उत्तर प्रदेश:सपा कार्यकाल में शुरू हुआ मुगल म्यूजियम अब छत्रपति शिवाजी के नाम से जाना जाएगा

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  • 16 मार्च, 1666 को आगरा आए थे छत्रपति शिवाजी
  • औरंगजेब ने कर लिया था कैद
  • 13 अगस्त, 1666 को वे फल की एक टोकरी में बैठकर गायब हो गए थे
  • सीएम योगी ने समीक्षा बैठक में लिया फैसला; बोले-मुगल हमारे नायक नही हो सकते

(www.arya-tv.com)लखनऊ. सपा कार्यकाल में शुरू हुए एक और प्रोजेक्ट का नाम अब जल्द ही बदल दिया जाएगा। आगरा मंडल की समीक्षा बैठक में सीएम योगी आदित्यनाथ ने फैसला लिया है कि आगरा में बनने वाले मुगल म्यूजियम का नाम अब छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम पर होगा। बैठक में सीएम योगी ने कहा कि यूपी सरकार राष्ट्रवादी विचारों वाली सरकार है। गुलामी की मानसिकता छोड़ कर राष्ट्र के प्रति गौरवबोध कराने वाले विषयों को बढ़ावा देना सरकार का उद्देश्य है। बैठक में सीएम योगी ने साफ कहा कि मुगल हमारे नायक नही हो सकते हैं। जबकि शिवाजी हमारे नायक हैं। योगी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बैठक कर रहे थे।

अब छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़ी जानकारी भी मिलेगी म्यूजियम में

जानकारी के मुताबिक म्यूजियम का नाम बदलने का प्रस्ताव प्रमुख सचिव पर्यटन जितेंद्र कुमार ने बैठक में रखा था। हालांकि अब तय किया गया है कि नाम के साथ साथ अब म्यूजियम में मुगलों से जुड़ी जानकारी के साथ साथ छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़ी जानकारी भी सहेजी जाएंगी।

आगरा से ऐसा है शिवाजी महाराज का रिश्ता

इतिहासकार बताते है कि छत्रपति शिवाजी 16 मार्च, 1666 को अपने बड़े पुत्र संभाजी के साथ आगरा आए थे। तब मुगल बादशाह औरंगबेज ने उन्हें कैद कर लिया था। बाद में लगभग 5 महीने बाद 13 अगस्त, 1666 को वे फल की एक टोकरी में बैठकर गायब हो गए। औरंगजेब हाथ मलता रह गया। यही नहीं बताया जाता है फरारी के दौरान शिवाजी आगरा में कई स्थानों पर भी रुके। उन्ही यादों को संजोने के लिए मुग़ल म्यूजियम में छत्रपति शिवाजी महाराज से जुडी जानकारियां भी रखी जायेंगी।

2015 में लिया गया था मुगल म्यूजियम बनाने का फैसला

आपको बता दे कि आगरा आने वाले पर्यटक ताजमहल और अन्य स्मारक देखने के बाद मुगलों का इतिहास व्यापक रूप में जानना चाहते है। लेकिन इसका कोई भी सोर्स उपलब्ध न होने के कारण पर्यटक निराश होकर आगरा से लौट जाते हैं। ऐसे में 2015 में सपा सरकार ने फैसला लिया था कि आगरा में मुगल म्यूजियम बनाया जाए।

130 करोड़ की लागत से बनना था म्यूजियम

जानकारी के मुताबिक सपा सरकार में करीब 130 करोड़ की लागत से ताजमहल के पूर्वी गेट रोड पर ताज से करीब 1300 मीटर दूर मुगल म्यूजियम बनाने के लिए पर्शियन, तुर्की और उज्बेक वास्तुकला के विशेषज्ञों, विश्वविख्यात आर्किटेक्ट्स और म्यूजोलाजिस्ट के अलावा योग्यतम प्रोफेश्नल्स की सेवाएं लेने की योजना बनाई गई थी। साथ ही इसके लिए 130 करोड़ का बजट भी बनाया गया था।

क्या कुछ खास बनना था म्यूजियम में

मुगल म्यूजियम में मुगल कालीन इतिहास, सांस्कृतिक विरासत, रहन-सहन, उत्कृष्ट स्थापत्य कला-चित्रकला, परिधान, खान-पान, परफार्मिंग आर्ट्स, हैण्डीक्राफ्ट, पाण्डुलिपियाँ, हस्तलिखित सरकारी फरमान/ दस्तावेज एवं तत्कालीन अस्त्र-शस्त्र को प्रदर्शित किया जाना था।

अभी क्या स्थिति है मौके पर

2015 में सेंक्शन हुआ यह प्रोजेक्ट अभी कुछ कदम भी नही बढ़ पाया है। सपा सरकार में कुछ निर्माण शुरू भी हुआ रहा लेकिन योगी सरकार में यह अभी मौके पर बन्द पड़ा हुआ है। जानकारी के मुताबिक वहां जो सीमेंट वगैरह आई थी वह भी किसी काम की नही रह गयी है।