वाराणसी में वरुणा पुल के निर्माण में साढ़े सात करोड़ के हेरफेर की होगी जांच

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(www.arya-tv.com)   वाराणसी में फुलवरिया फोरलेन में इमिलिया घाट पर बनाए गए वरुणा पुल में साढ़े सात करोड़ रुपए के हेरफेर का मामला सामने आया है। 34.5 करोड़ रुपए पुल के निर्माण कार्य का बजट था और 42 करोड़ रुपए खर्च हो गए। साढ़े सात करोड़ रुपए किस मद से और किस अधिकारी की स्वीकृति से खर्च किए गए, यह स्पष्ट ही नहीं है।

इसे लेकर गंभीर सवाल उठने पर अब स्पेशल ऑडिट टीम जांच करेगी। ऑडिट टीम सेतु निगम के मैनेजिंग डायरेक्टर संजीव भारद्वाज को रिपोर्ट देगी। माना जा रहा है कि स्पेशल ऑडिट टीम अगले हफ्ते बनाकर आकर जांच की कार्रवाई शुरू करेगी।

जांच टीम से एमडी ने मांगी है यह जानकारी

  • तकनीकी स्वीकृति के अनुसार लागत क्या थी?
  • वीओक्यू के अनुसार लागत का सारांश।
  • तकनीकी स्वीकृति के खिलाफ जाकर किया गया खर्च।
  • सेतु निगम की यूनिट को हेडक्वार्टर से उपलब्ध कराया गया पैसा।
  • सालाना ऑडिट व्यय और सत्यापित जीएसटी।

    एप्रोच मार्ग धंसने से पुल आया था चर्चा में
    बीती 26 अगस्त की रात वरुणा पुल के एप्रोच मार्ग के ढहने का प्रकरण सामने आया था। फुलवरिया इलाके के कुम्हारपुरा में रहने वाले भाजपा के लोहता मंडल के मीडिया प्रभारी अजय वर्मा प्रजापति ने निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए दोषी इंजीनियरों पर कार्रवाई की मांग की थी।

    मामला तूल पकड़ा था तो लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद के निर्देश पर तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की गई थी। जांच समिति ने प्रथम दृष्टया असिस्टेंट इंजीनियर ज्ञानेंद्र वर्मा और जूनियर इंजीनियर राजेश कुमार को दोषी पाया था। जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर दोनों इंजीनियर को सस्पेंड कर आरोप पत्र जारी किया गया था। इसके अलावा सेतु निगम के पूर्व उप परियोजना प्रबंधक सूरज गर्ग को भी आरोप पत्र जारी किया गया था।

    सपा ने कहा- कहां है भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस

    वरुणा पुल में आर्थिक विनयमितता का मामला सामने पर समाजवादी पार्टी ने भाजपा सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता मनोज राय धूपचंडी ने कहा कि भ्रष्टाचार के प्रति योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति आखिर कहां हैं…? बनारस के मंत्री और उच्चाधिकारी जो निरीक्षण कर लाइम लाइट में बने रहते हैं, वह आखिरकार क्या देखने जाते थे…?

    पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए और दोषियों पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में जो भी अन्य बड़े काम हुए हैं, उनकी जांच होनी चाहिए।