2028 तक पहला ‘स्पेस बेबी’ पैदा होगा:IVF ट्रीटमेंट के जरिए अंतरिक्ष में तैयार होगा इंसानी भ्रूण

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(www.arya-tv.com) इंसान पहली बार अंतरिक्ष में साल 1961 में गया था। इसके बाद से सभी के मन में ये सवाल है कि क्या स्पेस में बच्चे पैदा किए जा सकते हैं? दुनियाभर के वैज्ञानिक 62 साल बाद भी इस गुत्थी को नहीं सुलझा पाए हैं। हालांकि ब्रिटेन और नीदरलैंड के साइंटिस्ट्स जल्द ही हमें इस सवाल का जवाब दे सकते हैं।

IVF ट्रीटमेंट से पैदा होंगे बच्चे
iNews की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटिश वैज्ञानिक डच कंपनी स्पेसबॉर्न यूनाइटेड के साथ मिलकर असिस्टेड रिप्रोडक्शन टेक्नोलॉजी इन स्पेस (ARTIS) मॉड्यूल बना रहे हैं। इसके तहत स्पेस में एक बायो-सैटेलाइट भेजा जाएगा। इसके अंदर इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) ट्रीटमेंट के जरिए भ्रूण का जन्म होगा। इसे पृथ्वी पर लाया जाएगा और महिला के गर्भ में ट्रांसफर किया जाएगा। धरती पर जन्म लेने वाले इन बच्चों को ‘स्पेस बेबीज’ कहा जाएगा।

स्पेसबॉर्न के फाउंडर डॉक्टर एगबर्ट एडेलब्रोएक कहते हैं- इस प्रोजेक्ट का फाइनल मकसद पृथ्वी के बाहर नेचुरल तरीके से बच्चे पैदा करना है। हालांकि इससे पहले हमें मौजूदा टेक्नोलॉजी को स्पेस में टेस्ट करना होगा। इसके बाद ही अंतरिक्ष में सेक्स, प्रेग्नेंसी और डिलीवरी पर फोकस किया जाएगा।

पहले चूहों पर होगा एक्सपेरिमेंट
इस प्रोजेक्ट के लिए सबसे पहले चूहों पर एक्सपेरिमेंट किए जाएंगे। उनके स्पर्म और अंडों को स्पेस में फर्टिलाइज कराया जाएगा। मॉड्यूल की टेक्नोलॉजी को टेस्ट करने के लिए पहली फ्लाइट अप्रैल में कनाडा से रवाना होगी। रिसर्चर्स के अनुसार, IVF वर्किंग वाला फुल-फंक्शनिंग बायो-सैटेलाइट 18 से 24 महीने में बनकर तैयार हो जाएगा।

बता दें कि स्पेसबॉर्न को एसगार्डिया कंपनी का सहयोग है। यह कंपनी 2016 में बनाई गई थी। इसका मकसद अंतरिक्ष में दुनिया की पहली इंसानी बस्ती बसाना है। कंपनी का दावा है कि इस बस्ती के लिए अभी से ही 10 लाख लोगों ने रजिस्ट्रेशन कर दिया है।

अगले 5 साल में इंसानों पर प्रयोग
डॉ. एडेलब्रोएक का कहना है कि अगले 5 साल में इंसानी सेल्स (कोशिकाओं) के साथ बायो-सैटेलाइट को स्पेस में भेजा जा सकता है। साथ ही अंतरिक्ष में पहले इंसानी बच्चे की डिलीवरी साल 2031 तक हो सकती है। फिलहाल यह पृथ्वी की निचली कक्षा में ही संभव होगा। हालांकि इसके लिए टेक्नोलॉजी और इंसान का चयन बहुत ही सोच-समझकर करना होगा।

उदाहरण के लिए, प्रेग्नेंट महिलाओं और मेडिकल स्टाफ को बहुत ही सूझ-बूझ के साथ चुना जाएगा। जिन महिलाओं पर एक्सपेरिमेंट होगा, उन्हें कम से कम दो कामयाब डिलीवरीज का अनुभव होना चाहिए। उनके शरीर में हाई रेडिएशन को बर्दाश्त करने की ताकत भी होनी चाहिए।