारी है।
  • इसके साथ ही पूरे प्रदेश के अधिकतर विश्वविद्यालयों में प्रवेश जारी है
  • एकेटीयू ने बिना सोचे समझे प्रवेश प्रक्रिया पूरी होने का आदेश निकाला

(www.arya-tv.com)योगी सरकार प्रदेश में जहां अपने अच्छे कार्यों से लगातार जनता के बीच अपनी अच्छी छवि बना रही है। वहीं इसके अधिकारी लगातार बिना सोचे समझे कुछ ऐसा कर देते हैं कि सरकार की छवि धूमिल होने लगती है। अभी हाल में आयुर्वेद एडमिशन मामले में माननीय मुख्यमंत्री ने बच्चों के हितों को ध्यान में रखते हुए उनको झमा दान दिया और किसी भी प्रकार की कानूनी कार्यवाही बच्चों के खिलाफ होने से रोका। उसके बावजूद सरकार की प्रवेश एजेंसियां योगी जी के मन को समझ नहीं पा रही है। जबकि भारत की सबसे बड़ी कोर्ट ने अपने स्पष्ट आदेश में प्रवेश के लिए 20 दिसम्बर तक का समय तय किया है। इसके बावजूद एकेटीयू ने एक प्राइवेट कालेज द्वारा दाखिल की गई याचिका में प्रवेश पूरा होने की बात कही है।

  • क्या है पूरा मामला

दराअसल मामला यह है कि फार्मेसी काउंसिल अर्थात (PCI) जो कि बी.फार्मा.के बच्चों की सीटें तय करता है उसके द्वारा कालेजों की जांच के बाद सीटें घटायी और बढ़ायी जाती हैं। उसी सीटों को लेकर पीसीआई ने एक आदेश 25 जुलाई को जारी किया जिसमें उनके द्वारा कुछ कालेजों की सीटें कम और कुछ की सीटें ज्यादा करने को कहा गया और उसी के बाद फार्मेसी काउंसलिंग अर्थात पीसीआई ने 22 अक्टूबर को एक जारी कर कालेजों की सीटें पुन:रीस्टोर करने को कहा। इसी मामले को एकेटीयू ने हलके में लिया और आदेश के बावजूद कालेजों को उसी 25 जुलाई के आदेश के तहत प्रवेश काउंसलिंग करता रहा। जबकि होना यह चाहिए था कि जब 22 अक्टूबर को पीसीआई ने फार्मेसी कालेजों की सीटें रीस्टोर कर दी तो उसको उसी के तहत प्रवेश की सीटों को जारी कर प्रवेश काउंसलिंग करनी चाहिए। पर एकेटीयू के जिम्मेदार अधिकारियों ने लगातार छात्र—छात्राओं के भविष्य के साथ सरकार को भी अन्धकार में रखा। इसके बाद जब पीसीआई को ऐकेटीयू मंशा समझ में आयी तो पीसीआई ने पुन: 3 नवम्बर को अपने स्पष्ट आदेश में रीस्टोर सीटों के तहत की प्रवेश काउंसलिंग प्रक्रिया पूरी करने को कहा। उसके बावजूद एकेटीयू लगातार अपने ही मन से उसी 25 जुलाई के आदेश पर कार्य करता रहा।

  • एकेटीयू के पास प्रवेश काउंसलिंग बढ़ाने का 22 अक्टूबर के बाद भरपूर समय था फिर भी छात्र—छात्राओं के भविष्य को अंधकार में रखा

इस मामले में देखा जाए तो पीसीआई ने अपना पहला आदेश 22 अक्टूबर को दूसरा आदेश 3 नवम्बर को स्पष्ट निकाला फिर भी काम न करने की नियत से एकेटीयू के अधिकारी सोते रहे और माननीय मुख्यमंत्री योगी के सख्त रूख के बावजूद छात्र—छात्रओं के धोखा देने की नियत से काम किया।

  • एकेटीयू ने पीसीआई के आदेश के खिलाफ सभी कालेजों को सीटें रीस्टोर करने से साफ मना किया

इस मामले में यह बात साफ नहीं हो पा रही है कि 22 अक्टूबर को पहला और 3 नवम्बर को दूसरा आदेश देने के बाद भी एकेटीयू ने सीटें रीस्टोर करने से साफ मना कर दिया और कालेजों को नोटिस जारी किया कि प्रदेश के किसी भी कालेज की सीटें रीस्टोर नहीं होंगी।

  • प्रवेश के मामले में सुप्रीमकोर्ट ने क्या कहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने एडमिशन के मामले में प्रवेश की तारीख 20 दिसम्बर से पूर्व पूरी करने को कहा है। जबकि एकेटीयू बिना सोचे समझे 20 दिसम्बर से पहले ही सब प्रक्रिया पूरी कर ले रहा है जबकि छात्र—छात्राओं का भविष्य बर्बाद हो रहा है, क्योंकि उ.प्र. के सभी विवि और यहां तक की केन्द्रीय विवि में भी प्रवेश लगातार जारी है और एकेटीयू पहले से ही अपनी प्रवेश प्रक्रिया को पूरा दिखा रहा है।

  • सरकार की दूसरी प्रवेश एजेंसी बोर्ड ऑफ टेक्निकल एजूकेशन प्रवेश काउंसलिंग चला रही हैं।

जहां एक तरफ एकेटीयू कोर्ट में अपनी प्रवेश काउंसिंग पूरा दिखा रहा है वहीं दूसरी ओर डिप्लोमा फार्मेसी के प्रवेश एजेंसी बोर्ड ऑफ टेक्निकल एजूकेशन छात्र—छात्राओं के हित में अभी भी प्रवेश प्रक्रिया को चला रहा है। एकेटीयू के अधिकारियों को इससे सीख लेनी चा​हिए।