परिवर्तन जिंदगी का सार है -डॉ.मुकेश शर्मा

Lucknow

परिवर्तन प्रकृति का नियम है और हम सब जन्म से ही परिवर्तन देखते आये है। बचपन में जो था, वह आज नहीं है। ”आज कुछ वर्ष बाद राजस्थान से आते हुए जब लखनऊ में प्रवेश किया तो अनेक परिवर्तन देखने को मिले न तो वो बड़े-बड़े आम के पेड़ नजर आये न ही घनी बाग। ” आर्यकुल ग्रुप ऑफ़ कॉलेजज में समय था नए एवं पुराने छात्रों के साथ वार्तालाप का राजस्थान प्राशासनिक उच्च सेवा पर कार्यरत मुकेश शर्मा ने अपने विचार प्रस्तुत किये।

इस अवसर पर कॉलेज के डायरेक्टर सशक्त सिंह, रजिस्टार सुदेश तिवारी, फार्मेसी रिसर्च डायरेक्टर प्रो. रविकांत, एच आर मिस नेहा वर्मा और सभी विभाग के छात्र- छात्राओ ने मिलकर उनका स्वागत किया।

अपनी बातो को आगे बढ़ाते हुए श्री शर्मा ने कहा की जरुरी नही सबके उद्देश जो है वो पूरे हो जाये इसलिए जरुरी है कि जो हमे प्राप्त हो उसे सकारात्मक रूप से स्वीकार करे।

परिवर्तन ही जिंदगी का सार है चाहे वह जिंदगी हो या कोई और चीज का, इसलिए परिवर्तन के लिए हमेशा  तैयार रहो यदि तैयार नही होते  तो जिंदगी में कभी आगे न बढ़ते इसलिए परिवर्तन जरुरी है।

उन्होंने ये बताया की अपने दिमाग को विचारशील बनाइये और मार्ग में न जाने कितने ही मोड़ आयेंगे इसलिए पहले से अपने रास्ते में आने वाली कठिनाइयों से परिचित रहे ताकि समय आने पर उनसे आसानी से निपट ले।

उन्होंने चीन के एक महान दार्शनिक कान्फ़्यूशियस जिक्र किया जिस समय भारत में भगवान महावीर और बुद्ध धर्म के संबध में नये विचार रखे जा रहे थे, उसी समय चीन में एक समाज सुधारक का जन्म हुआ जिसका नाम कन्फ्यूशियस था। मुकेश शर्मा जी ने बताया की कन्फ़्यूशियस के शिष्यों ने एक बार उनकी परीक्षा लेनी चाहा, शिष्य ने एक टिड्डा को हाँथ की मुट्ठी में बंद करके कहा  की आखिर इसका भविष्य क्या है? तब कान्फ्यूशियस ने शालीनता से जवाब दिया की सवाल ये नहीं की उसका भविष्य क्या है ? सवाल  है जिन हांथो में वह है वे हाँथ उसे बनाना क्या चाहते है?

प्रोग्राम के अंत में कॉलेज के मैनेजिंग डायरेक्टर सशक्त सिंह ने मुख्य अतिथि को धन्यवाद दिया और साथ ही सभी स्टाफ, टीचर और बच्चों का आभार व्यक्त किया।