आपदा में अवसर को चरितार्थ करता भाजपा का चुनावी घोषणा पत्र

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नीमच।(www.arya-tv.com) किसी भी जन कल्याणकारी सरकार  का प्रथम दायित्व होता है की वो नागरिको को टैक्स के बदले मुलभुत आवस्यकताये मुफ्त शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाये ,पानी ,आवागमन के लिए सड़के एवं सस्ती बिजली उपलब्ध करवाए और देश का सर्वांगीण विकास एवं सुरक्षा सुनिश्चित करे। लेकिन भाजपा द्वारा बिहार में जो चुनावी घोषणा पत्र जारी किया गया है उसमे प्रथम घोषणा के रूप में कोरोना के मुफ्त टिके  को लेकर घोषणा की गई है की जितने पर प्रत्येक बिहारी को मुफ्त में  वैक्सीन लगाया जयेगा।

अब सवाल यह उठता है की जीएसटी जैसे टैक्स  को लागु करते समय आप एक देश एक  टैक्स की बात करते है और महामारी के  दौरान आप इतने निम्नतम स्तर पर आ जाते है की आप वैश्विक आपदा के समय पर  भी देश के अलग अलग राज्यों को चुनावी मैदान मानकर देश को भूल जाते है और आपदा में भी अवसर ढूंढने का आमर्यादित आचरण करने पर उतारू हो जाते है। उक्त तंज कस्ते हुए आप के जोन अध्यक्ष्य नवीन कुमार अग्रवाल ने मुफ्त टीकाकरण पर सवाल उठाये है।

अग्रवाल ने भाजपा से पूछना चाहा है की क्या अब आपके लिए देश का नागरिक नागरिक नहीं रहा है। पहले से ही देश के नागरिको को राजनैतिक दलों ने  जातियों में ऊंच नीच में विभक्त कर दिया  है अब आप उन्हें क्षेत्रवाद में भी बाँटने पर उतारू हो गए  है। आपने अब   मुफ्त वैक्सीन का घोषणा  पत्र जारी किया तो आप तब कहा थे  जब करोड़ो मजदुर लॉक डाउन के दौरान पैदल पैदल पलायन करने पर मजबूर थे और उनके लिए आवागमन के लिए कोई व्यवस्था आपने नहीं की  थी।

क्या आम नागरिक जीएसटी ,इनकम टैक्स ,सम्पति कर ,वेल्थ टैक्स ,विभिन्न प्रकार के उपकर ,टोल टैक्स जैसे कई प्रकार के टैक्स इसलिए देता है की उसे जरुरत पडऩे पड़ सरकार मौल भाव करे और अगर इतना टैक्स देने पर भी सरकार के पास नागरिको की  मुलभुत जरूरते के लिए पैसा नहीं है तो इन सब टैक्सों का  पैसा कहा गया यह सोचनीय विषय है ,और उसका उपयोग क्या राजनेताओ के ऐशो आराम के लिए हो रहा है ?

अग्रवाल ने कहा की देश के प्रत्येक नागरिक को आपदा नियंत्रण अधिनियम 2005 के अंतर्गत यह अधिकार है की उसका  महामारी में  नि:शुल्क इलाज हो और यह सरकार की जिम्मेदारी है वो इसका पैसा नहीं ले सकती तो फिर जनता को लालीपाप क्यो दिया जा रहा है ? और अभी तक पोलियो मलेरिया एवं अन्य बीमारियों के टीकाकरण भी नि:शुल्क हुए है और यही संवैधानिक प्रावधान भी है की  केंद्र राज्यों को  टिके उपलब्ध करवाता है और  राज्य टीकाकरण मिशन के अंतर्गत नागरिको को नि:शुल्क टीकाकरण करता है।  जबकि केंद्र सरकार ने पूर्व से ही  50 हजार करोड़ रुपये मात्र टीकाकरण के लिए रखे है तो फिर मात्र बिहार में ही क्यो चुनावी झुमला ?

अब प्रसन यह उठता है की टीकाकरण  अगर बिहार में मुफ्त  होगा तो क्या अन्य राज्यों में  उसके लिए पैसा देना होगा या अगले चुनाव  तक उन राज्यों के नागरिको को इंतजार करना पड़ेगा।?उस पर भी बड़े मिया तो बडे मिंया छोटे मिंया सुभान अल्ला की तर्ज पर अधिनियम के प्रावधानों को समझते हुए भी  शिवराज सरकार  द्वारा यह घोषणा  की गरीबो को टीकाकरण मुफ्त किया जावेंगा  और अन्य को नहीं तो क्या मिडिल क्लास सिर्फ और सिर्फ टैक्स देने के लिए   ही है ,क्या इससे प्रदेश  में वर्ग संगर्ष पैदा नहीं होगा ?

क्या यही भाजपा का चरित्र  है की वो  आपदा  में भी  अवसर  तलाश कर  ऐसे चुनावी घोषणा पत्र जारी कर  रही है ,जो देश की अखंडता के लिए खतरनाक होने के साथ ही आम नागरिको के लिए भी खतरनाक है । भाजपा को ऐसी ओछी राजनीती से बाज  आना चाहिए और विकास का विजन पेश कर चुनावी रण  में उतरना चाहिए, लोगो की भावनाओं से खिलवाड़ कर नहीं ?
अग्रवाल ने कहा की चुनाव जितने के लिए आपदा में भी अवसर  तलाश रही भाजपा को यह ज्ञान होना चाहिए की  अभी तक तो विश्व में कोई प्रमाणित वैक्सीन ही नहीं बन पाई है और संभवत: 100 प्रतिशत कारगर वैक्सीन बन ही नहीं पाए यह विश्व स्वस्थ्य संघठन  का दावा है ,तो फिर जनता की भावनाओ से खिलवाड़ क्यो ? नवीन कुमार अग्रवाल