BSNV पी.जी. कॉलेज में हुआ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ शोध परियोजना के निष्कर्ष पर वर्कशॉप का आयोजन

Lucknow

(www.arya-tv.com)बप्पा श्री नारायण वोकेशनल स्नातकोत्तर महाविद्यालय (केकेवी) में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के अंतर्गत समाजशास्त्र विभाग में संचालित परियोजना के पूर्ण होने पर उनके परिणामों को प्रदर्शित करने हेतु वर्कशॉप का आयोजन किया गया जिसमें ख्यातिप्राप्त विशेषज्ञों ने सम्मिलित होकर अपना ज्ञान एवं अनुभव साझा किया।

“उत्तर प्रदेश के लखनऊ एवं अयोध्या मंडल में “बेटी बचाओ एवं बेटी पढ़ाओ” योजना के आलोक में हितधारकों की अभिवृत्ति एवं सशक्तिकरण” अध्ययन विषय पर आधारित शोध परियोजना समाजशास्त्र विभाग के प्रो जयशंकर पांडेय के निर्देशन में पूर्ण हुई। परिणाम के प्रदर्शन एवं विश्लेषण हेतु आयोजित इस कार्यशाला में अतिथियों के रूप में टी. एन. मिश्रा, अध्यक्ष प्रबंध समिति, प्रो. संजय मिश्रा प्राचार्य, मुख्य अतिथि प्रो. संजय सिंह कुलपति डॉ. राममनोहर लोहिया विधि विश्वविद्यालय, प्रो. रजनी रंजन सिंह प्रोफेसर दिल्ली विश्वविद्यालय, प्रो. डी. आर. साहू विभाग अध्यक्ष लखनऊ विश्वविद्यालय, प्रो. गुंजन पांडेय प्रोफेसर, प्रो. मनीष कुमार वर्मा प्रोफेसर एवं डीन बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, प्रो. श्वेता प्रसाद, काशी हिंदू विश्वविद्यालय प्रो. जय शंकर प्रसाद पांडेय विभागाध्यक्ष समाजशास्त्र विभाग एवं कार्यशाला संयोजक बप्पा श्री नारायण वोकेशनल पीजी कॉलेज लखनऊ आदि आदि अनेक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सम्मिलित हुए।

महाविद्यालय के अध्यक्ष टी. एन. मिश्रा  ने ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ‘ विषय पर अपने विचार और अनुभव साझा किये। इसके पश्चात प्रो. सी. एल. बाजपेई एवं प्रो. गुंजन पाण्डेय ने मंच को से अपने अध्ययन शेयर किए।

तत्पश्चात मंच संचालक प्रो. उमेश सिंह ने प्रो. पाण्डेय को शोध से सम्बंधित अनुभव साझा करने के लिए बुलाया। प्रो. पाण्डेय ने सर्वप्रथम महाविद्यालय के प्रबंधन, प्राचार्य, आई. सी. एस. एस. आर., क्षेत्र अंवेशको एवं विभाग के सभी शिक्षको को धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने अपने शोध कार्य की चर्चा की और महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला। इसके बाद प्रो. उमेश जी ने प्रो. संजय सिंह को वक्तव्य के लिए आमंत्रित किया। प्रो. सिंह ने भारत में लिंगानुपात के कारणों पर प्रकाश डाला और बताया कि लिंगानुपात की दशा ग्रामीण की अपेक्षा शहरी और पढ़े लिखे समाज में ज्यादा ख़राब है। उन्होंने यह भी बताया कि समुदाय विशेष का इसमें कोई योगदान नहीं है। यह सिर्फ एक राष्ट्रीय आपदा नहीं वरन् वैश्विक समस्या है। तकनीकी ने भी भ्रूण हत्या में सहयोग दिया है। उन्होंने गर्भवती स्त्री और गर्भ में पल रहे शिशुओं के वैधानिक अधिकारों और सरकारी योजनाओं पर भी चर्चा की।

इसके पश्चात प्रो. डी. आर. साहू ने सामाजिक समस्याओं के समाधान के लिए सरकारी योजनाओं की महत्वपूर्ण भूमिका की विस्तृत चर्चा करी। उन्होंने महिलाओं और पुरुषों पर हो रहे अत्याचार पर सामाजिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। इसके पश्चात प्रो. गुंजन पाण्डेय ने देश के शीर्ष संगठनों में अध्यक्ष पदों पर बैठी महिलाओं की समाज में सशक्त भूमिका की चर्चा की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया की महिलाओं को अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसर मिले।
महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो.संजय मिश्रा ने बेटियों को पढ़ाने के लिए महाविद्यालय की पहल, महाविद्यालय में पुरुषों को शिक्षा के साथ महिलाओं को भी अवसर प्रदान करने के सराहनीय प्रयास की चर्चा की।

प्रो. सी. एल. बाजपेई ने सभी अतिथियों को उनके विचार साझा करने के लिए धन्यवाद और आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के प्रथम तकनीकी सत्र की शुरुआत शोध प्रक्रिया में हुए अनुभवों को साझा करने से हुई। इस कड़ी में सर्वप्रथम डॉ नीतू बत्रा एवं डॉ. कोमल गौतम ने शोध के दौरान हुए कुछ रोचक संस्मरणों और अनुभव सभी से साझा किये, अन्य क्षेत्र अंवेशको ने भी अपनी बात रखी और बताया कि किस प्रकार ग्रामीण परिवेश में भी बेटियों के प्रति सामाजिक धारणा बदल रही है और बेहतर हो रही है।

इसके बाद प्रो. मनीष वर्मा  ने शोध की जातिलताओं और प्रतिदर्श चयन प्रक्रिया पर प्रकाश डाला और महिलाओं की स्थितिमें आयी गिरावट के ऐतिहासिक कारणों और वर्तमान में हो रहे वांछित परिवर्तनों की विस्तृत चर्चा की। उन्होंने प्रो. जय शंकर प्रसाद पाण्डेय जी को शोध के सफलतापूर्वक पूर्ण होने के लिए धन्यवाद और बधाई दी। तत्पश्चात प्रो. रजनी रंजन सिंह ने अपने वक्तव्य में भारत और विश्व में लिंग असमानता के आंकड़े प्रस्तुत किये और बताया कि किस प्रकार लिंग संवेदीकरण इस असमानता को दूर करने में सहयोगी सिद्ध होगा। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को आधार बताते हुए लैंगिक समानता और विकास में शिक्षा की महती भूमिका बताई। एकीकृत और समवेशी शिक्षा तथा बेहतर शिक्षकों के द्वारा ही समाज में लिंग भेद एवं उससे होने वाली समस्याओ को दूर किया जा सकता है।

सत्र की अगली कड़ी में प्रो. उदयभान सिंह  का स्वागत प्रो. डी. के. राय, विभागध्यक्ष हिंदी विभाग द्वारा किया गया। अपने उद्बोधन में प्रो उदयभान जी ने बताया कि लिंग समानता के अभाव में सामाजिक समानता के लक्ष्य को प्राप्त करना संभव नहीं है। हमें अपने दृष्टिकोण को बदलने की ज़रूरत है, समय आ चुका है कि हम अपनी सामाजिक बुराइयों को छोड़े और नए प्रतिमान स्थापित करें। भारत सरकार का यह प्रयास ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ‘ समाज में सकारात्मकता एवं सामाजिक समता लाने का प्रयास करेगा। 3 बजे से दूसरे सत्र का प्रारम्भ हुआ जिसका संचालन प्रो. विजय कुमार द्वारा किया गया। सभी अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ एवं मोमेंटो देकर किया गया।

वक्ता प्रो. भारती पांडेय ने सशक्त नारी पर अपनी बात रखी। नारी के बिना समाज नहीं चल सकता, अगर नारी सशक्त होगी तो समाज सशक्त होगा। आगे उन्होंने नारी को परिभाषित करते हुए कहा कि नारी प्यार है, शक्ति निर्माता है, सृष्टि निर्माता है, नारी संस्कृति की पोषक है, पर्यावरण संरक्षिका है साथ ही डॉक्टर, शिक्षिका और अपने बच्चों की साथी है एवं परिवार में नारी की महत्वपूर्ण भूमिका है। अंत में कहा कि नारी को अपनी राह स्वयं चुनना है, सीढ़ी पर स्वयं चढ़ना है। जागरुकता के बाद ही लैंगिक असमानता को समाप्त किया जा सकता है।
उसके पश्चात् सुनीता कुमार ने अपने प्रोजेक्ट PMKVY को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ से संबद्ध कर अपनी बात रखी । कौशल विकास कार्यक्रम के द्वारा महिलाएं भी प्रशिक्षण प्राप्त कर रही है जिससे उनके जीवन में परिवर्तन आया है और वह समाज और अपने चारों ओर रहने वाले लोगों को साथ ही जागरूक कर रही है।

डॉ. प्रतिभा राज एसोसिएट प्रोफेसर लखनऊ विश्वविद्यालय ने अपना व्याख्यान में बताया बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा योजना शुरू की गई एवं साथ ही यह बताया कि महिला सशक्तिकरण की बात तब आएगी जब हम बेटी बचाएंगे। महिलाओं के लिये रिसोर्स, एजेंसी और आउटकम को महत्वपूर्ण बताया। जब महिलाओं को समान अवसर एवं संसाधनों पर समान पहुंच प्रदान की जाएगी तभी महिलाएं सशक्त हो सकती हैं एवं प्रतिबद्धताओं को खत्म करके ही महिलाओं को आगे बढ़ सकती है।

वक्ता प्रो. सुभाष मिश्रा ने अपने व्याख्यान में कहा कि स्त्री को स्त्री के रूप में स्वीकार करना आवश्यक है। भारत की संस्कृति शाश्वत मूल्यों पर आधारित है एवं भारत की सनातन परम्परा ज्ञान पर आधारित है जहाँ देवी के नौ रुपों की पूजा की जाती है परंतु वर्तमान में समाज भ्रूण हत्या एवं वलात्कार बढ़ गये है जिसका एक मात्र कारण व्यक्ति के चित्त को बताया,वक्ता प्रो. सैय्यद हैदर अली भाषा विश्वविद्यालय लखनऊ ने अपने अनुभव साझा किये कोविड महामारी में महिलाओं की स्थिति बतायी एवं कहा कि बेटियाँ ही परिवार का आधार होती है वह पढ़ती है तो सबको पढ़ाती है। महिलाओ को समानता का अधिकार देना आवश्यक है, समाज में महिला एवं पुरूष दोनों को कार्य करना चाहिये एवं अंत में कहा कि जो योजनाये सरकार द्वारा चलाई जा रही है वह व्यक्तित्व विकास एवं समाज कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।

सत्र की अंतिम वक्ता (Chair Person) प्रो. श्वेता प्रसाद (Secretary ISS) ने सभी वक्ताओं के व्याख्यान की संक्षिप्त व्याख्या की एवं महत्वपूर्ण बिंदुओं पर सभी का ध्यान आकर्षित किया। महिलाओं की ऐतिहासिक स्थिति से लेकर आधुनिक स्थिति को सारगर्भित किया एवं कहा कि समाज मे रिसोर्स तो है पर सही एजेंसी की आवश्यकता है जो महिलाओं का सही मार्गदर्शन कर सकें।
तत्पश्चात् बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ प्रोजेक्ट में कार्य करने वाले सभी व्यक्तियों को सम्मानित किया गया और कार्यक्रम का समापन किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय के विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के साथ-साथ अन्य महाविद्यालय के शिक्षक गण एवं शोधार्थी उपस्थित रहे।