कोरोना की पहली नेजल वैक्सीन; जानिए ये कितनी फायदेमंद, कैसे करेगी काम

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(www.arya-tv.com) भारत को जल्द ही कोरोना की पहली नेजल वैक्सीन मिल सकती है। नेजल वैक्सीन यानी नाक से दी जानी वाली वैक्सीन। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए ये बात कही है। माना जा रहा है कि जनवरी तक देश में नेजल वैक्सीन आ सकती है।

 क्या है  नेजल वैक्सीन ?

फिलहाल हमें मांसपेशियों में इंजेक्शन के जरिए वैक्सीन लगाई जा रही है। इस वैक्सीन को इंट्रामस्कुलर वैक्सीन कहते हैं। नेजल वैक्सीन वो होती है जिसे नाक के जरिए दिया जाता है। क्योंकि ये नाक के जरिए दी जाती है इसलिए इसे इंट्रानेजल वैक्सीन कहा जाता है। यानी इसे इंजेक्शन से देने की जरूरत नहीं है और न ही ओरल वैक्सीन की तरह ये पिलाई जाती है। यह एक तरह से नेजल स्प्रे जैसी है।

भारत बायोटेक और (WUSM) मिलकर बना रहे

भारत में जो वैक्सीन मिल सकती है उसे BBV154 नाम दिया गया है। इस वैक्सीन को भारत बायोटेक और वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन (WUSM) मिलकर बना रहे हैं। भारत बायोटेक ने कहा है कि वो 2022 में वैक्सीन के 100 करोड़ डोज के प्रोडक्शन का टारगेट लेकर चल रही है।

वैक्सीन के पहले फेज के ट्रायल के नतीजे ठीक

वैक्सीन के पहले फेज के ट्रायल के नतीजे ठीक रहे हैं। किसी भी वॉलंटियर को वैक्सीन लगने के बाद कोई गंभीर साइड इफेक्ट नहीं हुआ। क्लिनिकल ट्रायल्स रजिस्ट्री के मुताबिक चार शहरों में 175 लोगों को यह नेजल वैक्सीन दी गई। इससे पहले प्री क्लिनिकल ट्रायल में भी वैक्सीन सेफ पाई गई थी, यानी लैबोरेटरी में चूहों और अन्य जानवरों पर यह बेहद सफल रही थी। जानवरों पर हुए ट्रायल के दौरान इस वैक्सीन से काफी मात्रा में न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी बनी थी।

 फेज-2 ट्रायल्स के नतीजे भी सकारात्मक

भारत बायोटेक के चेयरमैन कृष्णा एल्ला ने कहा था कि वैक्सीन के फेज-2 ट्रायल्स के नतीजे भी सकारात्मक रहे हैं। फिलहाल वैक्सीन के फेज-3 ट्रायल की तैयारी कर रही है। 20 दिसंबर को कंपनी ने फेज-3 ट्रायल्स के लिए DGCI के पास आवेदन दिया है।

अब तक 8 वैक्सीन को मंजूरी

देश में अब तक 8 वैक्सीन को मंजूरी मिल चुकी है। ये सभी इंट्रामस्कुलर वैक्सीन हैं, यानी इन्हें इंजेक्शन के जरिए दिया जाता है। वहीं, BBV154 इंट्रानेजल वैक्सीन है। अगर इसे मंजूरी मिलती है, तो ये देश की पहली इंट्रानेजल वैक्सीन होगी। अभी देश में स्पूतनिक, कोवीशील्ड और कोवैक्सीन लगाई जा रही है। ये तीनों वैक्सीन डबल डोज वैक्सीन हैं। BBV154 को केवल एक बार ही दिया जाएगा।

अर्ली स्टेज में रोकने में ज्यादा कारगर

कोरोनावायरस समेत कई माइक्रोब्स (सूक्ष्म वायरस) म्युकोसा (गीला, चिपचिपा पदार्थ जो नाक, मुंह, फेफड़ों और पाचन तंत्र में होता है) के जरिए शरीर में जाते हैं। नेजल वैक्सीन सीधे म्युकोसा में ही इम्यून रिस्पॉन्स पैदा करती है।

यानी, नेजल वैक्सीन वहां लड़ने के लिए सैनिक खड़े करती है जहां से वायरस शरीर में घुसपैठ करता है। नेजल वैक्सीन आपके शरीर में इम्युनोग्लोबुलिन A (igA) प्रोड्यूस करती है। माना जाता है कि igA इंफेक्शन को अर्ली स्टेज में रोकने में ज्यादा कारगर होता है। ये इंफेक्शन रोकने के साथ-साथ ट्रांसमिशन को भी रोकता है।

नेजल वैक्सीन 14 दिन में ही असर दिखाने लगती है

  • इस समय भारत में लग रही वैक्सीन के दो डोज दिए जा रहे हैं। दूसरे डोज के 14 दिन बाद वैक्सीनेट व्यक्ति सेफ माना जाता है। ऐसे में नेजल वैक्सीन 14 दिन में ही असर दिखाने लगती है।
  • इफेक्टिव नेजल डोज न केवल कोरोनावायरस से बचाएगी, बल्कि बीमारी फैलने से भी रोकेगी। मरीज में माइल्ड लक्षण भी नजर नहीं आएंगे। वायरस भी शरीर के अन्य अंगों को नुकसान नहीं पहुंचा सकेगा।
  • यह सिंगल डोज वैक्सीन है, इस वजह से ट्रैकिंग आसान है। इसके साइड इफेक्ट्स भी इंट्रामस्कुलर वैक्सीन के मुकाबले कम हैं। इसका एक और बड़ा फायदा यह है कि सुई और सीरिंज का कचरा भी कम होगा।

अलग-अलग स्ट्रेन पर कारगर

इस बारे में अभी रिसर्च की जानी है लेकिन अर्ली रिसर्च में सामने आया है कि नेजल वैक्सीन फ्लू वायरस के किसी एक स्ट्रेन के बजाय अलग-अलग स्ट्रेन पर कारगर रही है।

साइंस इम्यूनोलॉजी जर्नल में छपी एक स्टडी के मुताबिक, चूहों में रेस्पिरेटरी वायरस से निपटने में नेजल वैक्सीन कारगर रही है जबकि इंट्रामस्कुलर वैक्सीन ने ज्यादा असर नहीं किया।