नॉर्थ कोरिया में 2 साल के बच्चे को उम्रकैद:बाइबिल रखने पर परिवार को मिली सजा

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(www.arya-tv.com) नॉर्थ कोरिया में एक ईसाई परिवार को सिर्फ अपने धर्म का पालन करने और बाइबिल रखने के आरोप में आजीवन कारावास की सजा दे दी गई। सजा पाने वालों में परिवार का 2 साल का बच्चा भी शामिल है। ये खुलासा अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट की धार्मिक आजादी को लेकर जारी की गई रिपोर्ट में हुआ है। मामला 2009 का बताया जा रहा है।

रिपोर्ट में दावा किया है कि नॉर्थ कोरिया में बाइबिल रखने पर लोगों को आजीवन कारावास से लेकर मौत तक की सजा दी जा रही है। 2022 में नॉर्थ कोरिया ने 70 हजार से ज्यादा ईसाइयों को जेल में डाला दिया था।

ईसाई महिलाओं का हो रहा यौन उत्पीड़न
अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट ने एक एनजीओ ‘कोरिया फ्यूचर’ से मिली जानकारियों के आधार पर अपनी रिपोर्ट बनाई है। एनजीओ ने दावा किया है कि नॉर्थ कोरिया में ईसाई लोगों को धर्म का पालन करने पर टॉर्चर किया जाता है। उनसे जबरन मजदूरी कराई जाती है और महिलाओं का यौन उत्पीड़न किया जाता है।

2021 में 151 महिलाओं से किए गए इंटरव्यू में ये बातें सामने आई थीं। वहीं, नॉर्थ कोरिया छोड़कर आए लोगों ने एनजीओ को बताया है कि वहां ईसाइयों को लेकर दुष्प्रचार किया जाता है। मिशनरी को खून पीने वाले, हत्यारा और रेपिस्ट बताया जाता है।

नास्तिक देश है नॉर्थ कोरिया
कम्युनिस्ट देश होने की वजह से उत्तर कोरिया नास्तिक देश है। जो किसी धर्म में यकीन नहीं करता है। हालांकि दावा किया जाता है कि वहां सभी लोगों को अपने धर्म का पालन करने की आजादी है। यहां 50% लोग नास्तिक हैं। 25% लोग बौद्ध हैं और बाकी 25% लोग ईसाई और दूसरे मजहब के हैं।

इन दावों के बावजूद धार्मिक स्वतंत्रता के सूचकांक में यह देश सबसे निचले स्थान पर है। दिसंबर 2022 में यूनाइटेड नेशन में नॉर्थ कोरिया में हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर एक प्रस्ताव लाया गया था, जिसका अमेरिका समेत दर्जनों देशों ने समर्थन किया।