योगी बने BJP के लिए मुसीबत, जानिए क्‍यों टकराई बीजेपी-एनसीपी (अजित) की राजनीति?

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(www.arya-tv.com)  नई दिल्ली. भाजपा के स्‍टार प्रचारक योगी आदित्‍यनाथ महाराष्‍ट्र विधानसभा चुनाव में प्रचार के लिए महाराष्‍ट्र गए और अपनी ही पार्टी के लिए मुसीबत खड़ी करके चले आए. महाराष्‍ट्र में 20 नवंबर को विधानसभा चुनाव के तहत वोटिंग होनी है. इसी कड़ी में उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ 6 नवंबर को पूर्वी महाराष्‍ट्र के वाशिम में प्रचार करने गए थे. वहां उन्‍होंने अपना पसंदीदा और हाल में हिट हुआ जुमला ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ दोहराया. भाजपा की सहयोगी एनसीपी (अजित) को यह रास नहीं आया.

भाजपा के साथी एनसीपी (अजित) के मुखिया अजित पवार को आदित्‍यनाथ का ये जुमला बिल्‍कुल नागवार गुजरा. उन्‍होंने उनकी जमकर खिंचाई कर दी और कहा कि जब दूसरे राज्‍यों के लोग यहां आते हैं तो वे अपने राज्‍य की जनता को दिमाग में रखते हुए बातें करते हैं. महाराष्‍ट्र ऐसी बातों को कभी स्‍वीकार नहीं करेगा और ये यहां हर चुनाव में साबित भी हो चुका है.अजित पवार ने योगी और भाजपा को एक तरह से चेतावनी देते हुए कहा कि ‘महाराष्‍ट्र छत्रपति शिवाजी महाराज, राजर्ष‍ि साहू महाराज और महात्‍मा फुले जैसे महापुरुषों की धरती है. आप महाराष्‍ट्र की तुलना किसी और राज्‍य से मत कीजिए. महाराष्‍ट्र के लोग इसे पसंद नहीं करते.’

अजित पवार ने भाजपा को यह भी याद दिलाया कि शिवाजी ने हमें सबको साथ लेकर चलना सिखाया है. वैसे, भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी नारा रहा है ‘सबका साथ, सबका विकास’, लेकिन भाजपा के तमाम बड़े नेता चुनावी भाषणों में ऐसे नारों को झुठलाते देखे गए हैं. योगी आदित्‍य नाथ का बयान सीधे तौर पर मुस्लिमों पर निशाना माना जाता रहा है और महाराष्‍ट्र में यह एनसीपी की

राजनीति के खिलाफ जाता है. महाराष्‍ट्र में मुसलमान पांरपरिक रूप से कांग्रेस और एनसीपी के साथ रहे हैं. राज्‍य की करीब 60 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम मतदाता चुनावी समीकरण प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं. इनमें से 38 ऐसी हैं जहां कम से कम हर पांचवा वोटर मुसलमान है.

एनसीपी में बंटवारे के बाद पहला विधानसभा चुनाव
एनसीपी में बंटवारे के बाद यह पहला विधानसभा चुनाव है, लेकिन लोकसभा चुनाव के परिणामों का विश्‍लेषण करने पर पता चलता है कि मुस्लिम मतदाता अजित पवार के नेतृत्‍व वाले एनसीपी से दूर रहे. शरद पवार के नेतृत्‍व वाले एनसीपी का प्रदर्शन लोकसभा में अजित पवार गुट की तुलना में काफी अच्‍छा रहा था. संभवत: इसका कारण अजित पवार का भाजपा के साथ होना ही था. लेकिन, सत्‍ता में भागीदारी की मजबूरी के चलते अजित पवार भाजपा का साथ नहीं छोड़ सकते. इस मजबूरी के साथ मुस्लिम मतदाताओं को नाराज करने का जोखिम वह नहीं उठा सकते. योगी आदित्‍य नाथ पर उनके जवाबी निशाने को इन्‍हीं संदर्भों में देखा जाना चाहिए. लोकसभा चुनाव के समय जमीनी स्‍तर पर अजित पवार की पार्टी के कई नेता-कार्यकर्ता भाजपा के साथ एनसीपी के गठबंधन के पक्ष में नहीं थे.

योगी का ताजा जुमला
योगी आदित्‍यनाथ ने हाल ही में यूपी के एक कार्यक्रम में पहली बार यह जुमला सुनाया, ‘बंटेंगे तो कटेंगे.’ उनके इस जुमले को कट्टर हिंदुत्‍ववादी समझे जाने वाले भाजपा नेताओं ने हाथों-हाथ लिया. भाजपा सांसद गिरिराज सिंह ने बिहार में हिंदू स्‍वाभि‍मान यात्रा निकाली और इस दौरान ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ पर जोर दिया. उधर, राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने भी मथुरा में अपनी बैठक में इस जुमले को हिंदू एकता से जोड़ते हुए इसे एक तरह से मान्‍यता दे दी. महाराष्‍ट्र में बड़ी संख्‍या में उत्‍तर भारतीय वोटर्स हैं. उनका ध्‍यान रखते हुए भाजपा ने योगी के इस जुमले को वहां के चुनाव में शुरू से ही उछाला है. योगी के पहुंचने से काफी पहले, अक्‍तूबर के आखिरी हफ्ते में ही भाजपा नेताओं ने महाराष्‍ट्र में कई जगह ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के नारे के साथ पोस्‍टर लगाए थे.