हजरतगंज सिविल का हाल बेहाल? एक उदाहरण देख लीजिए

Lucknow UP

लखनऊ। आॅल इज वेल यानी सब ठीक है। शायद कुछ ऐसा ही आडंबर बनाया गया होगा। ताकि मुख्यमंत्री जी ऐसा कहने पर मजबूर हो जाएं। हालांकि उन्होंने जहां एक तरफ साफ सफाई की तारीफें की वहीं कमियों पर नाराजगी भी जाहिर की। पर अब स्थिति का असल पता चल रहा है। हालात कितने खराब हैं।

हम बात कर रहे हैं राजधानी लखनऊ में स्थित सिविल अस्पताल की। पिछले दिनों यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अस्पताल का निरीक्षण किया था। मौके पर काफी अच्छी व्यवस्थाएं दिखीं जहां कमियां थी उसे दुरुस्त कराने का आदेश दिए गए। पर असल में वास्तविक स्थिति क्या है इसका अंदाजा लगाने के लिए अभी हमारे पास एक उदाहरण बिल्कुल ताजा है।

शुगर के मरीज गिरधारी लाल मिश्रा के पैर में कुछ महीनों से घाव है जो कि ठीक नहीं हो रहा। पिछले हफ्ते वह हजरतगंज स्थित श्यामा प्रसाद मुखर्जी हॉस्पिटल सिविल में इमरजेंसी में भर्ती हो गए। पहले दिन तो चिकित्सा अ​धीक्षक आशुतोष दुबे जी के कहने पर उनका अच्छा इलाज हुआ लेकिन फिर कोतवाही शुरू हो गई। घरवालों का कहना है कि पूरा पूरा दिन निकलने लगा लेकिन पट्टी तक चेंज नहीं हुई। उन्हें सर्जरी वार्ड में रेफर किया गया। वहां भी न तो उनका सही से इलाज हुआ और न ही कोई देखरेख। मौजूदा ड्यूटी पर तैनात नर्सों ने विगो तक बदलने से इनकार कर दिया। बार बार यह कहा गया कि इनको घर ले जाइए।

दवाई घर में ही करिए। इतना ही नहीं मरीज को दो दो बार दवाई रिएक्शन कर गईं। पूरे शरीर में छाले पड़ गए लेकिन 4 घंटे तक डॉक्टर देखने तक नहीं पहुंचे। इस संबंध में एक बार फिर चिकित्सा अधीक्षक आशुतोष दुबे से शिकायत की गई तो उन्होंने फटकार लगाई तो काम शुरू हुआ और मरीज को आर्थो वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। दो दिन पहले डॉक्टर ने मरीज से 3 यूनिट खून लाने की बात कही। मरीज के परिजनों ने गुरुवार को 3 यूनिट खून भी ला दिया तो अब नर्स और डॉक्टर्स उसे लेने से इनकार करने लगे। हालांकि फिर से जब आशुतोष दुबे ने कहा तब जाकर नर्स ने यह कहते हुए खून को फ्रीजर में रखने के लिए कहा कि आपकी पूरी जिम्मेदारी होगी। अब सवाल यह उठता है कि फिर डॉक्टर्स ने खून क्यों मंगवाया।

अब सवाल यह उठता है कि राजधानी लखनऊ के सरकारी हॉस्पिटल का ये हाल है वह भी तब जब उससे कुछ ही मीटर की दूरी पर मुख्यमंत्री निवास है। बहरहाल मरीज का आॅपरेशन होना है। पर कब होगा, होगा भी कि नहीं होगा। यह देखना बाकी है। यह एक उदाहरण है अब आर्य टीवी नेटवर्क आपको इस महीने सिविल अस्पताल में ऐसे तमाम मामले सामने लाएगा। अब देखना यह है कि चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर आशुतोष दुबे इस मामले में क्या करते हैं।

ये भी है डर
अब ये डर है कि कहीं नर्सों द्वारा ब्लड के रख रखाव की समुचित व्यवस्था न की गई तो कहीं ऐसा न हो कि ब्लड खराब हो जाए। 

​मरीज का नाम —गिरधारीलाल मिश्रा
बीमारी— पैर में घाव का आॅपरेशन होना है।
भर्ती— आर्थो वार्ड सिविल हजरतगंज